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ये होता है कुंडली में अशुभ केतु का फल, इन उपायों से बचें

Published: Oct 27, 2015 05:01:00 pm

ज्योतिष में केतु एक छाया ग्रह है जो स्वभाव से पाप ग्रह भी
है। केतु के बुरे प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में कई बड़े संकटों का सामना
करना पड़ता है

Astrology horoscope

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु एक छाया ग्रह है जो स्वभाव से पाप ग्रह भी है। केतु के बुरे प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में कई बड़े संकटों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यही केतु जब शुभ होता है तो व्यक्ति को ऊंचाईयों पर भी ले जाता है। केतु यदि अनुकूल हो जाए तो व्यक्ति आध्यात्म के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करता है। आमतौर पर माना जाता है कि हमारी जन्मकुंडली हमारे पिछले जन्म के कर्मों तथा इस जन्म के भाग्य को बताती है। फिर भी ज्योतिषीय विश्लेषण कर हम अशुभ ग्रहों से होने वाले प्रभाव तथा उनके कारणों को जानकर उनका सहज ही निवारण कर सकते हैं।

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इसीलिए अशुभ प्रभाव देता है केतु

राहू एवं केतु छाया ग्रह माने गए है जिनका स्वयं का कोई अस्तित्व नहीं होता है। इन्हें इनके कार्य करने की वास्तविक शक्ति कुंडली में अन्य ग्रहों के सम्मिलित प्रभाव से मिलती है। ज्योतिष में माना जाता है कि किसी जानवर को परेशान करने पर, किसी धार्मिक स्थल को तोड़ने अथवा किसी रिश्तेदार को सताने, उनका हक छीनने की सजा देना ही केतु का कार्य है। झूठी गवाही व किसी से धोखा करना भी केतु के बुरे प्रभाव को आमंत्रित करता है।

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अशुभ केतु का ये होता है प्रभाव

जब भी व्यक्ति पर केतु का अशुभ प्रभाव शुरू होने वाला होता है तो उसके अंदर कामवासना एकदम से बढ़ जाती है। किसी अन्य पापग्रह यथा राहू, मंगल की युति मिलने पर व्यक्ति किसी महिला/ लड़की से दुष्कर्म तक करने का जोखिम उठा सकता है। इसके अलावा मुकदमेबाजी, अनावश्यक झगड़ा, वैवाहिक जीवन में अशांति, भूत-प्रेत बाधाओं द्वारा परेशान होना भी केतु के ही कारण होता है। शारीरिक प्रभावों में व्यक्ति को पथरी, गुप्त व असाध्य रोग, खांसी तथा वात एवं पित्त विकार संबंधी रोग हो जाते हैं।

ऐसे दूर करें अशुभ केतु ग्रह के असर को

लाल किताब तथा ज्योतिष के कुछ अत्यन्त साधारण से उपाय अपनाकर केतु के बुरे असर को खत्म कर उसे शुभ ग्रह में बदल देते हैं। इनमें से किसी भी एक उपाय को अपनाने से जन्मकुंडली में केतु का बुरा असर न्यूनतम हो जाता है। परन्तु ध्यान रखें कि केतु की शुभता के लिए देवी-देवताओं की आराधना रात में ही करनी चाहिए। इससे तुरंत आराम मिलता है।

(1) सवा किलो आटे को हल्का सा सेंककर उसमें गुड़ का चूरा मिला दें तो 43 दिन तक लगातार चींटियो को डालें।
(2) बुधवार के दिन गणेशजी को दूब अर्पित करें तथा प्रसाद चढ़ाएं।
(3) प्रतिदिन शाम को किसी निकट के मंदिर में गाय के घी का दीपदान करें।
(4) भगवान भोलेनाथ के महामंत्र “ऊँ नमः शिवाय” का जाप करते हुए जल चढ़ाएं तथा भगवान से अपने संकट दूर करने की प्रार्थना करें।
(5) एक हरा रूमाल सदा अपने साथ रखें।
(6) रविवार के दिन कन्याओं को मीठा दही और हलवा खिलाएं।
(7) लगातार 43 दिन तक कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। यह उपाय नियमित रूप से करें।
(8) त्रयोदशी (तेरस) के दिन केतु की शांति के लिए व्रत रखें।
(9) भगवान भैरूंजी की उपासना करें। उन्हें केले के पत्ते पर चावल का भोग अर्पित करें।
(10) किसी गरीब को अथवा मंदिर में कंबल का दान करें। कंबल यदि नीला हो तो और भी उत्तम हैं।
(11) यदि संभव हो तो केतु के बीजमंत्र “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः” का किसी पंडित से 17,000 मंत्रजाप करवाएं।
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