क्या है गणगौर उत्सव – जानकारी अनुसार गणगौर महोत्सव मुख्य रूप से राजस्थान में मारवाड़ी समाज द्वारा मनाया जाता रहा। इसके बाद जहां-जहां मारवाड़ी परिवार बसे, वहां-वहां इस त्यौहार को मनाया जाने लगा तथा माता पार्वती व भोलेनाथ की पूजा का यह त्यौहार प्रत्येक हिंदू परिवार के लिए पर्व का अवसर बन गया। जिसमें ईसर जी और गौरा के प्रतीक के रूप मेें माता पार्वती व भोलेनाथ की प्रतिमाओं की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाती है। मप्र में उक्त त्यौहार निमाड़ी लोगों के द्वारा भी मनाया जाता है। इस त्यौहार को कुंआरी कन्याएं जहां अच्छे वर की कामना के साथ मनाती हैं, वहीं विवाहिताएं सुहाग की लंबी उम्र की कामना के साथ मनाती हैं।
सिवनी मालवा. नगर में मारवाडी समाज की महिलाएं स्थानीय श्रीसीता राम मंदिर में 16 दिवसीय गणगौर उत्सव धूमधाम से मना रही हैं, जो तीज तक चलेगा। समाज की महिलाएं होली की राख से बनी पिन्डी की स्थापना कर उसकी पूजा अर्चना करती हैं। इस उत्सव के दौरान गणगौर खेलती महिलाएं और युवतियां शाम को हर दिन गोट पार्टी देती हैं। गोट पार्टी में नीरु राठी, शीला सारड़ा, कृष्णा व्यास, स्वेता खडलोया, मीना अग्रवाल, सीमा उपाध्याय, पूजा अग्रवाल, रिंकी गोयल, वर्षा शर्मा, मेघा उपाध्याय, सुनीता अग्रवाल, निशा मोढ़, अनिता खंडेलवाल, मेघा खंडेलवाल, निशा जैन, कविता मोदी, बंदना जैन, अनिता अवस्थी आदि शामिल थीं।