विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के मुताबिक…
जन्म के समय यदि बच्चे का २.५ किलो से कम वजन, एक साल की उम्र में ७.७ किलो से कम वजन, दो साल की उम्र में ९.७ किलो से कम वजन, तीन साल कीउम में ११.३ किलो से कम वजन, पांच साल की उम्र में १२.४ किलो से कम वजनल है तो उसे अति कुपोषित माना जाता है।
जन्म के समय यदि बच्चे का २.५ किलो से कम वजन, एक साल की उम्र में ७.७ किलो से कम वजन, दो साल की उम्र में ९.७ किलो से कम वजन, तीन साल कीउम में ११.३ किलो से कम वजन, पांच साल की उम्र में १२.४ किलो से कम वजनल है तो उसे अति कुपोषित माना जाता है।
-परियोजना -कुल अतिकुपोषित -वर्तमान अतिकुपोषित
-बाबई -११९ -१९
-बनखेड़ी -१६८ -४०
-होशंगाबाद -११६ -१३
-होशंगाबाद शहरी -५४ -१३
-इटारसी -१०१ -१४
-केसला -२७१ -५४
-पिपरिया -१५७ -४१
-सिवनीमालवा -१०४ -१५
-सोहागपुर -८९ -२० सतर्कता : अति कुपोषण इसलिए खतरनाक –
जिले में जो बच्चे अति कुपोषित हो गए हैं। उनमें बसा की कमी, सांस लेने में कठिनाई, शरीर का कम तापमान बढऩा, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता, ठंड लगना, संवेदनशील त्वचा, घाव भरने में अधिक समय लगना, मांसपेशियों में कमजोरी, थकान, चिढ़चिढ़ापन जैसे लक्षण आ गए हैं। इन बच्चों को कुछ भी नया सीखने में बहुत अधिक समय लग रहा है। इनका बौद्धिक विकास कम धीमी गति से हो रहा है। डराने और सतर्क करने वाली बात इसलिए भी है, क्योंकि इन बच्चों को अति कुपोषित की श्रेणी से बाहर निकालने के लिए सरकार के स्तर पर कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बाद भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो पाया।
-बाबई -११९ -१९
-बनखेड़ी -१६८ -४०
-होशंगाबाद -११६ -१३
-होशंगाबाद शहरी -५४ -१३
-इटारसी -१०१ -१४
-केसला -२७१ -५४
-पिपरिया -१५७ -४१
-सिवनीमालवा -१०४ -१५
-सोहागपुर -८९ -२० सतर्कता : अति कुपोषण इसलिए खतरनाक –
जिले में जो बच्चे अति कुपोषित हो गए हैं। उनमें बसा की कमी, सांस लेने में कठिनाई, शरीर का कम तापमान बढऩा, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता, ठंड लगना, संवेदनशील त्वचा, घाव भरने में अधिक समय लगना, मांसपेशियों में कमजोरी, थकान, चिढ़चिढ़ापन जैसे लक्षण आ गए हैं। इन बच्चों को कुछ भी नया सीखने में बहुत अधिक समय लग रहा है। इनका बौद्धिक विकास कम धीमी गति से हो रहा है। डराने और सतर्क करने वाली बात इसलिए भी है, क्योंकि इन बच्चों को अति कुपोषित की श्रेणी से बाहर निकालने के लिए सरकार के स्तर पर कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बाद भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो पाया।
इनका कहना है…
जिले में 14 नवंबर (बाल दिवस) तक कोई भी बच्चा गंभीर कुपोषित की श्रेणी में ना रहे, यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। बीमारी के कारण कुपोषित होने की दशा में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कैंप भी लगाया जाएगा।
-नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर
जिले में 14 नवंबर (बाल दिवस) तक कोई भी बच्चा गंभीर कुपोषित की श्रेणी में ना रहे, यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। बीमारी के कारण कुपोषित होने की दशा में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कैंप भी लगाया जाएगा।
-नीरज कुमार सिंह, कलेक्टर