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सौंदर्यीकरण के लिए 6 साल पहले खर्च किए 45 लाख, अब फिर मांगे डेढ़ करोड़

locationहोशंगाबादPublished: Jul 06, 2019 11:57:32 am

Submitted by:

sandeep nayak

खर्च कर फेफरताल को भूली नपा

45 lakh spent six years ago for beautification

सौंदर्यीकरण के लिए ६ साल पहले खर्च किए 45 लाख, अब फिर मांगे डेढ़ करोड़

होशंगाबाद। नगरपालिका ने फेफरताल (तालाब) के विकास और सौंदर्यीकरण के शासन से डेढ़ करोड़ रुपए की मांग की है। इसके लिए नई डीपीआर बनाकर मंजूरी के लिए भेजी गई है। पिछली डीपीआर तकनीकि खामियों के चलते नामंजूर हो गई थी। साढ़े आठ एकड़ से अधिक में फैले इस तालाब पर करीब छह साल पूर्व नगर पालिका 45 लाख रुपए खर्च कर चुकी है। इसके गहरीकरण से लेकर पाथ-वे निर्माण पर राशि खर्च की, इसके बाद इसे भुला दिया गया। फलस्वरूप लाखों खर्च करने के बाद भी तालाब पुरानी स्थिति में पहुंच गया था।
सूत्रों के मुताबिक चार साल पहले नपा ने तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए प्रस्ताव बनाया था लेकिन उसे शासन स्तर पर मौखिक रूप से अमान्य कर दिया है। उसकी ड्राइंग डिजाइन में कई तकनीकि खामियां थी। इस कारण पुरानी डीपीआर को मंजूरी नहीं मिली थी। अब नई डीपीआर तैयार कर भेजी गई है। इसमें शासन से डेढ़ करोड़ रुपए की मांग की गई है। पिछले प्रस्ताव में एक करोड़ की मांग की गई थी।
पर्यटन स्थल बनाने की योजना
नपा इसे छिंदवाड़ा के छोटी तलाब के मॉडल की तरह विकसित कर पर्यटन स्थल बनाना चाहती है। इसके लिए गहरीकरण पानी को रोकने के लिए विशेष घास लगाने की योजना है। चारों तरफ पाथ-वे का निर्माण हो चुका है, उसे दुरुस्त किया जाएगा। यहां बोटिंग की व्यवस्था रहेगी। हॉकर्स जोन बनाया जाएगा। तालाब के किनारों पर करीब 300 एलइडी लाइट लगेंगी।
यह थी गड़बड़ी : वर्ष 2015 में बनी डीपीआर में तालाब के कैचमेंट एरिया का भी कुछ हिस्सा निर्माण सेक्शन में शामिल कर लिया गया था। तालाब का जो नक्शा भेजा गया था उसमें यह गड़बड़ी थी इसी वजह से प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिली।
हुंच गया।
छह साल पूर्व हुआ था पहला प्रयास
वर्ष 1993 के बाद 3.444 हेक्टेयर में फैला यह तालाब नपा की सीमा में शामिल हुआ है। वर्ष 2013 में इसे सवांरने के प्रयास शुरू हुए थे। तत्कालीन कलेक्टर राहुल जैन ने गहरीकरण का काम शुरू कराया था। श्रमदान कर गहरीकरण का काम कुछ दिन चला, इसके बाद बंद हो गया। इस दौरान तालाब किनारे के अतिक्रमण हटाया गया था। जिसका विरोध भी हुआ था। नगर पालिका ने इसके गहरीकरण, किनारों पर पौध रोपण से लेकर पाथ-वे निर्माण पर लगभग 45 लाख रुपए खर्च किए थे। इसके बाद इसे भुला दिया गया तो वह पहले की स्थिति में प
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