इसके लिए सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) का इस्तेमाल होगा। सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर में एफआईआर के आवेदन में आधार नंबर का कालम है। इसमें उसका नंबर दर्ज करना अनिवार्य किया गया है। कोर्ट में चालान भी सीसीटीएनएस फॉर्मेट में ही पेश किया जाएगा। इसमें गवाह और आरोपी के भी आधार नंबर दर्ज होंगे।
आरोपी कई बार नाम, पिता का नाम और पता गलत दर्ज कराते हैं। ऐसे एनडीपीएस एक्ट के मामलों में ज्यादा सामने आता है। इस व्यवस्था से आरोपी ऐसा नहीं कर पाएंगे। इससे उसके फरार होने पर भी पुलिस उस तक आसानी से पहुंच सकेगी। गवाह भी अदालत में गवाही देने नहीं पहुंचते हैं। पता बदल जाने से पुलिस परेशान होती है लेकिन आधार नंबर से उसकी पूरी जानकारी पुलिस हासिल कर लेगी।
‘जनवरी में पीएचक्यू के निर्देश मिले थे। इसे सभी थानों में लागू कर दिया गया है। गिरफ्तार आरोपियों का आधार नंबर हासिल करना शत प्रतिशत लागू किया गया है। फरियादियों को विशेष मौकों (जैसे रास्ते मे ंएक्सीडेंट, लूट या अन्य वारदात होने पर) रियायत दी गई है। ऐसा नहीं है कि बिना आधार के एफआईआर दर्ज ही नहीं कर रहे हैं, लेकिन कोशिश है कि आधार नंबर भी मिल जाए। भले ही बाद में पीडि़त उपलब्ध करा दे।Ó
अरविंद सक्सेना, एसपी होशंगाबाद