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आरटीओ ने एफआइआर दर्ज करने लिखा था पत्र, टीआई ने ‘कानूनी रायÓ की आड़ में छोड़े आठ डंपर

locationहोशंगाबादPublished: Sep 08, 2019 01:27:15 pm

Submitted by:

poonam soni

– धोखाधड़ी की जगह मोटरव्हीकल एक्ट में की कार्रवाई
– दो डंपरों पर अब तक फैसला नहीं कर पाया पुलिस महकमा

आरटीओ ने एफआइआर दर्ज करने लिखा था पत्र, टीआई ने 'कानूनी रायÓ की आड़ में छोड़े आठ डंपर

आरटीओ ने एफआइआर दर्ज करने लिखा था पत्र, टीआई ने ‘कानूनी रायÓ की आड़ में छोड़े आठ डंपर

होशंगाबाद/ जिला पुलिस कानून से खिलवाड़ करने में माहिर हो गई है। एेसे ही एक मामले को लेकर आरटीओ और थाना प्रभारी आमने-सामने आ गए हैं। कलेक्टर के निर्देश पर आरटीओ ने जब्त दस डंपरों की जांच कर उनके मालिकों के खिलाफ धोखधड़ी, षडय़ंत्र और दस्तावेजों की कूटरचना का मामला दर्ज करने के लिए देहात थाने को पत्र लिखा था। लेकिन कानूनी राय लेने के बहाने टीआई ने एक माह तक कार्रवाई ही नहीं की। फिर इनमें से आठ डंपरों के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान बनाकर कोर्ट में पेश कर दिया। जिससे वह मामूली जुर्माना अदाकर छूट गए। लेकिन डेढ़ महीने बाद भी दो डंपर थाने में खड़े हैं, जिन पर पुलिस कार्रवाई का फैसला नहीं कर पा रही। इधर कानून के जानकार कहते हैं, इस मामले में पुलिस को कानूनी राय की जरूरत ही नहीं थी, उसे सीधे मामला दर्ज करना चाहिए था।

क्या था मामला
18-19 जुलाई को पुलिस एवं प्रशासन के संयुक्त अमले ने जासलपुर से अवैध रेत परिवहन करते 30 डंपर पकड़े थे। इनमें से 10 डंपर के रजिस्ट्रेशन नंबर में हेराफेरी पाई गई थी। कलेक्टर ने आरटीओ मनोज तेगुरिया को जांच कर इनके खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। आरटीओ ने जांच कर देहात थाने को पत्र लिखकर इनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने का कहा था।
ऐसे निकाला राहत का रास्ता
पुलिस ने कथित रूप से डंपर मालिकों से सांठगांठ कर उन्हें राहत देने के लिए बीच का रास्ता निकाला। देहात थाना प्रभारी आशीष पवार ने मामला दर्ज करने से पूर्व लोक अभियोजन अधिकारी से अभिमत मांगा। उनकी राय के बाद पुलिस ने गंभीर अपराध न मानते हुए आठ डंपरों के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट में मामूली कार्रवाई कर मामला कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट ने नियमानुसार आठ वाहनों पर 51 हजार 600 रुपए जुर्माना लगाकर छोडऩे के आदेश दिए।
फिर दो वाहनों की जांच क्यों?
इस कार्रवाई में यह सवाल भी उठ रहा है कि जब एक जैसे मामले होने पर पुलिस ने आठ डंपरों के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की कार्रवाई की है तो फिर अन्य दो डंपरों की किस बात की जांच की जा रही है।
आरटीओ जांच में यह मिली थी गड़बड़ी
– रजिस्टे्रशन व चेचिस नंबर अलग-अलग थे।
– डंपर के आगे की तरफ लिखे रजिस्टे्रशन नंबर को खांचा बनाकर उसमें दूसरी नंबर की प्लेट डाली गई थी। यह खांचा इस तरह बनाया गया था कि नंबर प्लेट चंद सेकंड में आसानी से बदली जा सके।
– डंपर के आगे अलग और पीछे अलग नंबर प्लेट लगी थी।

पुलिस का तर्क, इसलिए नहीं किया अपराध दर्ज

पुलिस ने बताया कि हमारी जांच और जिला लोक अभियोजन अधिकारी से अभिमत से मामला मोटर यान अधिनियम 50/77 (वाहन में आगे या पीछे नंबर न लिखा होना) एवं 51/177 (वाहन में नंबर नियमानुसार नहीं पाया जाना) और मोटरयान अधि. के प्रावधान 66/92 (परमिट की शर्तों का उल्लंघन) का पाया गया, जो संज्ञेय (गंभीर) अपराध नहीं है।

छह से आठ हजार जुर्माना देकर छूटे
वाहन एमपी 04 एचई 8761, एमपी 04 एचई 3872, एमपी 04 एचई 4044, एमपी 04 एचई 8372, एमपी 04 एचई 8872, एमपी 04 एचई 6761 एवं आरजे 14 जीएच 3892 पर 6200-6200 रुपए और एमपी04 एचई 5161 पर 8200 रुपए का जुर्माना लगा।
इनका कहना है…

कलेक्टर के निर्देश पर विभागीय तौर पर जांच उपरांत सभी दस वाहनों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के लिए देहात थाने को पत्र भेजा था। हमारी जांच में पंजीयन नंबरों के साथ छेड़छाड़ और कूटरचना पाई गई थी। इस कारण मामला धोखाधड़ी का बनता है।
-मनोज तेहनगुरिया, आरटीओ

जिला अभियोजन अधिकारी से उक्त प्रकरणों में अभिमत लिया गया। जिसमें मामला मोटरयान अधिनियम के उल्लंघन का पाया गया। जांच व अभिमत में संज्ञेय अपराध नहीं पाए जाने पर विधिक प्रक्रिया अनुसार कोर्ट में इश्तगासा पेश किए गए। इसके बाद जुर्माना वसूल कर छोड़ा गया। अन्य दो डंपरों का मामला अभी जांच में है।
-आशीष सिंह पवार, टीआई देहात थाना
प्रथम दृष्टया उक्त मामला धारा 120 ट्रांसपिरेंसी, 420 धोखाधड़ी और धारा 467, 468 कूटरचना का बनता है। इसमें पुलिस को अभियोजन के अभिमत की जरुरत ही नहीं पड़ती। पुलिस खुद सीधे एफआईआर दर्ज कर सकती है।
-ब्रजेश शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता
हमारे पास पुलिस से संबंधित जो भी शिकायतें अभिमत के लिए आती है उसमें जो लीगल होता है वही ओपिनियन दी जाती है। जांच व कार्रवाई पुलिस को करना होता है।

केपी अहिरवार, जिला अभियोजन अधिकारी
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