मेले का इतिहास और किवदंती
नागद्वारी यात्रा का इतिहास दशकों पुराना है। यहां आने वाले मडलों के अनुसार पुरखों से नागद्वारी दर्शन की परंपरा चली आ रही है। महादेव मेला समिति का गठन 1957 में हुआ था उसके बाद से जिला प्रशासन की देखरेख में मेला संचालित हो रहा है। पूर्व में महज एक नायब तहसीलदार ही पूरा मेला संचालित करता था। बाद में समिति का गठन हुआ और मेला प्रशासन की देखरेख में संचालित होने लगा।
किवदंती है प्रचलित
मान्यता है नागद्वारी स्थित शिवलिंग के दर्शन से कालसर्प दोष दूर होता है संतान की प्राप्ति होती है। हजारों की संख्या में मान्यता लेकर भोले शंकर के दरबार में हाजिरी देते हैं उनकी मनोकामनाएं भी पूूरी होती है। एक किवदंती यह भी है कि यहां मराठा राजा शिवाजी महाराज की भी संतान प्राप्ति के लिए नागद्वारी में भगवान शिव की पूजना अर्चना करने आए थे। यही वजह है कि महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं की संख्या सर्वाधिक रहती है।
ऐसे होती है मेले की सुरक्षा
सुरक्षा बंदोबस्त के तहत प्रशासन ने पुलिस के साथ होमगार्ड, कोटवार का अमला भी तैनात किया है। एनसीसी कैडेटस सहित जगह-जगह पेट्रोलिंग वाहनों से भीड़ को नियंत्रित किया जाता है। तहसील में मुख्य कंट्रोल रूम बनाया गया यहां फोन और वायरलैस से मेला गतिविधि की मॉनीटरिंग होती है। भीड़ और वाहनों को कंट्रोल करने मेला समिति ने एक किमी दूर नाके के पास वाहन पार्किंग स्थल बनाया है। कलेक्टर प्रियंका दास, एसपी अरविंद सक्सेना, एएसपी राजेश खाका, एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी, एसडीओपी रणविजय सिंह सहित कई जिलों से आया पुलिस बल मेले की हर गतिविधि पर सतत नजर बनाए हुए है।
नागद्वारी यात्रा का इतिहास दशकों पुराना है। यहां आने वाले मडलों के अनुसार पुरखों से नागद्वारी दर्शन की परंपरा चली आ रही है। महादेव मेला समिति का गठन 1957 में हुआ था उसके बाद से जिला प्रशासन की देखरेख में मेला संचालित हो रहा है। पूर्व में महज एक नायब तहसीलदार ही पूरा मेला संचालित करता था। बाद में समिति का गठन हुआ और मेला प्रशासन की देखरेख में संचालित होने लगा।
किवदंती है प्रचलित
मान्यता है नागद्वारी स्थित शिवलिंग के दर्शन से कालसर्प दोष दूर होता है संतान की प्राप्ति होती है। हजारों की संख्या में मान्यता लेकर भोले शंकर के दरबार में हाजिरी देते हैं उनकी मनोकामनाएं भी पूूरी होती है। एक किवदंती यह भी है कि यहां मराठा राजा शिवाजी महाराज की भी संतान प्राप्ति के लिए नागद्वारी में भगवान शिव की पूजना अर्चना करने आए थे। यही वजह है कि महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं की संख्या सर्वाधिक रहती है।
ऐसे होती है मेले की सुरक्षा
सुरक्षा बंदोबस्त के तहत प्रशासन ने पुलिस के साथ होमगार्ड, कोटवार का अमला भी तैनात किया है। एनसीसी कैडेटस सहित जगह-जगह पेट्रोलिंग वाहनों से भीड़ को नियंत्रित किया जाता है। तहसील में मुख्य कंट्रोल रूम बनाया गया यहां फोन और वायरलैस से मेला गतिविधि की मॉनीटरिंग होती है। भीड़ और वाहनों को कंट्रोल करने मेला समिति ने एक किमी दूर नाके के पास वाहन पार्किंग स्थल बनाया है। कलेक्टर प्रियंका दास, एसपी अरविंद सक्सेना, एएसपी राजेश खाका, एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी, एसडीओपी रणविजय सिंह सहित कई जिलों से आया पुलिस बल मेले की हर गतिविधि पर सतत नजर बनाए हुए है।
ऐसे पहुंचते हैं नागद्वारी तक
पचमढ़ी से जलगली 7 किमी
जलगली से कालाझाड़ 305 किमी
कालाझाड़ से चित्रशाला 4 किमी
चित्रशाला से चिंतामन 1 किमी
चिंतामन से पश्चिम द्वार 1 किमी
पश्चिम द्वार से नागद्वारी 2.5 किमी
नागद्वारी से काजरी 2 किमी
काजरी से कालाझाड़ 4 किमी
विभिन्न शहरों से पचमढ़ी की दूरी
दिल्ली 913 किमी
मुंबई 864 किमी
छिंदबाड़ा 134 किमी
जबलपुर 244 किमी
भोपाल 195 किमी
इटारसी 195 किमी
नागपुर 258 किमी
पिपरिया 54 किमी
पचमढ़ी से जलगली 7 किमी
जलगली से कालाझाड़ 305 किमी
कालाझाड़ से चित्रशाला 4 किमी
चित्रशाला से चिंतामन 1 किमी
चिंतामन से पश्चिम द्वार 1 किमी
पश्चिम द्वार से नागद्वारी 2.5 किमी
नागद्वारी से काजरी 2 किमी
काजरी से कालाझाड़ 4 किमी
विभिन्न शहरों से पचमढ़ी की दूरी
दिल्ली 913 किमी
मुंबई 864 किमी
छिंदबाड़ा 134 किमी
जबलपुर 244 किमी
भोपाल 195 किमी
इटारसी 195 किमी
नागपुर 258 किमी
पिपरिया 54 किमी