अस्पताल में रखना पड़ता है शव-
पीएम कक्ष में बिजली की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में शाम होने के बाद कक्ष में अंधेरा होने से शव परीक्षण नहीं हो पाता है। मजबूरन शवों को रात में अस्पताल परिसर में रखना पड़ता है। नियमानुसार अस्पताल परिसर में ही पोस्टमार्टम कक्ष एवं शवगृह होना चाहिए। लेकिन उच्च अधिकारियों की अनदेखी व उदासीनता के चलते स्थानीय अस्पताल में यह व्यवस्था नहीं है। दुर्घटना या अन्य कारणों से मौत होने पर शव को पीएम के लिए अस्पताल लाया जाता है। व्यवस्थाओं के अभाव में शव को खुले में रखना पड़ता है। मृतक के परिजनों को भी परिसर के बाहर ही शव के पास बैठकर समय काटना पड़ता है। लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में शव कक्ष निर्माण किया जाना चाहिए।
इनका कहना है
उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर पोस्टमार्टम कक्ष को दुरूस्त कराने की मांग की जाएगी।
केके नागवंशी, सीएचएमओ, हरदा
पीएम कक्ष में बिजली की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में शाम होने के बाद कक्ष में अंधेरा होने से शव परीक्षण नहीं हो पाता है। मजबूरन शवों को रात में अस्पताल परिसर में रखना पड़ता है। नियमानुसार अस्पताल परिसर में ही पोस्टमार्टम कक्ष एवं शवगृह होना चाहिए। लेकिन उच्च अधिकारियों की अनदेखी व उदासीनता के चलते स्थानीय अस्पताल में यह व्यवस्था नहीं है। दुर्घटना या अन्य कारणों से मौत होने पर शव को पीएम के लिए अस्पताल लाया जाता है। व्यवस्थाओं के अभाव में शव को खुले में रखना पड़ता है। मृतक के परिजनों को भी परिसर के बाहर ही शव के पास बैठकर समय काटना पड़ता है। लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पताल में शव कक्ष निर्माण किया जाना चाहिए।
इनका कहना है
उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर पोस्टमार्टम कक्ष को दुरूस्त कराने की मांग की जाएगी।
केके नागवंशी, सीएचएमओ, हरदा