प्रदेश के इस शहर में नर्मदा का सौंदर्य देता है अलौकिक शांति
धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के चलते आस्था का केंद्र बना आंवली घाट, हरिद्धार में हर की पौड़ी की तर्ज पर हो रहा विकास

होशंगाबाद ( गोविंद चौहान ) . प्रदेश का होशंगाबाद जिला पौराणिक महत्व एवं प्राकृतिक सौंदर्य की छटा बिखेरने में कहीं से पीछे नहीं हैं। नर्मदांचल में फैली सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वतों की वादियों में जहां सौंदर्य बिखरा वड़ा है वहीं कल कल बहती नर्मदा अपने विभिन्न तटों पर आत्मिक व आलौकिक शांति का अनुभव कराती है। इन्हीं तटों में से एक है सिवनी मालवा का आवंलीघाट नर्मदा तट। यहां की सुंदरता अपने आप में अलग ही है यहां का सौंदर्य कल-कल बहती नर्मदा की निर्मल धारा के बीच आलौकिक शांति देता है। सिवनी मालवा तहसील में नर्मदा के भव्य मंदिर व घाट हैं। इनमें आंवली घाट, बावरी घाट, भिलाडिय़ा घाट प्रमुख हैं किंतु आंवली घाट का विशेष महत्व माना जाता है। यहीं पर हथेड़ नदी ओर नर्मदा का संगम स्थल भी है।
कहां हैं आंवली घाट
होशंगाबाद-हरदा सड़क मार्ग पर उत्तर दिशा में स्थित है। तहसील मुख्यालय सिवनी मालवा से आंवली घाट की दूरी लगभग 27 किमी है वहीं होशंगाबाद-हरदा मुख्य मार्ग पर स्थित धरमकुंडी से यहां की दूरी लगहभग 18 किमी है। यहां पहुंचने के लिए मुख्य घाट तक पक्की सड़क है जिसके चलते वाहनों का आवागमन सुगमता से हो जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए बस सुविधा उपलब्ध है एवं स्वयं के वाहनों से भी पहुंचा जा सकता है।



आंवलीघाट का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से आंवली घाट का खासा महत्व है। पुराणों के अनुसार नर्मदा के किसी भी घाट पर मां नर्मदा के दर्शन और स्नान करने मात्र से अक्षय पुण्य लाभ अर्जित होता है साथ ही दुष्प्रवृत्तियों का नाश हो जाता है। इसी मान्यता के चलते यहां प्रति माह अमावस्या एवं पूर्णिमा पर हजारों की तादात में दूर-दूर से लोग पवित्र नर्मदा में डुबकी लगाने पहंचते हैं। यहां पर हत्याहरणी हथेड नदी एवं नर्मदा का संगम स्थल हैं। इस कारण इसका महत्व अधिक हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां वर्ष में दो बार गंगा दशमी एवं आंवला नवमीं पर प्रति वर्ष भीम नर्मदा नदी में स्नान करने आते हैं। इन तिथियों के आसपास यहां नदी के पास रेत में भीम के पैरों के निशान भी देखने को मिलते हैं। आंवलीघांट पर उत्तर की ओर ब्रम्हयोनी हैं इसमें से होकर निकलने पर मन की सभी मुरादें पूरी होती हैं। उत्तर तट पर ही मां नर्मदा के प्राचीन मंदिर हैं. वहीं दक्षिण तट पर प्राचीन नर्मदा मंदिर, धुनीवाले बाबा खंडवा का समाधि स्थल, भगवान शंकर का मंदिर, हनुमान मंदिर एवं अनेक धर्मशालाएं हैं। यहां सबसे प्राचीन नर्मदा मंदिर हैं । आंवली घाट से दो किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में ग्राम ग्वाडी हैं। यहां भावनाथ बाबा की पहाडी है। यहां सैंकड़ों वर्ष पुराना श्री नागेश्वर मंदिर के पाषाण शिलाखंड मौजूद हैं। आंवली घाट पर श्री धुनीवाले दरबार के पास एक भव्य शंकर मंदिर में भगवान शंकर एवं शिवलिंग प्रतिमा स्थापित हैं।
यह है पौराणिक महत्व
आंवली घाट पर लक्ष्मीकुंड, ब्रम्हपास भावनाथ बाबा की टेकरी आदि दर्शनीय स्थल और पौराणिक महत्व के स्थान हैं। नर्मदा के इस पवित्र घाट को लेकर पुराणों में अनेक किवदंतियां मिलती हैं। ऐसा माना जाता है कि आंवली घाट महाभारत युग में पांडवों की तपस्या स्थली था तथा उन्होंने वनवास के समय उनका निवास यहीं पर था। यहां से एक किलोमीटर कुंतीपुर नगर एवं हस्तिनापुर है जो कि वर्तमान में कूल्हड़ा ओर हथनापुर के नाम से जाने जाते हैं। ऐसी किवदंती है कि महाभारत युग में भीम द्वारा मां नर्मदा से शादी करने के लिए नर्मदा नदी का जल प्रवाह रोकने के लिए जो चट्टाने यहां नर्मदा में डाली थीं, वह आज भी वहीं जमीं हैं। किवदंती के अनुसार ही लक्ष्मीजी रथ पर सवार होकर यहां कुंती से मिलनें आई थी। उस रथ के चाक के निशान आज भी पत्थरों पर दिखाई देते हैं।
विकास से जुड़ा आंवली घाट
आंवलीघाट की दिनों दिन बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए पिछले कुछ सालों से यह स्थान विकास की मुख्य धारा से जुड़ गया है। करोड़ों रुपए की लागत से यहां विकास कार्य किए जा रहे हैं। हरिद्वार में हर की पौड़ी की तरह आंवलीघाट पर भी विकास कार्य किए जा रहे हैं। इसी के चलते यहां भगवान शंकर की 71 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई गई है जो प्रदेश की तीसरी सबसे उंची प्रतिमा मानी जा रही है। इसके अलावा यहां लोक निर्माण विभाग द्वारा 327.45 लाख की लागत से रेस्ट हाउस का निर्माण किया गया है। इतना ही नर्मदा के उत्तर एवं दक्षिण तटों को आपस में जोडऩे के लिए यहां नर्मदा ब्रिज का काम चल रहा है। 40 करोड़ की लागत से बन रहे इस पुल का काम 80 फीसदी पूरा हो चुका है। शेष 20 फीसदी काम बाकी है। ब्रिज की लंबाई 630 मीटर और चौड़ाई 8.40 मीटर रहेगी। ब्रिज बनने से सिवनी मालवा से सलकनपुर, भोपाल, रेहटी का सफर सीधा होगा।
अब पाइए अपने शहर ( Hoshangabad News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज