नर्मदा किनारे प्रतिबंध की अनदेखी: सौ फीट तक पक्के निर्माण पर रोक, फिर भी तने गए बहुमंजिला भवन
सदरबाजार-कोठीबाजार सहित कलेक्ट्रेट-कमिश्नर भवन के पीछे खत्म हो रहा तटक्षेत्र और हरियाली, बांद्राभान से लेकर करबला घाट नर्मदा पुल तक के बीते सालों में हुए पौधरोपण भी हो गए नष्ट
होशंगाबाद
Published: March 11, 2022 11:05:18 am
नर्मदापुरम. शहर में नर्मदा नदी के किनारे सौ फीट अथवा तीस मीटर के दायरे तक किसी भी तरह के निर्माण की प्रशासन से अनुमति नहीं है। इस पर पूरी तरह रोक के बाद भी आलीशान पक्के भवन-मकानों का निर्माण निरंतर हो रहा है। हाईकोर्ट ने भी ऐसे निर्माणों पर पहले से ही प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन कोरीघाट, सेठानीघाट, विवेकानंद घाट कोठीबाजार, कलेक्टे्रट-कमिश्नरी भवन के पीछे आसपास लगातार निर्माण कार्य से नर्मदा तटों पर खतरा पैदा हो गया है। अधिकारियों के कार्यालय भवनों के पीछे और आसपास की हरियाली नष्ट होने के साथ ही जल प्रदूषण भी बढ़ रहा। बीते माह कोरीघाट पर मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण की शिकायत के बाद निर्माण कार्य को प्रशासन की टीम ने बंद करवा दिया था। शिकायत कर्ता ने वायलेंस को लेकर हाईकोर्ट की शरण भी ली है। बता दें कि शहरी सीमा में तट के किनारे पहले से निर्मित सैकड़ों मकानों का सीवेज भी सीधे नर्मदा नदी में बहाया जा रहा है। इसे रोकने या ट्रीटमेंट करने के न तो मालिकों के पास कोई उपाय है और न ही नपा कोई इंतजाम कर पाई है। नपा की पीडब्ल्यूडी-निर्माण शाखा भी सिर्फ निर्माण की एनओसी जारी कर नियमों का पालन कराना भूल गई।
तट व हरियाली को पहुंच रहा नुकसान
नर्मदा किनारे शहरी सीमा की ही बात करें तो बांद्राभान से लेकर खर्राघाट तक के करीब चार से पांच किमी एरिया में बीते सालों में तटों व किनारों पर निर्माण होते चले गए। पूर्व के नपा व प्रशासन के अधिकारियों ने इन्हें रोकने की जहमत नहीं उठाई। पक्के मकान, भवनों के निर्माण प्रतिबंध के बाद भी जारी है। नपा के संबंधित एनओसी शाखा के कर्मचारियों, उप यंत्री की अनदेखी से लगातार निर्माण की अनुमतियां भी नहीं रूकी है। टीएनसी की तमाम आपत्तियों के बाद भी निर्माण कार्य नहीं रूके। वर्तमान में भी कोरीघाट, विवेकानंद घाट और कोठीबाजार क्षेत्र में नर्मदा के किनारे व तटों से सटकर ही मकान-भवन और बाउंड्रीवॉल के निर्माण धड़ल्ले से किए जा रहे हैं। इनमें कुछ निर्माण तो बिना परमिशन एवं भूमि नामांतरण के भी चल रहे हैं। इन निर्माणों से तट क्षेत्र एवं इसकी हरियाली भी नष्ट हो रही है।
किनारों पर पौधरोपण भी नहीं हो पा रहे
जनअभियान परिषद व स्वयंसेवी संस्थाएं हर सप्ताह रविवार को शहर के नर्मदा घाटों पर स्वच्छता अभियान चलाते हैं। जिसमें सफाई के साथ ही पौधरोपण भी किए जाते हैं, लेकिन शहरी सीमा में कोरीघाट, मंगलवारा, राजघाट सहित बीटीआई मदारवाड़ा, करबला घाट तक के किनारे पर जो पिछले समय पौधे लगाए गए थे वह भी उजड़ चुके हैं। तट की भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण व कब्जे कर अवैध निर्माण कर लिए। इस वजह से जगह ही नहीं बचने से पौधरोपण भी नहीं हो पा रहे। घाटों के आसपास भी नालों का कटाव बढ़ रहा है। विवेकानंद घाट पर बीते 7 मार्च को यहां फिर से पौधरोपण कर 650 पौधे लगाए गए हैं।
इनका कहना है...
शहरी सीमा में नर्मदा किनारे पौधरोपण को बढ़ाने के लिए स्वयंसेवी संगठनों की मदद से अभियान चलाया जा रहा है। बीते दिवस विवेकानंद घाट के आसपास 650 पौधे लगवाए हैं। जहां तक अतिक्रमण की बात है तट किनारे बिना अनुमति या तय दूरी के अंदर जो भी पक्के निर्माण हो रहे, इन्हें रोका जाएगा। अवैध निर्माण को हटाएंगे।
-शैलेंद्र बड़ौनिया, सिटी तहसीलदार व नपा प्रभारी नर्मदापुरम
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नर्मदा किनारे प्रतिबंध की अनदेखी: सौ फीट तक पक्के निर्माण पर रोक, फिर भी तने गए बहुमंजिला भवन
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