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bandrabhan mela नहीं लगेगा कार्तिक मेला, तवा-नर्मदा संगम पर सुबह 6 से शाम 5 बजे तक स्नान की अनुमति

locationहोशंगाबादPublished: Nov 17, 2021 06:18:45 pm

Submitted by:

sandeep nayak

कोरोना के कारण लिया निर्णय

जब भोपाल तक भीड़ जा सकती तो मेला क्यों नहीं? बांद्राभान मेला निरस्त होने पर असंतोष

जब भोपाल तक भीड़ जा सकती तो मेला क्यों नहीं? बांद्राभान मेला निरस्त होने पर असंतोष

होशंगाबाद. तवा-नर्मदा नदी के संगम स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले 3 दिवसीय बांद्राभान मेले को लेकर मंगलकर को अंतिम निर्णय लिया गया। मेला स्थगित करने पर निर्णय लिया गया। बांद्राभान में न मेला आयोजित होगा और न कोई दुकानें लगेंगी। संगम पर स्नान करने पर रोक नहीं रहेगी। पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं को सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक स्नान, पूजन की अनुमति रहेगी। स्नान और पूजन-पाठ को लेकर सुरक्षा व्यवस्था और प्रकाश की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जाएगी। कोरोना संक्रमण के कारण मेला निरस्त किया गया है।
मेले को लेकर विधायक विजयपाल सिंह, होशंगाबाद विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा सहित भाजपा जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को कलेक्टर से मुलाकात की। सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह ने बताया होशंगाबाद में 6 और सोहागपुर का एक व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव मिली थी। तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए बांद्राभान मेला निरस्त करने पर निर्णय का हुआ है। हालांकि मेला धार्मिक और आस्था का केंद्र है। स्नान और पूजन को लेकर बैठक में चर्चा की गई। जिसमें निर्णय हुआ कि पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं को सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक स्नान, पूजन की अनुमति दी जाएगी। सुरक्षा और प्रकाश व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जाएगी। इस दौरान होशंगाबाद, सोहागपुर विधायक, जिला पंचायत सीईओ सरयाम, भाजपा जिला महामंत्री प्रसन्ना हर्णे, मंडल अध्यक्ष सागर शिवहरे, विकास नारोलिया मौजूद रहे।
पूर्णिमा में मेला और स्नान पर लगी पाबंदी हटाने की मांग
पिपरिया. कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले मेला व स्नान पर लगी पाबंदी हटाने को लेकर सीएम के नाम एसडीएम नितिन टाले को कांग्रेस विधान सभा प्रवक्ता राजेन्द्र सोनिया ने ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम् से कहा कि शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा पर शासन के द्वारा स्नान को प्रतिबंधित किया है वहीं 15 को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर प्रशासन ने प्रदेश भर से भारी भीड़ भोपाल में जुटाई थी। प्रशासन को लोगों की आस्था का ध्यान रखते हुए सार्थक निर्णय लेने की जरूरत है।

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