साहब पति से है जान का खतरा, मुझे न्याय चाहिए फिर कोर्ट ने यह सुनाया फैसला
शराबी पति धंधे के लिए मांगता था रुपए

बैतूल। साहब मुझे पति से जान का खतरा ैहै। वह रोज शराब पीकर मारपीट करता है। धंधे के लिए दो लाख रुपए की मांग करता है। शराबी पति की मारपीट से परेशान एक पत्नी ने पति से अलग रहने न्यायालय में याचिका दायर की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने विवाह को विघटित कर पति-पत्नी नहीं रहने का फैसला सुनाया है।
पीडि़त महिला के अधिवक्ता उदयराम शिंदे ने बताया कि चंद्रशेखर वार्ड निवासी शारदा अग्रवाल का विवाह ग्रीन सिटी निवासी अभय अग्रवाल से १७ जुलाई २०१० को हुआ था। दोनों का तीन वर्षीय पुत्र रौनक है। अभय शादी के बाद से ही शराब पीने के बाद धंधा करने के लिए पत्नी से दो लाख रुपए लाने के लिए कहता था।
पैसे नहीं लाने पर पति द्वारा पत्नी के साथ मारपीट की जाती थी। इसकी शिकायत पत्नी ने गंज पुलिस चौकी में की गई थी। मानसिक और शारीरिक रुप से प्रताडि़त होकर शारदा ने अजाक थाने में भी शराबी पति की शिकायत की थी। उन्होंने पुलिस को बताया कि २८ मई २०१४ को पति ने पत्नी से मारपीट कर उसे भगा दिया। इसके बाद से ही महिला अपने पिता के घर सदर में रह रही है। इस दौरान पति ने बेटे के लिए भरण पोषण की व्यवस्था नहीं की और न कभी खोज खबर ली।
पत्नी ने पति से अपने विचारों में मतभेद के चलते भविष्य में दाम्पत्य जीवन निर्वाह करना अंसभव बताया। पति से जान का खतरा बताकर विवाह विच्छेद के लिए न्यायालय में याचिका दायर की। साथ ही वाद व्यय के रुपए में दस हजार दिलाने गुहार लगाई।
अधिवक्ता शिंदे ने बताया कि पीडि़ता की याचिका पर सुनवाई के बाद प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय वीरेन्द्र सिंह राजपूत ने पति और पत्नी के १७ जुलाई २०१० को संपन्न हुए विवाह को विघटित करने का फैसला दिया गया है। न्यायालय के फैसला सुनाने के बाद दोनों अब पति-पत्नी नहीं रहेंगे। प्रकरण की स्थिति को देखते हुए दोनों अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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