क्या था रिपोर्ट में
आध्यात्मिक संत भय्यू महाराज ने नर्मदा नदी पर अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार की थी। जिसमें नदी की दुर्दशा के कारणों का उल्लेख करने के साथ ही उसे संरक्षित करने के उपाय भी बताए गए थे। उनकी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा क्षेत्र के लोगों द्वारा किए जा रहे अवैध रेत उत्खनन का भी जिक्र था। उन्होंने मुख्यमंत्री को ही यह रिपोर्ट सौंपी थी। वह नर्मदा पर अध्ययन कर रहे थे। यह जानकारी सरकार को थी। इसी कारण कुछ दिन पहले नर्मदा संरक्षण को लेकर बनी विशेष समिति में मुख्यमंत्री ने उन्हें भी शामिल करते हुए राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। जिसे उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि नर्मदा हमारी आस्था, श्रद्धा और संस्कार का प्रतीक है। नर्मदा की सेवा समाज की सेवा है। वह उसकी सेवा आम आदमी की तरह करना चाहते हैं। राज्यमंत्री दर्ज का कोई भी लाभ नहीं लेंगे।
आध्यात्मिक संत भय्यू महाराज ने नर्मदा नदी पर अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार की थी। जिसमें नदी की दुर्दशा के कारणों का उल्लेख करने के साथ ही उसे संरक्षित करने के उपाय भी बताए गए थे। उनकी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा क्षेत्र के लोगों द्वारा किए जा रहे अवैध रेत उत्खनन का भी जिक्र था। उन्होंने मुख्यमंत्री को ही यह रिपोर्ट सौंपी थी। वह नर्मदा पर अध्ययन कर रहे थे। यह जानकारी सरकार को थी। इसी कारण कुछ दिन पहले नर्मदा संरक्षण को लेकर बनी विशेष समिति में मुख्यमंत्री ने उन्हें भी शामिल करते हुए राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। जिसे उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि नर्मदा हमारी आस्था, श्रद्धा और संस्कार का प्रतीक है। नर्मदा की सेवा समाज की सेवा है। वह उसकी सेवा आम आदमी की तरह करना चाहते हैं। राज्यमंत्री दर्ज का कोई भी लाभ नहीं लेंगे।
महाराज ने यह पाया था अध्ययन में
– ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड 2296 के प्रावधानों का भी जिक्र करते हुए कहा- नर्मदा का पानी ‘बीÓ कैटेगरी का हो गया है, जिसे सीधे नहीं पिया जा सकता।
– अवैध रेत उत्खनन से नर्मदा खतरे में है।
यह बताए थे उपाय
– नर्मदा के कैचमेंट के कोर एरिया को संरक्षित करें और उसे बढ़ाएं।
– बायोस्फियर के साथ एग्रीकल्चर लैंड को बढ़ाना होगा।
– ग्राउंड वॉटर रिचार्ज के लिए नर्मदा के किनारे निर्माणों को रोकना होगा। पहाड़ों की मिट्टी को कटने से रोकने के साथ उसे नदी में जाने से रोकना होगा।
– नर्मदा की 41 सहायक नदियां हैं। इन्हें जोडऩे के साथ ग्राउंड वाटर बढाऩे और बारिश के पानी के इस्तेमाल के लिए नालों को भी जोड़ा जा सकता है।
– शुष्क भूमि में जिस तरह से खेती होती है, वही पैटर्न अपना होगा। नई तकनीक से खेती को करने के लिए प्रेरित करना होगा।
– आदिवासियों को जागृत करने के साथ घरेलू व विदेशी पर्यटकों को भी पौधरोपण के लिए प्रेरित किया जाए।
– ‘नक्षत्र वनÓ नर्मदा के तटीय क्षेत्र में बनाने होंगे।
– धार्मिक व ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा। नदी के किनारे आश्रम बनें तो अच्छा होगा। मनरेगा से तटीय इलाकों में काम कराया जा सकता है।
– अवैध रेत उत्खनन और मशीनों से उत्खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना होगा।
– ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड 2296 के प्रावधानों का भी जिक्र करते हुए कहा- नर्मदा का पानी ‘बीÓ कैटेगरी का हो गया है, जिसे सीधे नहीं पिया जा सकता।
– अवैध रेत उत्खनन से नर्मदा खतरे में है।
यह बताए थे उपाय
– नर्मदा के कैचमेंट के कोर एरिया को संरक्षित करें और उसे बढ़ाएं।
– बायोस्फियर के साथ एग्रीकल्चर लैंड को बढ़ाना होगा।
– ग्राउंड वॉटर रिचार्ज के लिए नर्मदा के किनारे निर्माणों को रोकना होगा। पहाड़ों की मिट्टी को कटने से रोकने के साथ उसे नदी में जाने से रोकना होगा।
– नर्मदा की 41 सहायक नदियां हैं। इन्हें जोडऩे के साथ ग्राउंड वाटर बढाऩे और बारिश के पानी के इस्तेमाल के लिए नालों को भी जोड़ा जा सकता है।
– शुष्क भूमि में जिस तरह से खेती होती है, वही पैटर्न अपना होगा। नई तकनीक से खेती को करने के लिए प्रेरित करना होगा।
– आदिवासियों को जागृत करने के साथ घरेलू व विदेशी पर्यटकों को भी पौधरोपण के लिए प्रेरित किया जाए।
– ‘नक्षत्र वनÓ नर्मदा के तटीय क्षेत्र में बनाने होंगे।
– धार्मिक व ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा। नदी के किनारे आश्रम बनें तो अच्छा होगा। मनरेगा से तटीय इलाकों में काम कराया जा सकता है।
– अवैध रेत उत्खनन और मशीनों से उत्खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना होगा।