सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट: जनता के पैसों की बर्बादी, जिम्मेदार कौन?
नौ माह में 50 लाख खर्च, अब बदल गई जमीन, फिर नए सिरे से काम करेगी कंपनी

होशंगाबाद. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के लिए नगर पालिका को भोपाल तिराहे के पास नई जमीन मिल गई है, लेकिन केएफडब्यलू कंपनी ने मार्च में काम शुरू करअब तक पुरानी जगह पर नौ माह में लगभग 50 लाख रुपए खर्च कर दिए। इसमें बाउंडी्र वॉल के साथ ही एक टैंक के लिए खुदाई की गई। पानी की सप्लाई के लिए बोर किया गया वहीं मिट्टी परीक्षण की प्रक्रिया भी पूरी हो गई थी। अब नपा ने कंपनी को नई जगह दे दी है। जनता के टैक्स की यह राशि फिजूल खर्च हुई।
अब जल्द भोपाल तिराहे पर बनेगा 200 करोड़ का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
अब कंपनी को दोबारा काम शुरू करने में समय लगेगा। क्योंकि प्रशासन ने नपा को भले ही आदेश दे दिया हो लेकिन निर्माण एजेंसी को एमपीयूडीसी से अभी तक निर्माण की हरी झंडी नहीं मिली है। कलेक्टर के आदेश के आधार पर एमपीयूडीसी एजेंसी को आदेश जारी करेगी तब एसटीपी का काम शुरू होगा।
पुरानी जमीन पर गौशाला बनाने की योजना
नगर पालिका पहले किशनपुरा क्षेत्र में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बना रही थी। हालांकि प्लांट के लिए एप्रोच रोड की व्यवस्था न हो पाने की वजह से एसटीपी को भोपाल तिराहे के पास शिफ्ट करना पड़ा। प्लांट भले ही स्वीकृत हो गया हो लेकिन उक्त जमीन पर गौशाला बनाने की नपा की योजना है। नपा को कड़ी मशक्कत के बाद उक्त जमीन मिली है इसलिए नपा बाउंड्री बाल का निर्माण पूरा करवा रही है जिससे भविष्य में किसी प्रकार का कोई अतिक्रमण उक्त जमीन पर न हो। अधिकारियों की माने तो उक्त जमीन पर गौशाला बनाने का प्रस्ताव पीआईसी में स्वीकृत कराया जाएगा।
फाउंडेशन का बदलेगा डिजाइन
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भोपाल तिराहे के पास बन रहा है। नपा को जो नई जगह मिली है वहां फाउंडेशन का डिजाइन कंपनी को बदलना पड़ेगा। दरअसल पहले किशनपुरा क्षेत्र में सीवेज ट्रेटमेंट प्लांट बन रहा था वहां जमीन समतल थी। यही कारण है कि पूर्व निर्धारित जगह पर फाउंडेशन का ज्यादा काम नहीं था लेकिन यहां कंपनी को कॉलम के सहारे जमीन को नेशनल हाइवे की ऊंचाई तक लाना होगा।
मिली नई जमीन
मप्र शहरी विकास कंपनी लिमिटेड के साथ हुए अनुबंध के आधार पर 29 सितंबर 2018 को एसटीपी की स्वीकृति हुई थी। साथ ही 28 सितंबर 2020 तक यह निर्माण कार्य पूरा होना है। अनुबंध होने के 14 महिने बाद नपा कंपनी को एसटीपी के लिए स्थायी जगह मुहैया करा पाई है। ऐसे में 10 महिने में काम पूरा होना संभव नहीं है। जमीन बदलने से प्रोजेक्ट के पूरा होने में भी समय लगेगा।
सर्वे में लगेगा एक महिना
पंपिंग स्टेशन से नए प्लांट तक पाइप लाइन बिछाने के लिए कंपनी दोबारा सर्वे करेगी। सर्वे के बाद पाइप लाइन बिछाने का फाइनल डिजाइन तैयार होगा। नए डिजाइन में लागत बढऩे का अनुमान कम ही है। अधिकारियों का मानना है कि पंपिंग स्टेशन से ट्रीटमेंट प्लांट तक जाने वाली पाइप लाइन की लंबाई कहीं बढ़ेगी तो कहीं कम भी होगी। पाइप लाइन का सर्वे होने और नया डिजाइन तैयार होने में एक महिने का समय लगने का अनुमान है। हालांकि अधिकारी भोपाल तिराहे के पास ट्रीटमेंट प्लांट का काम शुरू होने की बात कह रहे हैं।
मामूली फेरबदल होगा
एसटीपी के डिजाइन में कोई फेरबदल नहीं है सिर्फ फाउंडेशन तैयार करने के लिए पहले के डिजाइन में मामूली फेरबदल होगा। नए काम के लिए जो राशि बढ़ेगी उसका प्रस्ताव बनाकर कंपनी एमपीयूडीसी को देगी इसके बाद राशि स्वीकृत की जाएगी।
एलएस बघेल, प्रोजेक्ट इंचार्ज, एमपीयूडीसी
बदलाव में एक माह का लगेगा समय
एसटीपी के डिजाइन में तो बदलाव नहीं है लेकिन पंपिंग स्टेशन से आने वाली पाइप लाइन के लिए दोबारा सर्वे किया जाएगा। एसटीपी का काम जो शुरू हो गया है सर्वे के बाद भोपाल तिराहे तक पाइप लाइन भी बिछाई जाएंगी।
आरसी शुक्ला, सब इंजीनियर, नपा
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