सबसे पहले कर्ण ने की थी पूजा
सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की थी। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अघ्र्य देता। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था। आज भी छठ में अघ्र्य दान की यही पद्धति प्रचलित है। छठ पर्व सूर्य षष्ठी व डाला छठ के नाम से जाना जाता है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है पहला चैत्र शुक्ल षष्ठी को और दूसरा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को, हालांकि षष्ठी तिथि को मनाया जाने के कारण छठ पर्व कहते हैं लेकिन यह पर्व और इसकी पूजा सूर्य से जुड़े होने के कारण सूर्य की आराधना से ताल्लुक रखने के कारण इसे सूर्य षष्ठी कहते हैं। इसमें भगवान सूर्य के अलावा उनकी छोटी बहन छठ मैय्या की उपासना की जाती है। इनके बारे में मान्यता है कि यह बड़ी ही दुलाली होती है और छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाती हैं। इसलिए छठ पूजा के दौरान कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की थी। कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त था। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अघ्र्य देता। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बना था। आज भी छठ में अघ्र्य दान की यही पद्धति प्रचलित है। छठ पर्व सूर्य षष्ठी व डाला छठ के नाम से जाना जाता है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है पहला चैत्र शुक्ल षष्ठी को और दूसरा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को, हालांकि षष्ठी तिथि को मनाया जाने के कारण छठ पर्व कहते हैं लेकिन यह पर्व और इसकी पूजा सूर्य से जुड़े होने के कारण सूर्य की आराधना से ताल्लुक रखने के कारण इसे सूर्य षष्ठी कहते हैं। इसमें भगवान सूर्य के अलावा उनकी छोटी बहन छठ मैय्या की उपासना की जाती है। इनके बारे में मान्यता है कि यह बड़ी ही दुलाली होती है और छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाती हैं। इसलिए छठ पूजा के दौरान कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पूजा में बरतें ये 7 सावधानियां
– छठ मैय्या का प्रसाद बनाते समय पवित्रता का ध्यान रखें।
– प्रसाद तैयार करने वाले को प्रसाद तैयार होने तक तक कुछ नहीं खाना चाहिए।
– प्रसाद को पैर नहीं लगाना चाहिए।
– सूर्य को अघ्र्य देते समय चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के बने बर्तनों से अघ्र्य नहीं देना चाहिए।
– मैय्या की मनौती को नहीं भूलना चाहिए। जो मनौती हो उसे समय पर पूरा कर लेना चाहिए।
– प्रसाद जहां बन रहा हो वहां भोजन नहीं करना चाहिए। इससे पूजा अशुद्ध माना जाता है।
– व्रत करने वाले को कभी भी बुरा भला नहीं कहना चाहिए। ऐसा करने से पूजा का लाभ आपको नहीं मिलता।
– छठ मैय्या का प्रसाद बनाते समय पवित्रता का ध्यान रखें।
– प्रसाद तैयार करने वाले को प्रसाद तैयार होने तक तक कुछ नहीं खाना चाहिए।
– प्रसाद को पैर नहीं लगाना चाहिए।
– सूर्य को अघ्र्य देते समय चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के बने बर्तनों से अघ्र्य नहीं देना चाहिए।
– मैय्या की मनौती को नहीं भूलना चाहिए। जो मनौती हो उसे समय पर पूरा कर लेना चाहिए।
– प्रसाद जहां बन रहा हो वहां भोजन नहीं करना चाहिए। इससे पूजा अशुद्ध माना जाता है।
– व्रत करने वाले को कभी भी बुरा भला नहीं कहना चाहिए। ऐसा करने से पूजा का लाभ आपको नहीं मिलता।