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खुलासा: इन कारणों से जन्म से पहले गर्भ में ही बहरे हो रहे बच्चें

locationहोशंगाबादPublished: Aug 22, 2018 07:07:48 pm

Submitted by:

poonam soni

आदिवासी इलाकों में हर तीन दिन में मिल रहा एक मासूम

Children deaf before birth

खुलासा: इन कारणों से जन्म से पहले गर्भ में ही बहरे हो रहे बच्चें

होशंगाबाद. मां को पोषण आहार नहीं मिलने और जागरूकता के अभाव में गर्भ में ही बच्चे बहरेपन का शिकार हो रहे हैं। यह समस्या सर्वाधिक आदिवासी बहुल क्षेत्रों में है। यहां गर्भवती माताओं को सही पोषण आहार नहीं मिलने के कारण उनके बच्चों का पूरी तरह दिमागी विकास नहीं हो पा रहा है। यह खुलासा जिला स्वास्थ्य विभाग के आरबीएसके राष्ट्रीय बाल सुरक्षा योजना के सर्वे में हुआ है। जिसमें बताया गया कि हर तीन से चार दिन के अंतराल में एक बच्चा बहरेपन की चपेट में आ रहा है। इन तीन सालों में अभी तक 48 बच्चें मिल चुके है। जिनमें से अभी तक स्वास्थ्य विभाग 28 बच्चों का इलाज करा चुका है। जिला समन्वयक बिजेन्द्र वर्मा ने बताया कि गर्भवती महिलाएं तेज ध्वनि जैसे डीजे आदि के सामने खड़ी हो जाती है, इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। वह बहरेपन का शिकार हो जाता है। इस समस्या की दूसरी बड़ी वजह गर्भवती महिलाओं द्वारा आर्यन फॉलिक ऐसिड नहीं लेना भी है।

दो महीने में छह बच्चों का हुआ ऑपरेशन
जुलाई अगस्त में छह बच्चे का और ऑपरेशन किया गया है।
ऐसे पहचानें बच्चों को
तेज आवाज पर चौंककर न उठना, तेज आवाज पर न रोना, माँ की आवाज को न पहचानना, आवाज की तरफ न देखना, नाम पुकारने पर न देखना, नई आवाज पर न देखना, घ्ंाटी, रेल, कुत्ते, कार, हार्न आदि की आवाज न पहचानना आदि लक्षण बच्चो में पाए जाते हैं।

जन्म से छह साल तक के मासूम ज्यादा
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन साल में लगभग 48 बच्चों को चिंहित किया गया। इनमें जन्म से लेकर छह साल तक के बच्चे सबसे ज्यादा हैं। अभी तक 28 बच्चों का कांकलियर इम्प्लांट करा चुके हैं। कांकलियर इम्प्लांट कराने के एक साल बाद बच्चों में सुधार नजर आने लगता है। जिन बच्चों को ऑपरेशन से फायदा नहीं हुआ उन्हे श्रवण यंत्र मशीन उपलब्ध करा दी गई है।
1. काउंसलिग के दौरान सामने आया है कि ब्रेन का पार्ट डेवलप न होने से यह स्थिति बनी। 90 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं गर्भकाल के दौरान देखरेख नही कर पाती है। न्यूट्रिशन की कमी, ऑयन फॉलिक एसिड की कमी, पोषण आहार की कमी, समय से पहले प्रसव, जन्म के बाद बच्चें का गिरना सिर पर चोट लगना की वजह से अब तक 48 से ज्यादा श्रवण बाधित बच्चों को चिंहित किया है। इसलिए गर्भकाल के दौरान नौ माह में पांच से छह बार जांच जरूर कराए इसके साथ ही फेट, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, मल्टीविटामिन, मिनरल्स जैसी चीजे लेता रहना चाहिए।
डॉ. मोइन अख्तर, चिकित्सक अधिकारी, जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र
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