घर में एक मोबाइल, कृषि भूमि के दो खाते, नहीं हो रहा पंजीयन
हरदा. यदि आपके घर में एक मोबाइल है और कृषि भूमि के दो अलग-अलग नाम के खाते हैं तो खरीफ उपज खरीदी का पंजीयन नहीं हो सकेगा। ऐसे ही एक मामले में सहकारी समिति के ऑपरेटर द्वारा इंकार किए जाने के बाद पीडि़त महिला किसान ने कलेक्टर से शिकायत की है। देवतलाब की किसान कृष्णा पति सेवाराम कोरकू ने बताया कि उसके नाम से ०.५६६ हेक्टेयर भूमि है। जब इसका पंजीयन कराने सहकारी समिति अबगांव कला गए तो ऑपरेटर ने मोबाइल नंबर मांगा। घर में जो मोबाइल है उसका नंबर दिया तो कहा गया कि दूसरा नंबर दिया जाए। कृष्णा बाई के मुताबिक उनके पति के नाम से भी कृषि भूमि है। इसके पंजीयन के दौरान घर का मोबाइल नंबर दिया जा चुका है। नियमों की आड़ में किसानों को परेशान किया जा रहा है। कृष्णा बाई के मुताबिक निरक्षर होने के कारण उन्हें मोबाइल चलाना नहीं आता। अलग से नंबर मांगा जाने से अब उन्हें दूसरा मोबाइल खरीदना पड़ेगा। ऐसी स्थिति जिले के कई किसानों की है। शासन को पंजीयन नियम इस तरह बनाना चाहिए, जिससे किसान बेवजह परेशान न हो। थोड़े से मुनाफे के लिए उन्हें उपज बेचने से पहले ही मोटी रकम खर्च न करना पड़े।
हरदा. यदि आपके घर में एक मोबाइल है और कृषि भूमि के दो अलग-अलग नाम के खाते हैं तो खरीफ उपज खरीदी का पंजीयन नहीं हो सकेगा। ऐसे ही एक मामले में सहकारी समिति के ऑपरेटर द्वारा इंकार किए जाने के बाद पीडि़त महिला किसान ने कलेक्टर से शिकायत की है। देवतलाब की किसान कृष्णा पति सेवाराम कोरकू ने बताया कि उसके नाम से ०.५६६ हेक्टेयर भूमि है। जब इसका पंजीयन कराने सहकारी समिति अबगांव कला गए तो ऑपरेटर ने मोबाइल नंबर मांगा। घर में जो मोबाइल है उसका नंबर दिया तो कहा गया कि दूसरा नंबर दिया जाए। कृष्णा बाई के मुताबिक उनके पति के नाम से भी कृषि भूमि है। इसके पंजीयन के दौरान घर का मोबाइल नंबर दिया जा चुका है। नियमों की आड़ में किसानों को परेशान किया जा रहा है। कृष्णा बाई के मुताबिक निरक्षर होने के कारण उन्हें मोबाइल चलाना नहीं आता। अलग से नंबर मांगा जाने से अब उन्हें दूसरा मोबाइल खरीदना पड़ेगा। ऐसी स्थिति जिले के कई किसानों की है। शासन को पंजीयन नियम इस तरह बनाना चाहिए, जिससे किसान बेवजह परेशान न हो। थोड़े से मुनाफे के लिए उन्हें उपज बेचने से पहले ही मोटी रकम खर्च न करना पड़े।