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छात्र के आग्रह पर आलमपुर स्कूल में पहुंचे कलेक्टर

locationहोशंगाबादPublished: Sep 27, 2018 12:02:58 am

Submitted by:

sanjeev dubey

– मतदान केंद्र, प्रधानमंत्री आवास एवं आंगनबाड़ी कंद्र का निरीक्षण किया, अधिकारियों को दिए दिशा निर्देश

Collector at Alampur School

छात्र के आग्रह पर आलमपुर स्कूल में पहुंचे कलेक्टर

हरदा/आलमपुर. सर, आप हमारे गांव आलमपुर आए खुशी की बात है, पर दुख का विषय है कि आप हमारे स्कूल नहीं आए।यह बात कक्षा आठवीं में अध्ययनरत सुनील परते ने कलेक्टर एस. विश्वनाथन से गांव के मतदान केंद्र का निरीक्षण करने के दौरान कही। जिस पर उन्होंने छात्र के आग्रह को स्वीकारते हुए स्कूल पहुंचे। उन्होंने काफी देर तक बच्चों से पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद को लेकर चर्चाकी। बच्चों ने भी उनके सवालों का जवाब दिया। उन्होंने बच्चों को टॉफी बांटी। इसके बाद सोसायटी में किसानों के पंजीयन की जानकारी ली। ग्राम स्तर पर बने मतदान केंद्र का निरीक्षण किया। आंगनबाड़ी में बच्चों को मिल रहे मीनू के अनुसार मध्यान्ह भोजन के बारे में जानकारी प्राप्त की। प्रधानमंत्री आवासों को देखा और हितग्राहियों से चर्चा की। गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के लिए पंचायत एवं उपयंत्री को निर्देश दिए। स्कूल में शिक्षकों की कमी तथा स्कूल ग्राउंड में बाउंड्रीवाल बनाने की मांग की। उन्होंने उक्त दोनों समस्याएं हल कराने का आश्वासन दिया। इसके पहले कलेक्टर ने टिमरनी चिकित्सालय का निरीक्षण भी किया। भ्रमण के दौरान कलेक्टर ने बनाए जा रहे पिंक पोलिंग बूथ देखे। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर विश्वनाथन के साथ अपर कलेक्टर बीएल कोचले, तहसीलदार अलका एक्का, जिला पंचायत अधिकारी सीईओ एचएस मीना, पंचायत निरीक्षक एलएल बिल्लौरे, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी आपूर्ति पटेल, महिला एवं बाल विकास अधिकारी संयोगिता राजपूत एवं प्राथमिक शाला प्राचार्य एएल बेडरिया, ओपी चौधरी, सरपंच केवलराम बुच, उपसरपंच गोपाल दीक्षित, सचिव योगेंद्रसिंह तोमर, सहायक सचिव संजीव देवड़ा आदि मौजूद थे।
घर में एक मोबाइल, कृषि भूमि के दो खाते, नहीं हो रहा पंजीयन
हरदा. यदि आपके घर में एक मोबाइल है और कृषि भूमि के दो अलग-अलग नाम के खाते हैं तो खरीफ उपज खरीदी का पंजीयन नहीं हो सकेगा। ऐसे ही एक मामले में सहकारी समिति के ऑपरेटर द्वारा इंकार किए जाने के बाद पीडि़त महिला किसान ने कलेक्टर से शिकायत की है। देवतलाब की किसान कृष्णा पति सेवाराम कोरकू ने बताया कि उसके नाम से ०.५६६ हेक्टेयर भूमि है। जब इसका पंजीयन कराने सहकारी समिति अबगांव कला गए तो ऑपरेटर ने मोबाइल नंबर मांगा। घर में जो मोबाइल है उसका नंबर दिया तो कहा गया कि दूसरा नंबर दिया जाए। कृष्णा बाई के मुताबिक उनके पति के नाम से भी कृषि भूमि है। इसके पंजीयन के दौरान घर का मोबाइल नंबर दिया जा चुका है। नियमों की आड़ में किसानों को परेशान किया जा रहा है। कृष्णा बाई के मुताबिक निरक्षर होने के कारण उन्हें मोबाइल चलाना नहीं आता। अलग से नंबर मांगा जाने से अब उन्हें दूसरा मोबाइल खरीदना पड़ेगा। ऐसी स्थिति जिले के कई किसानों की है। शासन को पंजीयन नियम इस तरह बनाना चाहिए, जिससे किसान बेवजह परेशान न हो। थोड़े से मुनाफे के लिए उन्हें उपज बेचने से पहले ही मोटी रकम खर्च न करना पड़े।

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