अफसरों के कार्रवाई कर निकलते ही माफिया सक्रिय और दिन में ही अवैध उत्खनन शुरू हो गया। दरअसल रेत माफिया ने पुलिस, प्रशासन और खनिज विभाग में अपने मुखबिर बना लिए हैं। यह मुखबिर ड्राइवर और बाबू से लेकर अफसर तक हैं, जो खुद उन्हें कार्रवाई की सूचना पहले दे देते हैं। इसके अलावा अफसरों के दफ्तर, घर और रास्तों पर मुखबिर तैनात कर रखे हैं। जो पुलिस या प्रशासन की गाडिय़ां निकलते ही उन्हें सतर्क कर देते हैं।
शुक्रवार की रात बाबई की मनवाड़ा तवा अवैध खदान पर छापा मारने पहुंचे नायब तहसीलदार अतुल श्रीवास्तव, आरआई और तीन पटवारियों पर हमला हुआ था। उनकी गाड़ी में तोडफ़ोड़ की गई थी। सोमवार को बनखेड़ी के दूधी नदी पर कार्रवाई करने पहुंची नायब तहसीलदार निधि पटेल को हथियारों से लैस दो कारों से आये रेत माफिया के गुर्गों ने घेर लिया था। इससे पहले सिवनी मालवा में भी हमला हो चुका है। इससे निचले अमले में खौफ व्याप्त हो गया था।
आरटीओ ने मगलवार को गत दिवस जासलपुर से जब्त 30 डंपरों की एसएनजी ग्राउंड पहुंचकर जांच की। जिसमें एक डंपर पर दो-दो नंबर मिले। कुछ में स्पष्ट नंबर नहीं मिले कुछ में नंबर ही गायब थे। अन्य दस्तावेज जांचे। शाम को रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी। इनमें दो नंबर पाए जाने वाले वाहन पर धोखाधड़ी का अपराध दर्ज हो सकता है।