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कांग्रेस के दिग्गज नेता हजारी लाल का निधन, उनके लिए इंदिरा गांधी ने कहा था मूंछ वाले रघुवंशी को बनाना मंत्री

locationहोशंगाबादPublished: Apr 09, 2020 04:15:29 pm

Submitted by:

poonam soni

इमरजेंसी के बाद पहली बार विधायक बने थे दादा

कांग्रेस के दिग्गज नेता हजारी लाल का निधन, उनके लिए इंदिरा गांधी ने बोला था मूंछ वाले रघुवंशी को बनाना मंत्री

कांग्रेस के दिग्गज नेता हजारी लाल का निधन, उनके लिए इंदिरा गांधी ने बोला था मूंछ वाले रघुवंशी को बनाना मंत्री

होशंगाबाद। पूर्व मंत्री और अनुशासन समिति के अध्यक्ष हजारी लाल रघुवंशी कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता माने जाते थे। वे पांच बार विधायक, सालों तक मंत्री और विधानसभा उपाध्यक्ष रहे हैं। पूर्व मंत्री पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष एवं कांग्रेस धाकड़ नेता कहे जाने वाले दादा हजारीलाल रघुवंशी का 93 साल की आयु में आज निधन हो गया है। जानकारी के अनुसार वह भोपाल के नेशनल हॉस्पिटल में एडमिट थे। इसी दौरान उनका निधन हुआ है। सिवनी बानापुरा के आंवलीघाट में होगा अंतिम संस्कार। बता दें कि हजारीलाल दादा होशंगाबाद के बनापुरा के रहवासी थे। कांग्रेस के ये दिग्गज नेता रघुवंशी अपने खास अंदाज के लिए पहचाने जाते थे। चुनाव के दौरान भी उनका अंदाज लोगो को खूब भाता था।
उनकी टोपी और मूंछे खास पहचान थी
हजारी लाल रघुवंशी भले ही बुजुर्ग हो गए थे। लेकिन उनकी आवाज में वही भारीपन और दबंगता थी। हजारी लाल अपनी मूंछों पर ताव देकर हमको अतीत के झरोखे में ले जाते थे। वे कहते थे कि स्थानीय स्तर पर लोग उनको हजारी दद्दा कहते हैं। उनकी मूंछें ही उनकी पहचान बन गई थीं। लोग उन्हें मूंछों वाले दादा कहकर पुकारने लगे थे।
1977 में पहली बार इमरजेंसी में बने विधायक
दादा 1977 में इमरजेंसी के बाद वे पहली बार विधायक बनाए गए थे और अर्जुन सिंह सरकार में मंत्री भी बनाए गए। उस समय लोगों ने एक नारा भी बनाया था, दादा की बात पर-मुहर लगेगी हाथ पर। रघुवंशी एक अच्छे वक्ताओं में से एक माने जाते थे। इसलिए बड़ी संख्या में लोग उनको सुनने आते थे। उस वक्त वे एक टोपी पहनते थे, जिसको थ्री नॉट थ्री कहा जाता था।
थ्री नॉट थ्री पर गुस्साए थे दादा
धीरे-धीरे टोपी उनकी पहचान भी बन गई और मुसीबत भी। जब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अस्थियां नर्मदा में विसर्जन के लिए होशंगाबाद लाई गईं तो रघुवंशी उनको विसर्जित करने के लिए रास्ते से गुजर रहे थे। लोगों ने कहा कि वो देखो थ्री नॉट थ्री, उस दिन उनको इतना गुस्सा आया कि वे जवाहर लाल नेहरू की अस्थियों के साथ अपनी टोपी को भी नर्मदा में विसर्जित कर आए।
हजारी लाल दादा का सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन
सन् 1948 से सन् 1976– तक की अवधि में मंडी समिति के उपाध्यक्ष।
1970-1974 – में कुसुम महाविद्यालय सिवनी मालवा समिति के उपाध्यक्ष।
मंडल एवं तहसील कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, ब्लाक जनपद पंचायत के अध्यक्ष एवं जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष।
सन् 1977- में छठवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित एवं पुस्तकालय तथा प्राक्कलन समिति के सदस्य।
सन् 1977-1980 – में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य।
सन् 1980 में– सातवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित तथा राज्यमंत्री, गृह, जेल, सिंचाई, पंचायत तथा बीस सूत्रीय कार्यक्रम विभाग रहे।
सन् 1986-1989– तक राज्य बीस सूत्रीय कार्यक्रम समिति के सदस्य।
सन् 1990-92 में- मध्यप्रदेश कमेटी के उपाध्यक्ष।
सन् 1991 से – लगातार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य।
सन् 1993 में- दशम् विधान सभा के सदस्य निर्वाचित एवं मंत्री, लोक निर्माण, कृषि, नगरीय कल्याण एवं सहकारिता विभाग रहे।
सन् 1998 में– ग्यारहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित एवं मंत्री, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी, बीस सूत्र कार्यान्वयन, राजस्व, पुनर्वास, संसदीय कार्य विभाग रहे।
सन् 2003 में पांचवीं बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित।
दिनांक 18 दिसंबर, 2003 से 11 दिसंबर, 2008 तक उपाध्यक्ष, मध्यप्रदेश विधान सभा के।

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