संगोष्ठ के संयोजक डॉ. दीपक अहिरवार ने कहा कि विश्व का ७.५ प्रतिशत हिस्सा जैव विविधता का हमारे देश में है। भारत में १८ हजार प्रकार की वनस्पति, पांच हजार प्रकार की सीपी, ६८ हजार प्रकार के कीड़े एवं अन्य जीव जंतु हैं जिनमें प्रतिदिन ८० प्रजाति विलुप्त होती जा रही हैं। महाविद्यालय की प्राचार्य कामिनी जैन ने कहा कि पृथ्वी कई प्रकार के फूल, पौधों एवं जन्तुओं से युक्त है। यहां भरपूर जैव विविधता है, इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
वहीं डॉ. आरके कौरव ने भी अपने उद्बोधन को अध्यात्म से जोड़ते हुए कहा कि जड़ीय स्तर पर यह जानना आवश्यक है कि हम कार्य कहां से आरंभ करें। वहीं विशिष्ट प्रवक्ता प्राध्यापक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नरसिंहपुर डॉ. रवि उपाध्याय प्राध्यापक पिपरिया महाविद्यालय, अध्यक्ष डॉ. आरआर सोनी, डोलरिया के प्रभारी प्राचार्य डॉ.श्री कांत दुबे, पांडुरना के प्राचार्य डॉ. विवेक रावत भी उपस्थित रहे।
इको फ्रेंडली बैग और पेंसिल बांटे पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए प्रतिभागियों को इको फ्रेंडली किट बांटी गई। इसमें कॉटन का बैग जिसेअंदर से प्लास्टिक से कवर किया गया ताकि यह मजबूत रहने के साथ ही इसका कई बार उपयोग किया जा सके। साथ ही न्यूज पेपर और ग्रेफाइड से तैयार पेंसिल भी दी गई, जिसके पिछले हिस्से में इरेजर की जगह टमाटर के बीज रखे गए हैं, क्योंकि पेंसिल के उपयोग के बाद जब वह छोटी हो जाए तो उसे जमी में गाड़ दिया जाए, जिससे बची पेंसिल अपने आप नष्ट हो जाएगी और बीज से तीन से चार टमाटर के पौधे तैयार हो जाएंगे। बैग और पेंसिल को महिला उद्यमिता प्रोग्राम के तहत तैयार किया गया है।