scriptदेवउठनी एकादशी: तुलसी विवाह का मुहुर्त और पूजा विधि, इस आसान तरीके से कर सकते हैं पूजा | Devuthni Ekadashi news in hindi 2018 | Patrika News

देवउठनी एकादशी: तुलसी विवाह का मुहुर्त और पूजा विधि, इस आसान तरीके से कर सकते हैं पूजा

locationहोशंगाबादPublished: Nov 19, 2018 02:19:51 pm

Submitted by:

poonam soni

देवउठनी एकादशी: तुलसी विवाह का मुहुर्त और पूजा विधि, इस आसान तरीके से कर सकते हैं पूजा

devuthni ekadsahi

देवउठनी एकादशी: तुलसी विवाह का मुहुर्त और पूजा विधि, इस आसान तरीके से कर सकते हैं पूजा

होशंगाबाद। कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी यानी तुलसी विवाह का दिन शुभ है। आज भगवान शालिगराम के साथ तुलसीजी का विवाह किया जाएगा। पंडित नित्यानंद चौबे ने बताया कि जिस घर में बेटियां नही होती है वहां तुलसी विवाह करके कन्यादान का पुण्य प्राप्त कर सकते है। इसके पीछे भी एक पैराणिक कथा है, जिसमें भगवान विष्णु को छल करने पर उन्ही की भक्त वृंदा ने श्राप देकर शालिगराम को पत्थर बना दिया था। तब भगवान ने उस भक्त को वरदान दिया था कि हमारा विवाह तुलसी और शालिगराम के रूप में होगा। तभी से तुलसी और शालिगराम का विवाह देवउठनी एकादशी पर किया जाता है।
विवाह का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि 18 नवंबर यानि सोमवार से दोपहर दो बजे से शुरू होकर आज दोपहर 2.30 बजे तक है। इसके बाद से द्वादशी तिथि शुरू होगी। लेकिन एकादशी तिथि में सूर्योदय होने से तुलसी विवाह आज किया जाएगा। जिसे गोधूली वेला भी कहा जाता है। इस समय में तुलसी विवाह करना शुभ माना गया है।
इस तरह करें तुलसी और शालिगराम विवाह
तुलसी के पौधे को सूर्यास्त के पहले ही आंगन या छत पर रख लें। शुभ मुहूर्त में पौधे के ऊपर मंडप बनाएं। एक थाली में शुद्ध जल, चंदन, कुमकुम, फूल, हल्दी, अबीर, गुलाल, चावल, कलावा और अन्य पूजा की सामग्री रखें। पूजा से पहले तुलसी के गमले में शालिगराम का आवाहन कर गमले में स्थापित करें। इसके पहले भगवान की पूजा करें। उन्हे शुद्ध जल, चंदन, कलावा, वस्त्र, अबीर, गुलाल और फूल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शालग्राम को नैवेद्य के लिए मिठाई और अन्य चीजें चढ़ाएं। उसके बाद तुलसी की पूजा करें। तुलसी देवी पर सुहाग की सामग्री चढ़ाए। तुलसी की ११ बार परिक्रमा करें। तुलसी पर चढ़ाया सुहाग का सामान किसी सुहागन को दान करना चाहिए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो