विवाह का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि 18 नवंबर यानि सोमवार से दोपहर दो बजे से शुरू होकर आज दोपहर 2.30 बजे तक है। इसके बाद से द्वादशी तिथि शुरू होगी। लेकिन एकादशी तिथि में सूर्योदय होने से तुलसी विवाह आज किया जाएगा। जिसे गोधूली वेला भी कहा जाता है। इस समय में तुलसी विवाह करना शुभ माना गया है।
एकादशी तिथि 18 नवंबर यानि सोमवार से दोपहर दो बजे से शुरू होकर आज दोपहर 2.30 बजे तक है। इसके बाद से द्वादशी तिथि शुरू होगी। लेकिन एकादशी तिथि में सूर्योदय होने से तुलसी विवाह आज किया जाएगा। जिसे गोधूली वेला भी कहा जाता है। इस समय में तुलसी विवाह करना शुभ माना गया है।
इस तरह करें तुलसी और शालिगराम विवाह
तुलसी के पौधे को सूर्यास्त के पहले ही आंगन या छत पर रख लें। शुभ मुहूर्त में पौधे के ऊपर मंडप बनाएं। एक थाली में शुद्ध जल, चंदन, कुमकुम, फूल, हल्दी, अबीर, गुलाल, चावल, कलावा और अन्य पूजा की सामग्री रखें। पूजा से पहले तुलसी के गमले में शालिगराम का आवाहन कर गमले में स्थापित करें। इसके पहले भगवान की पूजा करें। उन्हे शुद्ध जल, चंदन, कलावा, वस्त्र, अबीर, गुलाल और फूल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शालग्राम को नैवेद्य के लिए मिठाई और अन्य चीजें चढ़ाएं। उसके बाद तुलसी की पूजा करें। तुलसी देवी पर सुहाग की सामग्री चढ़ाए। तुलसी की ११ बार परिक्रमा करें। तुलसी पर चढ़ाया सुहाग का सामान किसी सुहागन को दान करना चाहिए।
तुलसी के पौधे को सूर्यास्त के पहले ही आंगन या छत पर रख लें। शुभ मुहूर्त में पौधे के ऊपर मंडप बनाएं। एक थाली में शुद्ध जल, चंदन, कुमकुम, फूल, हल्दी, अबीर, गुलाल, चावल, कलावा और अन्य पूजा की सामग्री रखें। पूजा से पहले तुलसी के गमले में शालिगराम का आवाहन कर गमले में स्थापित करें। इसके पहले भगवान की पूजा करें। उन्हे शुद्ध जल, चंदन, कलावा, वस्त्र, अबीर, गुलाल और फूल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शालग्राम को नैवेद्य के लिए मिठाई और अन्य चीजें चढ़ाएं। उसके बाद तुलसी की पूजा करें। तुलसी देवी पर सुहाग की सामग्री चढ़ाए। तुलसी की ११ बार परिक्रमा करें। तुलसी पर चढ़ाया सुहाग का सामान किसी सुहागन को दान करना चाहिए।