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समस्या : स्कूल में नहीं पानी की व्यवस्था, घर से बोतल में लाना पड़ रहा पानी

locationहोशंगाबादPublished: Sep 18, 2018 05:57:53 pm

Submitted by:

govind chouhan

शाला में करीब 150 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है, शाला परिसर में एक हैंडपंप लगा हुआ है परंतु उस में सालों से पानी नहीं आ रहा एवं खराब पड़ा हुआ

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अव्यवस्था: स्कूल में नहीं पानी की व्यवस्था, घर से बोतल में लाना पड़ रहा पानी

बनखेड़ी. नगर क्षेत्र में शासकीय शालाओं में पीने की पानी की व्यवस्था तक नहीं है बनखेड़ी नगर परिषद क्षेत्र के मुख्य मार्ग पर स्थित शासकीय प्राथमिक कन्या शाला हिंदी एवं इंग्लिश मध्यम कक्षाएं बनखेड़ी में छात्राओं के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है वर्तमान में शासकीय प्राथमिक कन्या शाला में करीब 150 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। दोपहर 12 बजे से विद्यालय में कक्षाएं प्रारंभ हो जाती हैं इस दौरान जब शाला परिसर में जाकर देखा गया तो पता चला कि छात्राओं के लिए पीने के पानी की महीनों से कोई व्यवस्था नहीं है और छात्र-छात्राएं साथ में पीने की पानी की बोतल साथ लाते देखे गए एवं शाला में छोटे-छोटे बच्चे शासन द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान में निर्देशानुसार शाला की सफाई करते तो दिखे पर इन बच्चों के लिए शासन को पीने के पानी तक की परवाह नहीं है। शाला परिसर में एक हैंडपंप लगा हुआ है परंतु उस हैंडपंप में सालों से पानी नहीं आ रहा एवं खराब पड़ा हुआ है पीने का पानी ना होने के बावजूद भी ना तो शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों के लिए पानी की टंकी एवं अन्य वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है जब शाला में पीने का पानी तक नहीं है तो रसोई घर में बच्चों के लिए खाना बनाने के लिए कितनी परेशानी उठानी पड़ती होगी एवं शौचालय का उपयोग बच्चे कैसे कर पा रहे होंगे पर इस पेयजल एवं प्राथमिक व्यवस्था की ओर न तो शिक्षा विभाग और ना ही नगर परिषद कोई व्यवस्था कर रही है। प्रधान अध्यापक बट्टू लाल उईके ने बताया कि हमने कई बार पीने के पानी की समस्या को लेकर बीआरसी एवं नगर परिषद में आवेदन दे चुके हैं पर समस्या हल नहीं हुई है। एक तरफ शासन शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर लाखों करोड़ों रुपए की बजट खर्च कर रही है एवं शासकीय शालाओं में अच्छी शिक्षा एवं सुविधा देने का वादा किया जा रहा है पर हकीकत कुछ और ही है यह स्थिति तहसील मुख्यालय पर मुख्य रोड पर बीआरसी ऑफिस के पास शासकीय प्राथमिक कन्या शाला की है ऐसे में आदिवासी ग्रामीण इंटीरियर क्षेत्रों में शासकीय प्राथमिक माध्यमिक एवं हाई स्कूलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस शाला में पूर्व में करीब 300 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत थे परंतु मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते अब मात्र 150 बच्चे ही वर्तमान में अध्ययनरत हैं। शासकीय स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं ना होना लगातार स्कूलों में घटती छात्र छात्राओं की संख्या का प्रमाण एवं मूल कारण है।

स्कूल में नहीं की गई कोई व्यवस्था
स्कूल में बच्चे एवं कार्यरत शिक्षक शिक्षिकाएं भी अपने साथ घर से पीने के पानी की बोतल साथ लेकर आने को मजबूर हैं, लेकिन बोतल का पानी खत्म होने के बाद इन सब के पास अपनी प्यास बुझाने के लिए कोई विकल्प मौजूद नहीं है
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