इसलिए रखा फाइटर नाम अब उसकी देखरेख – निकिता और उनकी साथी नीलम द्विवेदी एवं प्रशिक्षु पुलिसकर्मी शरद खरे कर रहे हैं। डॉग के पिछले दोनों पैर काम नहीं कर रहे हैं फिर भी वह जिंदगी के लिए जंग लड़ रहा है, इस कारण पुलिस वालों ने उसका नाम फाइटर रख दिया। वह आसानी से चल सके, इसके लिए निकिता गुगाल पर ट्राइसाइकल बनाने की विधि ढूंढ़ी। फिर पीवीसी पाइप और खिलौने वाले चक्के से ट्राइसाइकल बना ली। जिससे वह अब आसानी से चलता है। एएसपी राकेश खाखा ने पुलिसकर्मियों के इस प्रयास की तारीफ की है।
थानेदार ने बनाई ट्राइसाइकिल
फाइटर दोनों पिछले पैरों से लाचार है। उसका पिछला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है। इस कारण घिसटकर चलता था। इसे देखते हुए महिला थानेदार ने उसके लिए ट्राइसाइकिल तलाश की। मार्केट में ऐसी कोई साइकिल नहीं मिली तो उसने गूगल और यू ट्यूब पर सर्च की। उसे डागी के लिए नेट से ट्राइसाइकिल बनाने का आइडिया मिला। इसके बाद पाइप से खुद ही साइकिल बना दी। उसमें बच्चों के खिलौने के पहिया लगा दिए। अब फाइटर उसकी मदद से पूरे थाना परिसर में दौड़ता है। यह देखकर वहां आने-जाने वाले लोग रूक कर नजारा देखते हैं फिर पुलिस की तारीफ किए बिना नहीं रहते।
फाइटर दोनों पिछले पैरों से लाचार है। उसका पिछला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है। इस कारण घिसटकर चलता था। इसे देखते हुए महिला थानेदार ने उसके लिए ट्राइसाइकिल तलाश की। मार्केट में ऐसी कोई साइकिल नहीं मिली तो उसने गूगल और यू ट्यूब पर सर्च की। उसे डागी के लिए नेट से ट्राइसाइकिल बनाने का आइडिया मिला। इसके बाद पाइप से खुद ही साइकिल बना दी। उसमें बच्चों के खिलौने के पहिया लगा दिए। अब फाइटर उसकी मदद से पूरे थाना परिसर में दौड़ता है। यह देखकर वहां आने-जाने वाले लोग रूक कर नजारा देखते हैं फिर पुलिस की तारीफ किए बिना नहीं रहते।