अब रेलवे में चलेगी इ-फाइल, हर साल होगी एक करोड़ की बचत
होशंगाबादPublished: Apr 13, 2019 08:43:02 pm
इस साल तक जबलपुर जोन में हो जाएगा इ-ऑफिस सिस्टम लागू
अब रेलवे में चलेगी इ-फाइल, हर साल होगी एक करोड़ की बचत
होशंगाबाद. रेलवे का जबलपुर जोन जल्दी ही हाइटेक होने जा रहा है। यहां के दफ्तरों में अब फाइल नहीं इ-फाइल दौड़ेंगी। इससे काम की रफ्तार भी बढ़ेगी और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा। इतना ही नहीं इससे रेलवे को हर साल एक करोड़ रुपए की बचत भी होगी। कागजी काम बंद कर इ-आफिस साफ्टवेयर पर यह व्यवस्था इसी साल से लागू की जा रही है। रेलवे मैनुअल फाइल सिस्टम को पीछे छोड़ते हुए इ ऑफिस सॉफ्टवेअर पर काम करने जा रहा है। जबलपुर जोन के सभी विभागों में इस साल के अंत तक लागू कराने कीयोजना है। अगले साल से जबलपुर जोन में पेपरलेस वर्किंग चालू हो जाएगी।
दिसंबर 2019 का टारगेट : रेलवे ने इस तकनीक का प्रयोग सबसे पहले दक्षिण मध्य रेलवे जोन के मुख्यालय और गुंटूर डिवीजन में किया था। वहां सफल होने पर सभी जोनों में इस तकनीक को लागू किया जा रहा है। रेलवे बोर्ड ने जबलपुर जोन में दिसंबर 2019 तक का टारगेट तय कर रखा है जिसमें मैनुअल फाइलिंग सिस्टम को इ-ऑफिस में शिफ्ट किया जाना है।
जोन में स्टेशनरी पर होता हैं एक करोड़
बताया गया कि जबलपुर जोन में हर साल स्टेशनरी पर करीबन एक करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इ-ऑफिस में शिफ्ट होने से रेलवे को हर साल एक करोड़ की बचत होगी।
इस सॉफ्टवेअर पर होगा काम
रेलवे की योजना इ ऑफिस क्लाउड साफ्टवेअर से सभी जोनों को जोडऩे की है। यह एक एेसा सॉफ्टवेअर है जो रेलटेल टीअर थ्री प्रमाणित डेटा सेंटर से संचालित किया जाता है। हर जोन में इस सॉफ्टवेअर पर ही काम किया जाएगा। सभी विभागों में इस सॉफ्टवेअर पर ही प्रस्ताव भेजने से लेकर किसी प्रोजेक्ट की फाइल बनाने तक का काम होगा। इस इससे भरी मोटी फाइलों को सहेजने की झंझट खत्म हो जाएगी। फाइलों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में खर्च होने वाला समय और श्रम भी बचेगा। अभी किसी प्रोजेक्ट की फाइल को रेलवे में एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय तक जाने में ही कई दिन लग जाते हैं।
रेलवे में पेपरलेस वर्किंग को बढ़ावा देने के लिए ही इ-ऑफिस सॉफ्टवेअर पर काम किया जा रहा है। रेलवे ने दक्षिण मध्य रेलवे जोन में इसे लागू कर दिया है। जल्द ही अन्य जोनों में भी इसे अपनाया जाएगा। इससे रेलवे को कागज खरीदने के लिए जो राशि खर्च करना पड़ती है उसकी भी बचत होगी।
शिवगोपाल मिश्रा, जनरल सेकेट्री एआईआरएफ दिल्ली
जोन को इस साल दिसंबर तक उस सिस्टम से कनेक्ट करना है। इस सिस्टम के लागू होने के फायदे होंगे लेकिन यह सिस्टम इस साल लागू हो पाएगा इसकी संभावना कम ही लगती है क्योंकि अधिकांश पुराने कर्मचारी हैं जिन्हें उस तकनीक के बारे में कुछ भी पता नही है और उन्हें सीखने में भी समय लगेगा।
रवि जायसवाल, जोनल प्रेसीडेंट डब्ल्यूसीआरईयू जबलपुर जोन