नरवाई जलाने की बजाए खाद-भूसा बनाने पर जोर, प्रतिबंध लगाया है, अब कर रहे जागरूक
बीते सालों में नर्मदापुरम जिले में नरवाई की आग से हो चुकी है बड़ी घटनाए, नरवाई से खाद भी बनेगी, जीवाणु नहीं मरेंगे और जमीन भी कठोर नहीं होगी
होशंगाबाद
Published: February 21, 2022 10:58:58 am
नर्मदापुरम. जिले में रबी फसल कटाई के पहले खेतों की नरवाई को नहीं जलाने और नरवाई से खाद-भूसा बनाने के लिए जोर दिया जा रहा है। कृषि विभाग किसानों को जागरूक कर रहा, जिसमें नरवाई को भूमि में ही मिलाकर अगली फसल की बोवनी करने की सलाह दी जा रही है। इसमें नरवाई जलाने के नुकसान, नहीं जलाने क्या क्या फायदें और नरवाई के प्रबंधन के बार में जानकारियां दी जा रही है। जिले में नरवाई में आग लगाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। कंबाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मेनेजमेंट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर प्रयोग अनिवार्य रूप करने की सलाह दी जा रही है। किसान इसे अपनाएंगे तो खाद भी बनेगी और जो लाभकारी जीवाणु नहीं मरेंगे और जमीन भी कठोर नहीं होगी।
किसानों को बता रहे ये है नुकसान
रबी फसलों की कटाई के बाद अगली खरीफ फसल की बोवनी के लिए किसान नरवाई (ठूंठ अवशिष्ट) के उचित प्रबंधन के बजाए इसे आग लगाकर जला देते हैं, जिसके कारण आग-धुंए से पर्यावरण के साथ ही जमीन की ऊपजाऊ क्षमता में भी नुकसान होता है। साथ ही बीते सालों में आगजनी की बड़ी घटनाएं भी हो चुकी है, जिसमें जान-माल का भारी नुकसान भी हुआ था। किसानों को कृषि विभाग की टीमें गांवों में जाकर नरवाई में आग लगाकर उसे नष्ट कर देने से होने वाले नुकसान को बता रही है। जिसमें भूमि की उर्वरकता नष्ट होती है तथा अग्नि दुर्घटनाएं होती है। पर्यावरण विभाग द्वारा भी नरवाई में आग लगाने की घटनाओं को प्रतिबंधित करने दंड अधिरोपित करने का प्रावधान के बारे में भी बताया जा रहा।
नरवाई से खाद बनाने की विधि बता रहे
कृषि विभाग के विशेषज्ञ बता रहे कि फसल अवशेषों को जलाने की बजाए उनको वापस भूमि में मिला देने से कई लाभ होते हैं। जैसे कि कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता में वृद्धि, पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि, मृदा भौतिक गुणों के सुधार होते हैं। फसल उत्पादकता में वृद्धि आती है। खेतो में नरवाई का उपयोग खाद एवं भूसा बनाने में करें। नरवाई से कार्बनिक पदार्थ भूमि में जाकर मृदा पर्यावरण में सुधार कर सूक्ष्मजीवी अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं। जिससे कृषि टिकाऊ रहने के साथ-साथ उत्पादन में वृद्धि होती है। कंबाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मेनेजमेंट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर प्रयोग करने पर जोर दिया जा रहा। क्योंकि स्ट्रा रीपर यंत्र डंठलों को काटकर भूसे में बदले देता है।
इनका कहना है...
जिले में बीते सालों में नरवाई से हुई आगजनी से हुए पर्यावरण व कृषि भूमि को नुकसान के म²ेनजर इस बार के रबी सीजन में किसानों को नरवाई में आग नहीं लगाने, प्रतिबंध का पालन करते हुए नरवाई के प्रबंधन के साथ इससे खाद बनाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। कंबाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मेनेजमेंट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर के उपयोग की सलाह दी जा रही है।
-जेआर हेडाऊ, कृषि उप संचालक नर्मदापुरम।

नरवाई जलाने की बजाए खाद-भूसा बनाने पर जोर, प्रतिबंध लगाया है, अब कर रहे जागरूक
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