सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पालन में स्थानीय प्रशासन छावनी के अतिक्रमणकारियों को विस्थापित करने कोई अंतिम निर्णय नहीं ले पाया है। एसडीएम ने राजस्व दल के साथ सिमारा गांव में करीब साढ़े चार एकड़ भूमि को विस्थापन के लिए चिन्हित किया है। यह जमीन जंगल में है यहां बिजली, पानी, सड़क नहीं है वहीं पचमढ़ी से यह काफी दूर पिपरिया के नजदीक है। वित्तीय प्रस्ताव सड़क, बिजली पानी की कार्ययोजना पूर्ण करने भेजा गया है। बजट स्वीकृति के बाद यहां विकास निर्माण कार्य हो सकेंगे उसके बाद ही विस्थापित परिवारों को यह बसाना उचित होगा।
कांंग्रेस प्रतिनिधिमंडल एवं अतिक्रमण पीडि़तों ने पिछले दिनों प्रभारी मंत्री, कलेक्टर से मुलाकात कर पचमढ़ी से मटकुली के बीच भूमि चिन्हित कर विस्थापन की मांग रखी है। २८३ परिवार का कहना है कि शासन ने सिमारा के पास जो भूमि देखी है वह पिपरिया डोकरीखेड़ा के पास है यह पचमढ़ी से काफी दूर और जंगल क्षेत्र में आती है। घर टूटने के बाद नागरिकों को रोजगार की समस्या बनेगी मटकुली या पचमढ़ी के नजदीक बसने से उनके रोजगार और आवागमन की परेशानी कुछ कम होगी।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पालन में विस्थापन के लिए भूमि चिन्हांकन सहित सड़क, बिजली, पानी उपलब्ध कराने कार्ययोजना तैयार कर ३ करोड़ ११ लाख का प्रस्ताव भेजा है। मंजूरी मिलते ही मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, इसमें कुछ समय लगेगा।
मदन सिंह रघुवंशी, एसडीएम
आरपी आचार्य, उपयंत्री छावनी परिषद पचमढ़ी