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बड़े और रसूखदार किसान भी नहीं भर रहे पानी का टैक्स, सिंचाई के 50.59 करोड़ बकाया

locationहोशंगाबादPublished: Oct 30, 2021 11:20:31 am

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devendra awadhiya

हर साल किसानों को तवा डैम की नहरों से मिलता है भरपूर सिंचाई का पानी,जल संसाधन विभाग चाह कर भी नहीं वसूल पा रहा किसानों से सिंचाई शुल्क,संभाग में एक लाख से अधिक राशि के 58 से अधिक बड़े बकायादार,50 हजार से 10 हजार तक के 18 हजार किसानों ने भी जमा नहीं किया

देवेंद्र अवधिया
होशंगाबाद. नर्मदापुरम् संभाग के होशंगाबाद-हरदा जिले में सिंचाई का मुख्य साधन तवा डैम है। इससे हर साल किसान रबी फसलों के लिए नहरों के जरिए सिंचाई का भरपूर पानी लेते हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर दबंग और बड़े किसान सिंचाई का टैक्स जमा नहीं करते। तवा परियोजना विभाग का इन पर पचास करोड़ 59 लाख से अधिक का टैक्स बकाया है। एक लाख रुपए से अधिक वाले 58 बकायादार किसान हैं। एक लाख से पचास हजार तक के 2061, 50 हजार से 10 हजार तक के 18 हजार 864 और दस हजार से कम राशि वाले बकायादार किसानों की संख्या 58 हजार 613 है। वसूली नहीं होने का असर सीधे विभागीय कामों पर पड़ रहा, क्योंकि अलग से कोई बजट नहीं है। इसमें मुख्य तौर पर नहरों का रखरखाव, संचालन राजस्व वसूली पर ही निर्भर रहता है। इस साल भी विभाग वित्तीय संकट से जूझ रहा। जैसे-तैसे नहरों की साफ-सफाई कराई गई। रबी की मुख्य फसल गेहूं-चने के लिए सिवनीमालवा-हरदा तरफ की नहरें भी चालू हो गई है। किसानों ने बरखनी-बुवाई के लिए पानी लेना भी शुरू कर दिया है। टेल एरिया तक पानी पहुंचाने में विभाग के पसीने छूट जाते हैं। किसानों के आक्रोश और ज्ञापन-प्रदर्शन का सामना भी करना पड़ता है। किसानों से सिंचाई टैक्स की वसूली को लेकर विभाग सिर्फ नोटिस तक ही सीमित रह जाता है।

नेता और रसूखदार जमा नहीं कर रहे टैक्स
तवा बांध की नहरों से गेहूं सिंचाई के लिए भरपूर पानी लेने के बाद भी नेता और रसूखदार किसान सिंचाई कर की राशि जमा नहीं कर रहे। जल संसाधन विभाग का अमला भी इनसे वसूल नहीं कर पा रहा है। किसानों को गेहूं, चना, सोयाबीन, मूंग, धान और गन्ने के लिए पानी मिलता है।

2.60 लाख हैक्टेयर रकबे में सिंचाई सुविधा
जिले में 3 लाख 30 हजार हैक्टेयर रकबे में रबी की फसलें ली जाएगी, जिसमें करीब 2 लाख 61 हजार 531 हैक्टेयर से अधिक रकबे में तवा डैम की नहरों से एक पलेवा तीन पानी किसानों को मुहैया होगा। इस बार डैम लबालब है, इसलिए आवश्यकता अनुसार किसानों को भरपूर पानी मिलेगा। हर साल करीब 14 से 15 लाख मीट्रिक टन गेहूं की बंपर पैदावार में से करीब 9 से 10 लाख मीट्रिक टन की समर्थन मूल्य पर खरीदी होती है।

मंडी शुल्क के साथ नहीं कटा सिंचाई टैक्स
शासन ने पिछले साल सिंचाई टैक्स की वसूली के लिए नया फरमान जारी किया था, जिसमें मंडी शुल्क के साथ ही नई फसल आने पर किसानों से इसकी वसूली होनी थी, लेकिन विरोध के चलते यह संभव नहीं हो सका।

कहां कितना सिंचाई टैक्स बकाया
सोहागपुर सब डिवीजन : 16.81 करोड़
इटारसी सब डिवीजन : 10.78 करोड़
सिवनीमालवा सब डिवी.: 13.90 करोड़
हरदा सब डिवीजन : 4.48 करोड़
टिमरनी सब डिवीजन : 4.62 करोड़
………………………………………………
योग बकाया : 50.59 करोड़

होशंगाबाद जिला
एक लाख से अधिक वाले किसान
तवा परियोजना संभाग इटारसी : 7
पिपरिया शाखा नहर संभाग सोहागपुर: 20
तवा नहर संभाग सिवनीमालवा : 15
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योग : 42

हरदा जिला
एक लाख से अधिक वाले किसान
जल संसाधन संभाग हरदा: 11
हंडिया शाखा नगर संभाग टिमरनी: 5
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योग : 16

एक लाख से 50 हजार वाले किसान
होशंगाबाद जिला
तवा परियोजना संभाग इटारसी : 157
पिपरिया शाखा नहर संभाग सोहागपुर: 1281
तवा नहर संभाग सिवनीमालवा : 240
………………………………………………….
योग : 1678

हरदा जिला
एक लाख से 50 हजार वाले किसान
जल संसाधन संभाग हरदा: 78
हंडिया शाखा नगर संभाग टिमरनी: 305
……………………………………………………
योग : 383

इनका कहना है…
किसानों से विभागीय टीम संपर्क कर सिंचाई कर की वसूली की कार्रवाई जारी है। बड़े बकायादारों को नोटिस दिए जाएंगे। वसूली में तेजी के प्रयास जारी है, ताकि विभाग की वित्तीय स्थिति सुधर सके और किसानों बेहतर सिंचाई सुविधा मिले।
-एसके सक्सेना, अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग

सिंचाई शुल्क के अलावा महंगी खाद-बिजली कीटनाशक दवा, मजदूरों व मशीनों-हार्वेस्टरों के भारी किराए से किसानों की लागत अधिक बैठती है। लागत मूल्य नहीं मिलने से किसानों को खेती में ज्यादा फायदा नहीं होता। हम सरकार से शुरू से ही यह मांग कर रहे हैं कि उपज का लागत मूल्य तय हो। सिंचाई के बकाया को जमा कराने के लिए भी किसानों को प्रेरित करेंगे।
-रामभरोस बासोतिया, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भारतीय किसान संघ

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