आरोपी भाइयों ने पहले सीरियल देखकर रैकी की। फिर बस स्टैंड पर फैजान को रोककर कहा- चल नदी में बाढ़ आई है देखकर आते हैं। वह राजी हो गया तो बाइक से डोलरिया रोड पर ले गए। सुनसान खेत में ले जाकर नगदी छीनने लगे तो फैजान ने विरोध किया। इस पर मनीष ने लोहे की पाइप से उसके सिर पर वार कर दिया। जिससे वह पानी से भरे गड्ढ़े में औंधे मुंह गिर पड़ा। इसके बाद सतीश ने गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। पैसे निकाले और लौट आए। हत्या के बाद मनीष घर चला गया था। जबकि हंगामा सेल पर काम करने वाला सतीश शाम ६ बजे दुकान पर आया था। वह शराब के नशे में था।
छानबीन और आसपास के दुकानदारों से पूछताछ में पता चला कि सतीश घटना के तीन दिन पहले से दुकान नहीं आ रहा था लेकिन वह भाई के साथ बस स्टैंड के पास देखा गया था। संदेह के आधार पर दोनों को हिरासत में लिया गया तो उन्होंने कहा कि वे सिंचाई विभाग में एसडीओ के ड्राइवर बंटी यादव को बाइक से बस स्टैंड छोडऩे गए थे। जहां से वे सुबह 10 बजे तक वापस लौट आए थे। बंटी से तस्दीक की तो उसने बताया कि वह मालाखेड़ी तिराहे पर खड़ा था, तभी सतीश और उसका भाई बाइक से होशंगाबाद जा रहे थे। बंटी ने लिफ्ट ली और बस स्टैंड आए थे। उससे छाता भी ले गए थे। उसने कहा था- छाता घर पर दे देना। इसी छाते ने उनकी पोल खोल दी। सीसीटीवी फुटेज में बाइक पर छाते से मुंह छुपाकर सतरस्ता, ग्वालटोली पुलिया की तरफ जा रहे बाइक सवार यह थे। जिन्होंने पुलिस से बचने के लिए छाते का उपयोग किया था। दुकानदार ने फुटेज देखकर इनकी सतीश, मनीष और फैजान के रूप में पहचान कर ली। फिर सख्ती से पूछा तो आरोपियों ने सच उगल दिया। आरोपी हत्या के बाद शराब पीकर भी दुकान पर आया था।
आरोपियों को पता था, पुलिस सबसे पहले कॉल डीटेल और लोकेशन खंगालती है। इसी वजह से वारदात को अंजाम देने से पहले आरोपी सतीश ने अपना मोबाइल बंद करके घर पर ही छोड़ दिया था। 17 सितंबर को मृतक के परिजनों के साथ वह एसपी कार्यालय भी ज्ञापन देने पहुंचा था। ताकि पुलिस उस पर संदेह न करे और उसे पता भी चल जाए कि आगे पुलिस क्या करने वाली है।