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होशंगाबाद

श्रमदान से संवर रही जीवनदायिनी मछवासा

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6 years ago
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यह है आज की मछवासा नदी जो कभी कल-कल कर बहती थी और इसके अथाह जल में शहरवासी तैर कर नहाते थे। फसलें लहलहाती थी और मवेशी भीषण गर्मी में अपने सूखे कंठों की प्यास बुझाते थे। लेकिन आज यह मृतप्राय सी हो गई है।

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अस्तित्व खोती मछवासा के लिए एकजुट हुआ शहर, बैठक में मछवासा को बचाने किया मंथन।

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शहर की जीवन रेखा को बचाने भीषण गर्मी में स्कूली बच्चे भी पीछे नहीं रह रहे हैं। रोजाना किसी न किसी स्कूल के बच्चे अल सुबह से ही श्रमदान करने नदी किनारे पहुंच रहे हैं।

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सुबह-सुबह घर की चार दीवारी में रहकर चौके-चूल्हा संवारने वाली मातृशक्ति भी श्रमदान में पीछे नहीं रह रही हैं। विभिन्न संगठनों, ृसंस्थाओं से जुड़ी मातृशक्ति भी मछवासा को बचाने मानो दृढि़संकल्पित नजर आ रही है।

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अस्तित्व खोती शहर की जीवनरेखा मछवसा को बचाने हर वर्ग और हर उम्र के लोग हाथ बढ़ाकर श्रमदान करने नदी में उतर रहे हैं। फिर चाहे बच्चा हो, जवान हो या फिर बुजुर्ग हो सभी नदी को बचाना अपना कर्तव्य समझ रहे हैं।

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शहरवासियों के श्रमदान से प्रेरित होकर कलेक्टर अविनाश लवानिया पिपरिया पहुंचे और श्रमदान से बदलती नदी की तस्वीर को देखा। और स्टाप डेम निर्माण के लिए प्रशासनिक सहयोग का आश्वासन दिया।

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शहरवासियों के संकल्प के साथ शुरू हुआ श्रमदान का सिलसिला धीरे-धीरे पत्रिका मुहिम में बदल गया। और पत्रिका की इस मुहिम में रोजना हाथ बंटाने सैकड़ों लोग खुद-ब-खुद नदी किनारे पहुंचने लगे।

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श्रमदान के 22वें दिनों बाद नदी संरक्षण समिति ने बैठक कर नदी के बीच स्टॉप डेम निर्माण के लिए भूमिपूजन किया। इस दौरान नागरिकों ने आर्थिक सहयोग जुटाने का संकल्प भी लिया।

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शहरवासियों के श्रमदान में प्रशासन ने मशीनों से बंटाया हाथ। जेसीबी से नदी का गहरीकरण कार्य शुरू कराया

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