पांच लाख यूजर्स
ई-बर्ड एप पर पांच लाख यूजर्स हैं। होशंगाबाद जिले से एप पर पक्षियों की फोटो व डिटेल पोस्टिंग के मामले मेें प्रदेश में प्रथम स्थान पर है तथा यहां पक्षी भी बहुत अधिक किस्मों के हैं। एप पर जिले के 80 पक्षी प्रेमी जुड़े हैं। मढ़ई रेंजर डुडवे ने 140 से अधिक पक्षियों की डिटेल पोस्ट की है।
ये किस्में अधिक
यहां बार हेडेड गूज, इंडियन हॉक ईगल, ओपनबिल स्टार्क, लेसर व्हिसलिंग डक, रेडीसल डक, स्कीमर, कार्मोनेंट, वूल नेक्ड स्टार्क, ग्रे वैरन आदि पक्षी अधिक शामिल हैं। अधिकतर पक्षी सतपुड़ा की वादियों में, मढ़ई तथा देनवा नदी के डेम के बैक वाटर वाले क्षेत्र में देखे गए हैं।
ई-बर्ड एप पर पांच लाख यूजर्स हैं। होशंगाबाद जिले से एप पर पक्षियों की फोटो व डिटेल पोस्टिंग के मामले मेें प्रदेश में प्रथम स्थान पर है तथा यहां पक्षी भी बहुत अधिक किस्मों के हैं। एप पर जिले के 80 पक्षी प्रेमी जुड़े हैं। मढ़ई रेंजर डुडवे ने 140 से अधिक पक्षियों की डिटेल पोस्ट की है।
ये किस्में अधिक
यहां बार हेडेड गूज, इंडियन हॉक ईगल, ओपनबिल स्टार्क, लेसर व्हिसलिंग डक, रेडीसल डक, स्कीमर, कार्मोनेंट, वूल नेक्ड स्टार्क, ग्रे वैरन आदि पक्षी अधिक शामिल हैं। अधिकतर पक्षी सतपुड़ा की वादियों में, मढ़ई तथा देनवा नदी के डेम के बैक वाटर वाले क्षेत्र में देखे गए हैं।
यह है आने का कारण
सतपुड़ा में इनके आने का कारण यह है कि एक तो यह नर्मदा का किनारा है, जिस कारण यहां आने वाले पक्षियों के लिए रहने को अनुकूल माहौल मिलता है। जंगल होने के कारण खान-पान और अन्य किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है। जिस कारण ज्यादातर यह पक्षि यहीं पर विचरण करना पसंद करते हैं।
सतपुड़ा में इनके आने का कारण यह है कि एक तो यह नर्मदा का किनारा है, जिस कारण यहां आने वाले पक्षियों के लिए रहने को अनुकूल माहौल मिलता है। जंगल होने के कारण खान-पान और अन्य किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है। जिस कारण ज्यादातर यह पक्षि यहीं पर विचरण करना पसंद करते हैं।