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चार साल बीते सिर्फ की घोषणाएं, फाइलों में रहे कैद विकास कार्य

locationहोशंगाबादPublished: Jan 12, 2019 10:56:54 pm

Submitted by:

rakesh malviya

नगरपालिका ने चार साल पूरे किए लेकिन विकास के नाम पर सिर्फ घोषणाएं भर की, योजनाओं और प्रस्तावों को दी मंजूरी लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हो सके।

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चार साल बीते सिर्फ की घोषणाएं, फाइलों में रहे कैद विकास कार्य

बैतूल. योजनाएं हैं… धन है…. संसाधन हैं…. लेकिन इन्हें इस्तेमाल करने की कला कौन सिखाए। यहां बात बीते चार सालों में नगरपालिका द्वारा की गई घोषणाओं और उससे जुड़े उन लाभों की है जिनसे आम जनता आज तक महरूम रही है, क्योंकि काम ही गंभीरता से नहीं हुए। ९ जनवरी को नगरपालिका परिषद ने अपने चार साल पूरे कर लिए हैं, लेकिन शहर के विकास को लेकर जो खाका तैयार किया था और जो सपने दिखाए थे वह आज तक पूरे नहीं हो सके हैं। शहरवासी जहां आज भी पानी, बिजली जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। वहीं सडक़ किनारे दुकानें संचालित करने वाले छोटे दुकानदारों के स्थायित्व के लिए मार्केट विकसित करने जैसी योजनाएं भी स्वीकृति मिलने के बाद फाइलों में कैद होकर रह गई है। नगरपालिका की घोषणाओं में शामिल मल्टीकाम्प्लेक्स निर्माण, पार्कों के सौंदर्यीकरण, प्रवेश द्वार, ट्रैफिक सिग्नल, ई-नगपालिका पर भी काम नहीं हो सका है। विकास के नाम पर नगरपालिका द्वारा बीते चार सालों में सिर्फ सीसी रोड एवं नालियों का निर्माण भर कराया गया है।
चार साल में भी नहीं बन सकी वेबसाइट
नगरपालिका का कम्प्यूटराईजेशन तो कर दिया गया है लेकिन चार साल में भी नगरपालिका परिषद बैतूल की वेबसाइट तैयार नहीं कर सकी है। वेबसाइट बनाने के लिए ई-टेंडरिंग से निविदा बुलाई गई थी लेकिन उसके बाद क्या हुआ पता नहीं। सपने दिखाए गए कि वेबसाइट शुरू होने के बाद शहरवासी घर बैठे टैक्स अदा कर सकेंगे, लेकिन आज भी लोगों को टैक्स भरने नगरपालिका जाना पड़ता है। जबकि अमृत सिटी योजना में शहर के शामिल होने के बाद कम्प्यूटराईजेशन और वेबसाइट बनाया जाना जरूरी था।
वार्डों में पार्कों का सौंदर्यीकरण भी अधूरा
नगरपालिका द्वारा शहर के वार्डों में बने पार्कों के सौंदर्यीकरण किए जाने की घोषणा की गई थी। घोषणा के अनुरूप दो-तीन वार्डों में तो पार्कों का सौंदर्यीकरण कराया गया लेकिन कई वार्ड ऐसे हैं जहां पार्कों का पता नहीं है। शहर के विवेकानंद वार्ड में बना पार्क भी सालों से धूल खा रहा है। यहां बच्चों के लिए मिनी ट्रेन चलाने का सपना दिखाया गया। ट्रेन के लिए टेंडर भी बुलाए गए। पार्क में निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया लेकिन अब सब कुछ उजाड़ पड़ा है।
सिर्फ कागजों में ही नजर आया मार्केट
सडक़ किनारे अतिक्रमण कर दुकानें लगाने वाले छोटे दुकानदारों के लिए अभिनंदन सरोवर के पीछे चार करोड़ की लागत से काम्प्लेक्स निर्माण की योजना सिर्फ कागजों में ही साकार होते नजर आई, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हो सका। इसी प्रकार महात्मा गांधी शॉपिंग काम्प्लेक्स के प्रथम तल पर दुकानों का निर्माण किए जाने की योजना भी फाइलों में कैद हो गई है। वहीं कोतवाली के सामने नपा की खाली जमीन पर मल्टी काम्प्लेक्स बनाए जाने की योजना पर आज तक काम शुरू नहीं हो सका है, क्योंकि जमीन का मद परिवर्तन नहीं कराया गया। जिसके कारण पेच अटका पड़ा है।
योजना जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी
यूआईडीएसएसएमटी योजनंातर्गत शहर के समस्त ३३ वार्डों में पानी पहुंचाए जाने की योजना पर पिछले पांच-छह सालों से काम चल रहा है। ५० करोड़ से अधिक खर्च हो चुके हैं लेकिन अभी तक योजना पूरी नहीं हो सकी है। शहर में पाइप लाइन बिछाने का अब भी चल रहा है। मेन पाइप लाइनों में लीकेज की समस्या बनी हुई है।जिन वार्डों में एक साल पहले पाइप लाइन बिछाई गई थी। वहां पानी की सप्लाई अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। लोगों के घरों में नल तो लगा दिए गए हैं लेकिन पानी का पता नहीं है। लाखापुर से पाइप लाइन के जरिए पानी लाने की योजना भी अधूरी है। बैतूल फिल्टर प्लांट तक पाइप लाइन नहीं पहुंची। ताप्ती जल की सप्लाई फिल्टर प्लांट से कुछ ही वार्डों में हो रही है।
टै्रफिक पार्क बना न ट्रैफिक सिग्नल लगे
शहर में वाहनों का आवागमन सुव्यवस्थित हो सके इसके लिए ट्रैफिक सिग्नल लगाने थे। शहर के प्रमुख चौराहों पर टै्रफिक सिग्नल लगाए जाने का प्रस्ताव नगरपालिका परिषद द्वारा स्वीकृत किया गया था। ट्रैफिक सिग्नल यातायात पुलिस के माध्यम से लगाए जाने के लिए प्रशासन शासन एवं जिला प्रशासन को भेजा गया लेकिन उसके बाद क्या हुआ किसी को पता नहीं। वर्तमान में बैतूल शहर ट्रैफिक की समस्या से जूझ रहा है। अव्यवस्थित यातायात के कारण आए दिन दुर्घटनाए एवं हादसे होते हैं। इसके अलावा पुलिस लाइन स्थित पानी की टंकी के नीचे ट्रैफिक पार्क बनाने की योजना थी। डेढ़ साल पहले काम शुरू किया गया लेकिन बीच में बंद हो गया। ट्रैफिक पार्क के नाम पर सिर्फ सीसी सडक़ पर भी नजर आती है।
साइंस पार्क बनाने की योजना पर फिरा पानी
नगरपालिका ने बच्चों के मनोरंजन के लिए कालापाठा चट्टान पर साइंस पार्क बनाए जाने का प्रस्ताव लिया था। एक निजी शिक्षण संस्था द्वारा पार्क बनाए जाने के लिए दो लाख रुपए की आर्थिक मदद दिए जाने की बात कहीं गई थी। पार्क बनाने के लिए सीमांकन कर अतिक्रमण हटाने की औपचारिकता भर की गई लेकिन आज तक पार्क का निर्माण नहीं हो सका। अब यहां हर सप्ताह बाजार जरूर लगता है। वहीं साइंस पार्क की जमीन पर अतिक्रणकारी भी काबिज हो गए हैं। जिसके कारण नगरपालिका की यह योजना फाइलों में ही कैद होकर रह गई है।
इनका कहना
जो घोषणाएं की गई थी उन्हें चार सालों में पूरा करने का प्रयास किया गया है। कुछ योजनाओं के काम तकनीकी एवं प्रशासनिक स्वीकृति देरी से मिलने के कारण शुरू नहीं हो सके, लेकिन उन पर भी जल्द काम शुरू होगा। वर्तमान में सभी वार्डों में सडक़, नाली निर्माण के काम कराए जा रहे हैं। सौंदर्यीकरण पर भी काम चल रहा है।
– अलकेश आर्य, अध्यक्ष नगरपालिका बैतूल।
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