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सौ साल पहले हुई थी शहर में गणेशोत्सव मनाने की शुरूआत

locationहोशंगाबादPublished: Sep 14, 2018 02:58:39 pm

Submitted by:

poonam soni

वर्तमान पीढ़ी ने मूर्ति की प्रथम स्थापना करने वाले दादा- दादी व पिता की स्मृति में बनाया श्री गणेश मंदिर

ganesh utsav

सौ साल पहले हुई थी शहर में गणेशोत्सव मनाने की शुरूआत

अमित बिल्लौरे/ सोहागपुर. शहर में गणेश स्थापना की परंपरा करीब 100 साल पूर्व खंडेलवाल परिवार द्वारा प्रारंभ की गई थी, जो लगातार 100 सालों से अनवरत जारी है, बल्कि अन्य समितियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। इस वर्ष परंपरा के 100 वें वर्ष में खंडेलवाल परिवार द्वारा अनूठा कार्यक्रम किए जाने पर तैयारी है, जिससे इसे यादगार बनाया जा सके।

बताया जाता है कि बाल गंगाधार तिलक के गणेशोत्सव से प्रभावित होकर सोहागपुर में भी खंडेलवाल परिवार द्वारा मूर्ति स्थापना प्रारंभ की थी। परिवार में वर्तमान पीढ़ी के वरिष्ठ व्यक्ति अभयचंंद खंडेलवाल ने पत्रिका से चर्चा में बताया कि 1917 में उनके दादा स्वर्गीय मूलचंद खंडेलवाल मुंबई गए थे, उनका लक्ष्य वहां का गणेशोत्सव देखने का था, जो कि बाल गंगाधर तिलक द्वारा प्रारंभ किया था। व्यवस्था व उत्सव से प्रभावित होकर वे वहां से श्री गणेश प्रतिमा का सांचा लेकर सोहागपुर आए तथा अगले ही वर्ष तत्कालीन माटी कला विशेषज्ञ गंगा कुम्हार के सहयोग से सांचे द्वारा श्री गणेश प्रतिमा बनाई तथा आज के बिहारी चौक पर मूलचंद खंडेलवाल द्वारा अपने ही निवास पर प्रतिमा की स्थापना की गई। इसके बाद से अनवरत 100 सालों से प्रतिमा स्थापना का पुनीत कार्य खंडेलवाल परिवार की प्रत्येक पीढ़ी द्वारा किया जा रहा है।
खंडेलवाल ने बताया कि आज से 18 वर्ष पूर्व उन्होंने अपने दादा, दादी तथा पूज्य पिता की स्मृति में रेलवे स्टेशन रोड स्थित खंडेलवाल कॉलोनी में श्री गण्ेाश मंदिर बनवाया तथा प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की। 18 वर्षों से उक्त प्रतिमा के समीप ही मिट्टी की गणेश प्रतिमा भी स्थापित की जाती है, जो कि 100 साल पूर्व उनके दादा द्वारा प्रारंभ की गई परंपरा का निर्वहन है। इसी स्थापना से गणेशोत्सव की शुरूआत हुई थी।
ऐसे हुआ परंपरा का निर्वहन
अभय खंडेलवाल के अनुसार 1918 से 1932 तक उनके दादा मूलचंद खंडेलवाल द्वारा लगातार मूर्ति की स्थापना की गई तथा इसी साल उनका देहांत हो गया। तब उनके पुत्र गुलाबचंद खंडेलवाल की आयु मात्र सात वर्ष थी, तो परंपरा बनी रहे, इसके लिए मूलचंद की पत्नी तथा अभय की दादी गैंदीबाई खंडेलवाल ने यह जिम्मेदारी ली तथा पूरे 13 सालों तक उन्होंने प्रतिमा की स्थापना कराई। सन 1945 के बाद से गुलाबचंद खंडेलवाल ने प्रतिमा स्थापना का क्रम संभाला और इसके बाद गैंदीबाई तथा उनके पुत्र गुलाबचंद ने मिलकर 1989 तक मूर्ति स्थापना की। 1989 में गैंदी बाई के निधन के उपरांत उनके पुत्र गुलाबचंद ने अपने माता-पिता की परंपरा को बनाए रखा। वर्ष 2000 तक प्रतिमा बिहारी चौक पर ही स्थापित की जाती रही, लेकिन वर्ष 2008 में खंडेलवाल परिवार ने खंडेलवाल कॉलोनी में रेलवे स्टेशन रोड के समीप श्री गणेश मंदिर निर्माण कराया तथा इसी में प्रतिवर्ष मूर्ति स्थापित की जाने लगी। वर्ष 2008 में पिता गुलाबचंद के देहांत के बाद से अभय खंडेलवाल निरंतर प्रतिमा की स्थापना कर रहे हैं।
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