खंडेलवाल ने बताया कि आज से 18 वर्ष पूर्व उन्होंने अपने दादा, दादी तथा पूज्य पिता की स्मृति में रेलवे स्टेशन रोड स्थित खंडेलवाल कॉलोनी में श्री गण्ेाश मंदिर बनवाया तथा प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की। 18 वर्षों से उक्त प्रतिमा के समीप ही मिट्टी की गणेश प्रतिमा भी स्थापित की जाती है, जो कि 100 साल पूर्व उनके दादा द्वारा प्रारंभ की गई परंपरा का निर्वहन है। इसी स्थापना से गणेशोत्सव की शुरूआत हुई थी।
ऐसे हुआ परंपरा का निर्वहन
अभय खंडेलवाल के अनुसार 1918 से 1932 तक उनके दादा मूलचंद खंडेलवाल द्वारा लगातार मूर्ति की स्थापना की गई तथा इसी साल उनका देहांत हो गया। तब उनके पुत्र गुलाबचंद खंडेलवाल की आयु मात्र सात वर्ष थी, तो परंपरा बनी रहे, इसके लिए मूलचंद की पत्नी तथा अभय की दादी गैंदीबाई खंडेलवाल ने यह जिम्मेदारी ली तथा पूरे 13 सालों तक उन्होंने प्रतिमा की स्थापना कराई। सन 1945 के बाद से गुलाबचंद खंडेलवाल ने प्रतिमा स्थापना का क्रम संभाला और इसके बाद गैंदीबाई तथा उनके पुत्र गुलाबचंद ने मिलकर 1989 तक मूर्ति स्थापना की। 1989 में गैंदी बाई के निधन के उपरांत उनके पुत्र गुलाबचंद ने अपने माता-पिता की परंपरा को बनाए रखा। वर्ष 2000 तक प्रतिमा बिहारी चौक पर ही स्थापित की जाती रही, लेकिन वर्ष 2008 में खंडेलवाल परिवार ने खंडेलवाल कॉलोनी में रेलवे स्टेशन रोड के समीप श्री गणेश मंदिर निर्माण कराया तथा इसी में प्रतिवर्ष मूर्ति स्थापित की जाने लगी। वर्ष 2008 में पिता गुलाबचंद के देहांत के बाद से अभय खंडेलवाल निरंतर प्रतिमा की स्थापना कर रहे हैं।