इसलिए बांधवगढ़ से शिफ्ट कर रहे टाइगर
बांधवगढ़ में टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1536 वर्ग किमी है, जिसमे बाघों के लिए सघन कोर जंगल महज 694 वर्ग किमी बताया जाता है। इसमें बांकी का हिस्सा बफर जोन का है जहां सैकड़ों गांव आबाद है। जिसके चलते वन्य जीव और मानव द्वंद एक बडी बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आया है। टाइगर रिजर्व में पिछले दस सालों में 46 बाघों की मौत हुई है। वहीं अब बाघों की संख्या 110 है। एेसे में टैरोटिरि फाइट को घटाने के लिए बाघों को शिफ्ट किया जा रहा है।
बांधवगढ़ में टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1536 वर्ग किमी है, जिसमे बाघों के लिए सघन कोर जंगल महज 694 वर्ग किमी बताया जाता है। इसमें बांकी का हिस्सा बफर जोन का है जहां सैकड़ों गांव आबाद है। जिसके चलते वन्य जीव और मानव द्वंद एक बडी बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आया है। टाइगर रिजर्व में पिछले दस सालों में 46 बाघों की मौत हुई है। वहीं अब बाघों की संख्या 110 है। एेसे में टैरोटिरि फाइट को घटाने के लिए बाघों को शिफ्ट किया जा रहा है।
बाघिन को भी एसटीआर में करेंगे शिफ्ट
बाड़ी रैंज से रेस्क्यू कर लाई गई बाघिन को बीमारी के कारण वन विहार में शिफ्ट किया गया था। एेसे में अब बाघिन पहले की तरह ही स्वस्थ्य होने लगी है। एेसे में बाघिन को जल्द ही एसटीआर शिफ्ट कराने के प्रयास एसटीआर से शुरू कर दिए गए हैं। अभी एसटीआर के अधिकारियों ने लगातार बाघिन के स्वास्थ्य को लेकर लगातार अपडेट ले रहे हैं।
बाड़ी रैंज से रेस्क्यू कर लाई गई बाघिन को बीमारी के कारण वन विहार में शिफ्ट किया गया था। एेसे में अब बाघिन पहले की तरह ही स्वस्थ्य होने लगी है। एेसे में बाघिन को जल्द ही एसटीआर शिफ्ट कराने के प्रयास एसटीआर से शुरू कर दिए गए हैं। अभी एसटीआर के अधिकारियों ने लगातार बाघिन के स्वास्थ्य को लेकर लगातार अपडेट ले रहे हैं।
यहां पर भेजे जाएंगे बाघ
बाघ पुर्नस्थापना परियोजना के तहत बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व से पन्ना टाइगर रिजर्व में एक, संजय टाइगर रिजर्व में एक, सतपुडा टाइगर रिजर्व में दो, नौरादेही अभ्यारण में एक, वन विहार भोपाल में चार बाघों को पुनस्र्थापित कर बाघों की संख्या बढाने का काम करने की तैयारियों में है। इसके अतिरिक्त ५ बाघों को अलग-अलग स्थानों में भेजा जाएगा।
बाघ पुर्नस्थापना परियोजना के तहत बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व से पन्ना टाइगर रिजर्व में एक, संजय टाइगर रिजर्व में एक, सतपुडा टाइगर रिजर्व में दो, नौरादेही अभ्यारण में एक, वन विहार भोपाल में चार बाघों को पुनस्र्थापित कर बाघों की संख्या बढाने का काम करने की तैयारियों में है। इसके अतिरिक्त ५ बाघों को अलग-अलग स्थानों में भेजा जाएगा।
प्रोटोकॉल के लिए प्रक्रिया की गई
अगले तीन माह में दो बाघों को बांधवगढ़ से शिफ्ट करने की पूरी योजना तैयार है। इसके लिए प्रोटोकॉल के लिए प्रक्रिया कर दी गई है। जिसके तहत बाघों का स्वास्थ्य परिक्षण सहित अन्य गतिविधियों को कुछ समय मॉनिटरिंग में रखा जाएगा। एसटीआर के अधिकारियों का कहना है कि इसके बाद कॉलर की व्यवस्था कर पूरी देख रेख में बाघों को एसटीआर के जंगलों में छोड़ा जाएगा। वहीं बाड़ी में रेस्क्यू की गई बाघिन की स्वास्थ्य को लेकर भी एसटीआर के अधिकारियों ने नजर रखी हुई है। वो भी एसटीआर ही आएगी, जिससे बाघों का कुनवा बढ़ सके।
अगले तीन माह में दो बाघों को बांधवगढ़ से शिफ्ट करने की पूरी योजना तैयार है। इसके लिए प्रोटोकॉल के लिए प्रक्रिया कर दी गई है। जिसके तहत बाघों का स्वास्थ्य परिक्षण सहित अन्य गतिविधियों को कुछ समय मॉनिटरिंग में रखा जाएगा। एसटीआर के अधिकारियों का कहना है कि इसके बाद कॉलर की व्यवस्था कर पूरी देख रेख में बाघों को एसटीआर के जंगलों में छोड़ा जाएगा। वहीं बाड़ी में रेस्क्यू की गई बाघिन की स्वास्थ्य को लेकर भी एसटीआर के अधिकारियों ने नजर रखी हुई है। वो भी एसटीआर ही आएगी, जिससे बाघों का कुनवा बढ़ सके।
इनका कहना है
अभी दो टाइगरों के लिए प्रोटोकॉल पूरा करने के लिए प्रक्रिया कर दी गई है। दिसंबर तक दोनों बाघों को शिफ्ट करा दिया जाएगा। अधिक से अधिक समय लगा तो अगले तीन माह में प्रकिया को पूरा किया जाएगा। बाड़ी रैंज से रेस्क्यू की गई बाघिन के लिए भी वन विहार के लगातार संपर्क में हैं।
एसके सिंह, संचालक एसटीआर होशंगाबाद
अभी दो टाइगरों के लिए प्रोटोकॉल पूरा करने के लिए प्रक्रिया कर दी गई है। दिसंबर तक दोनों बाघों को शिफ्ट करा दिया जाएगा। अधिक से अधिक समय लगा तो अगले तीन माह में प्रकिया को पूरा किया जाएगा। बाड़ी रैंज से रेस्क्यू की गई बाघिन के लिए भी वन विहार के लगातार संपर्क में हैं।
एसके सिंह, संचालक एसटीआर होशंगाबाद