इंद्रादेवी ने एक साल बाद शुक्रवार को जब बेटे उदय को देखा तो आंखों में आंसू और चेहरे पर मुस्कान लेकर दौड़ते हुए बेटे से लिपट गई। कोरीघाट में मौजूद लोग मां-बेटे के मिलाप को देखते रह गए। मां-बेटे के साथ आसपास मौजूद लोगो के आंखों में भी आंसू थे। दरअसल, होशंगाबाद कोरीघाट में एक मानसिक बीमार महिला करीब एक साल से रह रही थी। महिला धार्मिक होने के कारण आसपास की महिलाओं की चहेती बन गई थी। कोरीघाट के पास के समाजसेवी तेजकुमार गौर ऑफलाइन में गंगा नाम देते हुए 7 दिसंबर को कोविशील्ड का टीका लगवाया ।
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जिसके दो तीन दिन बाद से इंद्रादेवी के स्वभाव में अंतर आने लगा। इसके बाद सबसे पहले मंगलसूत्र और मांग भरना शुरू कर दी थी। इसके बाद उसने बातों-बातों में तेजकुमार गौर को बताया कि वो बिहार के दरभंगा के मब्बी की रहने वाली है।
तहसीलदार मिलने पहुंचे
तहसीलदार शैलेंद्र बडोनिया ने कोरीघाट पहुंच कर महिला के परिजनों से मुलाकात की। बेटे उदय कुमार, रमेश और सुजित ने बताया कि उनकी मां 31 जनवरी 2021 में दातून करते हुए घर से बाहर निकल गई। मानसिक स्थिति तब भी ठीक नहीं थी। 4 माह तक रिश्तेदार और घर के लोगों ने उन्हें पूरी ताकत से खोजा, लेकिन वो मिल नहीं सकी। बुधवार को अचानक उनके यहां होने की जानकारी मिली।
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बिहार कलेक्टर को फोन लगाया
तेजकुमार ने बताया कि जगह का नाम सामने आते ही उन्होंने सबसे पहले दरभंगा के डीएम से मदद मांगी। इसके बाद उनको मब्बी के थाना प्रभारी मनीष कुमार का नंबर मिला। मनीष कुमार से बात होने के एक घंटे बाद वो महिला के बेटे से बात की। इसके बाद कुछ ही देर में बिहार से मध्यप्रदेश को निकल आए।