1880 में पढ़ा था ग्रहण
12 जुलाई 1870 को 149 साल पहले भी गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण था। पंडित विकास नारायण शास्त्री के अनुसार उस समय भी शनि, केतु, चंद्र के साथ धनु राशि में एवं सूर्य, राहु के साथ मिथुन राशि में स्थित था। शनि एवं केतु ग्रहण के समय चंद्र के साथ धनु राशि में ही रहेंगे। इससे इस ग्रहण का प्रभाव ओर बढ़ जाएगा। सूर्य के साथ राहु एवं शुक्र रहेंगे। यानि की सूर्य एवं चंद्र को चार विपरीत ग्रह शुक्र, शनि, राहु एवं केतु घेरे रहेंगे। मंगल नीच का रहेगा।
नवांश में मंगल की दृष्टि राहु पर रहेगी। नक्षत्र का स्वामी सूर्य रहेगा। उसके ऊपर भी ग्रहण का असर रहेगा। इन कारणों से देश में तनाव, राजनीति में उथल पथल, भूकंपन का खतरा रहेगा। बाढ़, तूफान एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से भारी नुकसान होने की भी आशंका रहेगी। 2018 में भी गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण था लेकिन उस समय ऐसे ग्रह-योग नहीं थे। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की रात खंडग्रास चंद्रग्रहण भारत के अलावा आस्ट्रेलिया, अफ्रिका, एशिया, यूरोप तथा दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा।
भारतीय समयानुसार का ग्रहण 16 जुलाई की रात 1 बजकर 30 मिनट से शुरू होगा और सुबह 4 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगा। इसका सूतक काल 16 जुलाई की शाम 4.30 बजे से शुरू हो जाएगा। जो कि ग्रहण के मोक्ष काल सुबह 4 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में लगने वाला यह ग्रहण धनु राशि में होगा। चंद्रग्रहण भारत में दिखाई देने के कारण मंदिरों में ग्रहण के दौरान किसी तरह का पूजन आदि नहीं होगा। इस दौरान श्रद्धालु जप-पाठ कर सकते हैं।
16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा होने से गुरु पूजन दोपहर 1.30 बजे से पहले ही होगा। उसके बाद सूतक काल शुरु हो जाने से पूूजन नही होगा। अनुसार चंद्रग्रहण का सूतक, ग्रहण के स्पर्श से 9 घंटे पहले एवं सूर्य ग्रहण का सूतक स्पर्श के समय से 12 घंटे पहले से माना जाता है। चंद्रग्रहण का सूतक काल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो 17 जुलाई को तड़के 4 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगा।
राशियों पर इस तरह का रहेगा असर
मेष- के लिए अच्छा समय। वृषभ -के लिए कष्टकारी।
मिथुन -वालों को दु:ख की आशंका। कर्क -के लिए उत्तम। सिंह -के लिए तनाव का कारण।
कन्या- के लिए चिंता का कारण।
धनु- वाले सतर्कता रखें। मकर- वालों को धोखा मिल सकता।
कुंभ- तरक्की। मीन यात्रा, लाभ।