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हलछठ: जैविक खेती का संदेश देती है यह पूजा, कांस और महुआ से होता है पेट का रोग दूर

locationहोशंगाबादPublished: Aug 21, 2019 12:21:55 pm

Submitted by:

poonam soni

– सवा सौ साल से दीवर पर गोबर और चावल के माढ़ से हलछठ माता का चित्र बनाने कीी परंपरा निभा रहे परिवार
– माताएं करेंगी पुत्र की दीर्घायु की कामना

हरछठ: जैविक खेती का संदेश देती है यह पूजा, कांस और महुआ से होता है पेट का रोग दूर

हरछठ: जैविक खेती का संदेश देती है यह पूजा, कांस और महुआ से होता है पेट का रोग दूर

होशंगाबाद. भादो माह की षष्ठी पर हलछठ आज मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं संतान की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्मदिन होता है। बलराम हल धारण करते हैं इसलिए भी इसे हलषष्ठी पर्व कहा जाता है। आज हल के उपयोग से पैदा होने वाले अनाज का सेवन किया जाता है। महुए और भैंस के दूध का सेवन, व्रत के दौरान महिलाएं महुए की दातून से दांत साफ करती हैं। और महुए के फल खाती हैं। इस दिन सिर्फ भैंस के दूध का सेवन किया जाता है भैंस के गोबर से बनातें हैं आकृति पूजा के लिए घरों में भैंस के गोबर से हलछट माता की आकृति बनाई जाती है। यह पारंपरिक तरीके से बनाई जाती है इस आकृति में सूर्य चन्द्र डोली भौंंरा चपेटे बनाएं जाते हैं।
शारीरिक सुरक्षा का देती है संदेश
संतान के सुख, समृद्धि और दीर्र्घायु के लिए महिलाएं पारंपरिक हलषष्ठी का व्रत करेंगी। महिलाएं पारंपरिक व्रत के विधान प्रकृति और शारीरिक सुरक्षा का संदेश देते हैं। बतां दे कि पसायदान के चावल खाने से लेकर कांच की पूजा करने तक हर विधि विधान का विशेष महत्व है।
बालिकाएं भी ले सकती है प्रसाद
आचार्य सोमेश परसाई के अनुसार यह व्रत केवल पुत्रों के लिए ही नहीं हैं। बल्कि बालिकाओं को भी इसका प्रसार स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए दिया जाना चाहिए।

ब्राम्हण समाज में चली आ रही पंरपरा
ब्राह्मण समाज के कुछ परिवारों में सवा 100 साल से दीवार पर गोबर से हल छठ माता और उनके छह पुत्रों की आकृति बनाने की परंपरा निभाई जा रही है। शहर में रहने वाले परिवार में निर्मला तिवारी ने बताया कि सवा सौ साल उनके यहां मांडना की की पंरपरा चली आ रही हैं। साथ ही इस पंरपरा को जीवित रखने के लिए उन्होंने अपनी बेटियों को यह सीखाया है। दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर पूजा तिवारी, चेतना, आरती तीनों भैंस के गोबर से घर की दीवार पर हलछठ माता की आकृति बनाती है।

ऐसे प्रकृति और सेहत की सुरक्षा का संदेश
1. हरछठ की पूजा महुआ बारिश के मौसम में पेट में मंदाकिनी जैसे उद्योग हो जाते हैं। महुआ का सेवन करने से मौसम से जनित उदर रोग दूर होते हैं।
2. भैंस का दूध गाय के बाद भैंस का दूध पीने योग्य है यह गरिष्ठ होता है जो खाली पेट सेवन से बीमारियों को दूर करता है।

3. पसाईदान के चावल ब्राउन राइस हैं जो कोलेस्ट्रॉल और शुगर को कंट्रोल करता है।
4. कहां से और कुश की पूजा कहां से और कुश की पूजा से सकारात्मकता बढ़ती है।

5. बिना हल जूता आहार यह जैविक खेती पर्यावरण को रसायनों से सुरक्षित रखने का संदेश देती है।
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