डिजिटल एक्सरे व सीऑर्म मशीन नहीं मिली, डॉक्टर का पद भी खाली हुआ
इटारसी। शहर के सरकारी अस्पताल में ७ साल पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हड्डी वाले मामलों में मरीजों को सुविधा देने की मंशा से डिजिटल एक्सरे मशीन और सीऑर्म मशीन देने की घोषणा की थी। ७ साल बीतने के बाद अस्पताल को मशीनें तो मिलीं नहीं उल्टा हड्डी रोग विशेषज्ञ का ट्रांसफर होने से पद और खाली हो गया है। अब शहर के गरीब और जरुरतमंद मरीज हड्डी रोगों के मामले में उपचार और एक्सरे आदि के लिए निजी अस्पताल में लुटने को मजबूर हैं।
वर्ष 201१ में घोषणा, नतीजा जीरो
जिले के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी शासकीय चिकित्सालय में इन दिनों दो मशीनों से मरीजों के एक्सरे के काम किए जा रहे हैं। एक मशीन वर्ष 2010 में और दूसरी मशीन 2015 में सरकारी अस्पताल को मिली थी। सितंबर 201१ में होशंगाबाद में आयोजित स्वास्थ्य विभाग की बैठक में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने तत्कालीन स्वास्थ्य आयुक्त जेएन कंसोटिया को इटारसी अस्पताल में डिजिटल एक्सरे मशीन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। ७ साल का लंबा समय बीतने के बाद भी अब तक सरकारी अस्पताल में डिजीटल एक्सरे मशीन नहीं पाई है। इसी तरह सीऑर्म मशीन का भी अब तक कोई अता-पता नहीं है।
पिपरिया को दी, इटारसी की अनदेखी
होशंगाबाद जिले का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल डिजिटल एक्सरे और सीऑर्म मशीनों के लिए स्वास्थ्य आयुक्त कार्यालय भोपाल पत्र लिख लिखकर कागज काले कर चुका है मगर इटारसी अस्पताल की जरुरत की अनदेखी की जाती रही है और जब मशीन देने की बारी आई तो अधिकारियों ने करीब 3 महीने पहले डिजिटल एक्सरे मशीन पिपरिया के सरकारी अस्पताल को थमा दी। इटारसी अस्पताल प्रबंधन भी स्वास्थ्य विभाग भोपाल के इस रवैए से हतप्रभ है मगर लाचारी के कारण मुंह भी नहीं खोल पा रहा है।
मशीन है नहीं, पद भी खाली
शहर के शासकीय अस्पताल में डिजिटल एक्सरे और सीऑर्म मशीन नहीं होने के साथ हड्डी रोग विशेषज्ञ का पद भी खाली है। इन दोनों कमियों के कारण हड्डी रोगों के मरीजों के सामने निजी अस्पतालों में लुटने के अलावा कोई चारा नहीं है। शासकीय अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स के जानकार के रूप में डॉ सुनील मंत्री हैं मगर संसाधन नहीं होने से वे भी ऐसे मरीजों को उपचार देने में लाचार हैं।
चिकित्सकों के पद भी खाली
जिले के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में लंबे समय से चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं। स्वास्थ्य विभाग ने यहां चिकित्सकों की कमी पूरा करने में कभी रुचि नहीं दिखाई। अस्पताल में द्वितीय श्रेणी डॉक्टरों के स्वीकृत पंद्रह पदों में से केवल आठ से दस पद भरे हुए हैं। नर्सिंग स्टॉफ में भी कई पद खाली पड़े हैं जिससे काम प्रभावित होता है। इसके अलावा नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ, १९९६ से और एमडी डॉक्टर का पद करीब 2 साल से खाली पड़ा है।
एक नजर में डीएसपीएम अस्पताल
शासकीय अस्पताल का नाम- डीएसपीएम अस्पताल
अस्पताल का दर्जा- सिविल अस्पताल
अस्पताल बिस्तर की संख्या- 160
ओपीडी में मरीजों की संख्या- करीब ५00 प्रतिदिन
स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा- सितम्बर 2011
अधीक्षक कार्यालय से प्रस्ताव भेजा- दिसम्बर 2011
अस्पताल में सामान्य एक्सरे मशीनों की संख्या- ०२
प्रस्ताव भेजा है-
हमने वरिष्ठ अधिकारियों को डिजीटल एक्सरे और सीआर्म मशीन का प्रस्ताव पहले ही कई बार भेज दिया है अब जो भी निर्णय होना है वह शासन स्तर से होना है। यह बात सही है कि मशीनें नहीं होने से जरुरतमंद मरीजों को भटकना पड़ रहा है।
डॉ एके शिवानी, अधीक्षक डीएसपीएम अस्पताल
हम दिखवा लेते हैं
यह हमारी ज्वाइनिंग के पहले का मामला है इसलिए ज्यादा जानकारी नही है। फिर भी हम इस मामले को चेक करा लेते हैं। जो भी हो सकेगा वह अवश्य किया जाएगा।
धनराजू एस, स्वास्थ्य आयुक्त भोपाल
इटारसी। शहर के सरकारी अस्पताल में ७ साल पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने हड्डी वाले मामलों में मरीजों को सुविधा देने की मंशा से डिजिटल एक्सरे मशीन और सीऑर्म मशीन देने की घोषणा की थी। ७ साल बीतने के बाद अस्पताल को मशीनें तो मिलीं नहीं उल्टा हड्डी रोग विशेषज्ञ का ट्रांसफर होने से पद और खाली हो गया है। अब शहर के गरीब और जरुरतमंद मरीज हड्डी रोगों के मामले में उपचार और एक्सरे आदि के लिए निजी अस्पताल में लुटने को मजबूर हैं।
वर्ष 201१ में घोषणा, नतीजा जीरो
जिले के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी शासकीय चिकित्सालय में इन दिनों दो मशीनों से मरीजों के एक्सरे के काम किए जा रहे हैं। एक मशीन वर्ष 2010 में और दूसरी मशीन 2015 में सरकारी अस्पताल को मिली थी। सितंबर 201१ में होशंगाबाद में आयोजित स्वास्थ्य विभाग की बैठक में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने तत्कालीन स्वास्थ्य आयुक्त जेएन कंसोटिया को इटारसी अस्पताल में डिजिटल एक्सरे मशीन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। ७ साल का लंबा समय बीतने के बाद भी अब तक सरकारी अस्पताल में डिजीटल एक्सरे मशीन नहीं पाई है। इसी तरह सीऑर्म मशीन का भी अब तक कोई अता-पता नहीं है।
पिपरिया को दी, इटारसी की अनदेखी
होशंगाबाद जिले का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल डिजिटल एक्सरे और सीऑर्म मशीनों के लिए स्वास्थ्य आयुक्त कार्यालय भोपाल पत्र लिख लिखकर कागज काले कर चुका है मगर इटारसी अस्पताल की जरुरत की अनदेखी की जाती रही है और जब मशीन देने की बारी आई तो अधिकारियों ने करीब 3 महीने पहले डिजिटल एक्सरे मशीन पिपरिया के सरकारी अस्पताल को थमा दी। इटारसी अस्पताल प्रबंधन भी स्वास्थ्य विभाग भोपाल के इस रवैए से हतप्रभ है मगर लाचारी के कारण मुंह भी नहीं खोल पा रहा है।
मशीन है नहीं, पद भी खाली
शहर के शासकीय अस्पताल में डिजिटल एक्सरे और सीऑर्म मशीन नहीं होने के साथ हड्डी रोग विशेषज्ञ का पद भी खाली है। इन दोनों कमियों के कारण हड्डी रोगों के मरीजों के सामने निजी अस्पतालों में लुटने के अलावा कोई चारा नहीं है। शासकीय अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स के जानकार के रूप में डॉ सुनील मंत्री हैं मगर संसाधन नहीं होने से वे भी ऐसे मरीजों को उपचार देने में लाचार हैं।
चिकित्सकों के पद भी खाली
जिले के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में लंबे समय से चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं। स्वास्थ्य विभाग ने यहां चिकित्सकों की कमी पूरा करने में कभी रुचि नहीं दिखाई। अस्पताल में द्वितीय श्रेणी डॉक्टरों के स्वीकृत पंद्रह पदों में से केवल आठ से दस पद भरे हुए हैं। नर्सिंग स्टॉफ में भी कई पद खाली पड़े हैं जिससे काम प्रभावित होता है। इसके अलावा नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ, १९९६ से और एमडी डॉक्टर का पद करीब 2 साल से खाली पड़ा है।
एक नजर में डीएसपीएम अस्पताल
शासकीय अस्पताल का नाम- डीएसपीएम अस्पताल
अस्पताल का दर्जा- सिविल अस्पताल
अस्पताल बिस्तर की संख्या- 160
ओपीडी में मरीजों की संख्या- करीब ५00 प्रतिदिन
स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा- सितम्बर 2011
अधीक्षक कार्यालय से प्रस्ताव भेजा- दिसम्बर 2011
अस्पताल में सामान्य एक्सरे मशीनों की संख्या- ०२
प्रस्ताव भेजा है-
हमने वरिष्ठ अधिकारियों को डिजीटल एक्सरे और सीआर्म मशीन का प्रस्ताव पहले ही कई बार भेज दिया है अब जो भी निर्णय होना है वह शासन स्तर से होना है। यह बात सही है कि मशीनें नहीं होने से जरुरतमंद मरीजों को भटकना पड़ रहा है।
डॉ एके शिवानी, अधीक्षक डीएसपीएम अस्पताल
हम दिखवा लेते हैं
यह हमारी ज्वाइनिंग के पहले का मामला है इसलिए ज्यादा जानकारी नही है। फिर भी हम इस मामले को चेक करा लेते हैं। जो भी हो सकेगा वह अवश्य किया जाएगा।
धनराजू एस, स्वास्थ्य आयुक्त भोपाल