भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) द्वारा कराए गए नेशनल मिल्क सर्वे में होशंगाबाद सहित प्रदेश के 13 जिलों में यूरिया युक्त दूध विक्रय होने का खुलासा हुआ है। यह दूध मानव शरीर के लिए घातक है। केंद्र ने यह रिपोर्ट मध्यप्रदेश सरकार को भेजी थी। जहां से होशंगाबाद जिला प्रशासन के पास आई। इसके बाद प्रशासन और खाद्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। अधिकारियों ने सख्त कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके बाद खाद्य विभाग का अमला सोमवार को शहर के अलग-अलग इलाकों में संचालित दूध डेयरियों पर औचक निरीक्षण करने पहुंचा। अमले ने चार डेयरियों से दूध, दही का सैंपल लिया। इसके अलावा एक होटल से खानपान सामग्री के नमूने लेकर जांच के लिए लैबोरेटरी भेजा है। सूत्रों ने बताया कि जनवरी २०१८ से अब तक भेजे गए दूध के सैंपल में से 11 नमूने अमानक मिले थे। जिनमें फेट का प्रतिशत कम और पानी की मिलावट पाई गई थी। बावूजद विभाग ने सघन अभियान चलाने की जरूरत महसूस नहीं की।
यहां से लिया दूध के सेम्पल फूड एंड सेफ्टी विभाग ने सोमवार को यादव डेयरी सतरस्ता, साक्षी डेयरी सतरस्ता, यादव टी स्टॉल एसपीएम रोड और पाल दूध डेयरी ग्वालटोली से दूध व दही का सैंपल लिया। जिला अस्पताल के सामने कृष्णा स्वीट्स से बेसन जलेबी और समोसा का सेम्पल लिया गया।
होशंगाबाद के साथ यह जिले शामिल
मप्र के तेरह जिलों में यूरिया व केमिकल से तैयार मिलावटी दूध बिक रहा है। भारत सरकार के भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के नेशनल मिल्क सर्वे में इंदौर, उज्जैन, धार, रतलाम, अशोकनगर, भिंड, बालाघाट, होशंगाबाद, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी व सिवनी में यूरिया व केमिकल से तैयार किए गए दूध की बिक्री करना पाई गई है।
मप्र के तेरह जिलों में यूरिया व केमिकल से तैयार मिलावटी दूध बिक रहा है। भारत सरकार के भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के नेशनल मिल्क सर्वे में इंदौर, उज्जैन, धार, रतलाम, अशोकनगर, भिंड, बालाघाट, होशंगाबाद, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी व सिवनी में यूरिया व केमिकल से तैयार किए गए दूध की बिक्री करना पाई गई है।
अब मिला हर सप्ताह 15 सैंपल भेजने का टारगेट इस खुलास के बाद भारत सरकार ने मप्र सरकार को निर्देश दिए है कि केमिकल व यूरिया से तैयार नकली दूध की बिक्री और बनाने पर रोक के ठोस उपाय किए जाए। साथ ही हर जिले को दूध के सैंपल लेकर जांच करने के लिए कहा गया है। होशंगाबाद जिले से एक सप्ताह में १५ सेम्पल जांच के लिए लैब में भेजने का लक्ष्य रखा गया है।
इनका कहना है… नेशनल मिल्क सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद जिलों को लीगल सैंपल लेने के लिए लक्ष्य दिया है। सर्वे रिपोर्ट में यूरिया की मिलावट पाई गई है। -ब्रजेश सक्सेना, संयुक्त नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन मप्र।
सर्वे की रिपोर्ट में होशंगाबाद का नाम आना चिंताजनक है। हम सैंपल ले रहे हैं। पिछले नौ महीने में दूध के ११ सेम्पल फेट का प्रतिशत कम और पानी मिला होने से अमानक पाए गए थे।
-शिवराज पावक, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी होशंगाबाद।
-शिवराज पावक, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी होशंगाबाद।
इसलिए जांच में होती है देरी प्रदेश की एकमात्र फूड टेस्टिंग लैब भोपाल में है। राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में सिर्फ दो फूड एनालिस्ट, 2 केमिस्ट, 3 टेक्नीशियन और 4 लैब असिस्टेंट है। इनके जिम्मे प्रदेश के सभी ५१ जिलों के फूड सैंपलों की जांच होती है। यही सबसे बड़ी वजह है कि कई महीनों तक नमूनों की जांच रिपोर्ट नहीं मिल पाती है।
सिर्फ पांच मामलों में हुई सजा
सिर्फ पांच मामलों में हुई सजा
जिले में हर साल लगभग 400 खाद्य सैंपल लिए जाते हैं। वर्ष 2018 में 277 खाद्य सामग्री के नमूने लिए गए। इनमें से अमानक पाए गए 51 मामलों के प्रकरण न्यायालय भेजे गए थे, जिसमें से पांच मामलों में सजा हुई।
150 मामलों की नहीं मिली जांच रिपोर्ट वर्ष 2018 में 1350 निरीक्षण किए गए। जिनमें 277 सेम्पल लैब में परीक्षण के लिए भेजे गए थे। इनमें से अब तक 127 सेम्पलों की रिपोर्ट मिली। जिनमें 90 मानक और 37 अमानक सेम्पल पाए गए। 150 सैंपलों की तो जांच रिपोर्ट भी अब तक नहीं मिली है।