प्राचार्य डॉ. कामिनी जैन ने बताया कि एजोला का उत्पादन हम घर पर ही कम खर्च एवं कम स्थान पर कर सकते हैं। उन्होने बताया कि लगभग 50 से 60 किग्रा एजोला को खाद के रूप में उपयोग करने से धान की फसल में लगभग 50 से 60 प्रतिशत की उत्पादन क्षमता की बढा़ेतरी की जा सकती है।
प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. संगीता अहिरवार ने बताया कि इस प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त कर छात्राएं कम लागत एवं छोटे स्तर पर एजोला का उत्पादन कर सकती हैं। इसका उपयोग फसल उत्पादन के क्षेत्र में कारगर साबित होता है।उक्त प्रशिक्षण में सहयोगी के रूप में नीलम चौधरी, धीरज खातरकर, पूजा थापक, डॉ. श्रद्धा हर्णे, शिवानी चौबे एवं महाविद्यालय की छात्राएं उपस्थित रहीं।