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नर्मदा-तवा में एक दर्जन प्रजातियों की मछलियों पर संकट, ऐसे किया जाता है शिकार

locationहोशंगाबादPublished: Mar 19, 2019 05:52:39 pm

Submitted by:

sandeep nayak

नदी घाटी पर बने डेम और ब्रिजों पर जहरीला पावडर डालकर मारी जाती है मछलियां

Hunting of fish in hoshangabad

नर्मदा-तवा में एक दर्जन प्रजातियों की मछलियों पर संकट, ऐसे किया जाता है शिकार

होशंगाबाद। नर्मदा-तवा नदियों को साफ और स्वच्छ बनाए रखने में मछलियों की अहम् भूमिका होती है, लेकिन जिले में एक दर्जन ऐसी प्रजातियां हैं, जिनके अंधाधुंध शिकार से ये विलुप्त होने की कगार पर है। मछलियों की जान पर सबसे अधिक नर्मदा घाटी में बने ब्रिज एवं बांधों के मुहाने पर ठेकेदारों व्दारा जहरीला पावडर डाले से खतरा मंडरा रहा है। सबसे अधिक संकट समल, रोहू, बाड़स (महाशीर) और नरेन प्रजाति की मछलियों पर बना हुआ है। इनके संरक्षण के जल्द उपाय नहीं हुए तो इन मछलियों को देखना भी मुश्किल हो जाएगा। अत्यधिक शिकार के साथ ही नर्मदा में रेत के लगातार उत्खनन से मिट्टी-कपा बढ़ रहा है। इससे नर्मदा के पानी के बहाव व गहराई में भी कमी आ रही है। मार्च माह में ही कई स्थानों पर रेत के टीले निकल आए हैं। शहरों की सीवेज गंदगी भी मछलियों को तेजी से प्रभावित कर रही है। मत्स्य विभाग के पास मछलियों के संरक्षण व संवर्धन की भी कोई योजना नहीं है। बारिश के सीजन में शासन-प्रशासन सिर्फ मत्स्याखेट पर प्रतिबंध लगाकर इतिश्री कर लेता है।
जिले में ये इन प्रजातियों की मछलियां हो रही विलुप्त

नर्मदा-तवा मुख्य नदी है, जिसमें रोहू, कतला, नरेन, बाम, दिगड़ा, बाड़स (महाशीर), कालोट, बंगाली, पडऩ, दीगर, कामन कार्प प्रचुर मात्रा में पाई जाती थी, जो अब लगातार शिकार होने से विलुप्त होने की स्थिति में आ चुकी है। इनमें बाड़स, रोहू और नरेन संकट में है।

पावडर डालने से वापस डेम में चली जाती है मछलियां
मछलियों के संकट के लिए दरअसल सबसे मुख्य कारण डेम और बांधों के मुहाने पर जहरीले किस्म के पावडर डालना भी है। डेम की मछलियां धारा के विपरीत चढ़ती है।
ठेकेदार डेम से मछलियों को नदियों में जाने से रोक देते हैं। शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है। पावडर के असर से मछलियां अचेत होकर वापस डेम में चली जाती है, जबकि मछलियों का स्वभाव नदियों में बहाव व गहराई में रहना अधिक होता है।

मछलियों की विलुप्तता में रेत का अंधाधुंध खनन जिम्मेदार
मछलियों की विलुप्तता में रेत का अंधाधुंध खनन भी जिम्मेदार है। रेत को नदी से निकाल लेने से इसकी जगह मिट्टी-कपा और मलबा जम जाता है। जिसमें मछलियां पलायन कर जाती है। मछलियां रेत की तलहटी में जलीय वनस्पतियों के बीच में रहना पसंद करती हैं।

इनका कहना है…

यह बात सही है वर्तमान में मछलियों पर संकट है। कुछ मछलियां विलुप्त होने की कगार पर है। इनके संरक्षण व संवर्धन की बेहद जरुरत है। मत्स्य विभाग को इसके लिए कार्य करने चाहिए। मछलियों को बचाने महाजाल का उपयोग बंद हो, नदियों में बारिश में बच्चे छोड़े जाएं। इस दौरान मत्स्याखेट पर प्रतिबंध के समय मछुआरों को वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
-प्रदीप मांझी, प्रदेश महासचिव फिशरमैन कांग्रेस व समाज अध्यक्ष
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