scriptअब निजी स्कूल में बच्चों को प्रताडि़त किया तो टीचर पर होगी कार्रवाई | If the children are harassed in a private school, action will be taken | Patrika News

अब निजी स्कूल में बच्चों को प्रताडि़त किया तो टीचर पर होगी कार्रवाई

locationहोशंगाबादPublished: Feb 20, 2020 09:08:55 pm

जिला शिक्षा अधिकारियों को दिए कार्रवाई के निर्देश

lady teacher

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होशंगाबाद। अब तक निजी स्कूलों में बच्चों की प्रताडऩा के मामलों में शिक्षा विभाग कार्रवाई करने से बच जाता था। बड़े ही मामलों में पुलिस थाने तक मामला पहुंचने पर कार्रवाई होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। निजी स्कूलों में भी बच्चों को मारने या प्रताडि़त करने के मामले आने पर जिला शिक्षा अधिकारी संबंधित शिक्षक पर कार्रवाई कर सकेंगे। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों के शिक्षा अधिकारी को निर्देश जारी कर दिए हैं।
यह निर्देश मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव प्रमोद सिंह की ओर से शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सभी जिला शिक्षाधिकारी को दिए गए।
जिला शिक्षाधिकारी की ओर से यह आदेश सभी विकासखंड़ों, संकुल प्राचार्यों, शासकीय और अशासकीय शिक्षा संस्थाओं को जारी किया गया है और निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा गया है। अशासकीय स्कूलों में बच्चों को प्रताडि़त करते पाए जाने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
तय दुकानें से किताब और ड्रेस खरीदी के लिए नहीं कर सकेंगे बाध्य
नर्मदपुरम् संभाग के कमिश्नर ने हरदा, होशंगाबाद और बैतूल जिले के कलेक्टरों को आदेश दिए हैं कि वह निजी स्कूलों की एक ही निश्चित दुकान से किताबें, स्टेशनरी व यूनीफार्म खरीदने की मनमानी पर तत्काल रोक लगाएं। इस बात की समीक्षा भी करें और जल्द अपने जिले में निजी स्कूल संचालकों की बैठक बुलाकर दिशा-निर्देश का पालन करने पर अमल कराएं। ताकि पालक व बच्चे स्वेच्छा से उनकी सुविधा के मुताबिक वाजिब कीमतों में किताबें-यूनीफार्म खरीद सकें। कमिश्नर ने यह भी कहा है कि इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। स्कूल संचालक वार्षिक फीस में बढ़ोतरी भी मनमर्जी से नहीं कर सकेंगे।
यह हैं शासन के स्पष्ट निर्देश
शासन से जारी हुए निर्देश के संबंध में कमिश्नर रजनीश कुमार श्रीवास्तव संभाग के तीनों जिले के कलेक्टरों भेजे पत्र में कहा है कि शैक्षणिक सत्र में निजी स्कूलों में स्कूल संचालकों व्दारा छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को किसी निश्चित स्थान या दुकान से किताबें, पुस्तकें, स्टेशनरी एवं यूनीफार्म इत्यादि खरीदने के लिए बाध्य न किया जाए। इसके लिए जिला स्तर पर समीक्षा करें। सभी स्कूल संचालकों को भी अवगत कराएं। इस तरह की कोई भी स्थिति प्रशासनिक स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। निजी स्कूलों के व्दारा वार्षिक फीस में बढ़ोतरी अपनी मर्जी से नहीं की जाए।
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