scriptये क्या, इस शहर में जुर्माना देकर हो रहा जमीन पर अवैध कब्जा, सरकारी जमीन हुई गायब | Illegal possession of land being done by paying fine | Patrika News

ये क्या, इस शहर में जुर्माना देकर हो रहा जमीन पर अवैध कब्जा, सरकारी जमीन हुई गायब

locationहोशंगाबादPublished: Jan 27, 2020 01:38:26 pm

Submitted by:

krishna rajput

मनमानी: गांवों में छोटी घास और बड़ा झाड़ की जमीन पर है अवैध कब्जा

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कृष्णा राजपूत.इटारसी/आपने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के मामले के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन यह सुना है कि जुर्माना देकर सरकारी जमीन पर कब्जा किया जा सकता है। लेकिन ऐसा हो रहा है। इटारसी में। यहां के गांवों में छोटी घास और बड़ा झाड़ की जमीन गायब हो गई है। गांवों में कई हैक्टेयर जमीन पर कब्जा हो गया है। वर्षों से कब्जा करके बैठे अवैध कब्जाधारी दबंगों ने अपना अधिपत्य मान लिया है। मामूली जुर्माना भरकर करोड़ों की कीमती सरकारी जमीन पर कब्जा करके लाभ उठाया जा रहा है। पत्रिका की पड़ताल में सामने आया हैं कि कई गांवों में तो सरकारी जमीन ही नहीं बची है। पत्रिका की पड़ताल में कुछ गांवों के अवैध कब्जाधारियों के नाम सामने आए हैं। यह कब्जाधारी सालों से 1000-1500 रुपए का जुर्माना भरते हैं और हर साल कब्जे की जमीन से लाखों रुपए की फसल लेते हैं। इटारसी तहसील के सोमलवाड़ा खुर्द में ही करीब 5 एकड़ पर, सोनतलाई में 9 एकड़ पर और मरोड़ा में ४५ एकड़ जमीन पर कब्जा है। पत्रिका के पास इन सब अवैध कब्जाधारियों से संबंधित दस्तावेज की प्रतिलिपि उपलब्ध है।
क्यों होती थी छोटी घास की जमीन
हर ग्राम पंचायत के पास छोटी घास की जमीन होती है। दरअसल यह जमीन का उपयोग पहले मवेशियों के चरने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इसके अलावा पंचायत में यदि कोई सरकारी योजना के तहत भवन या कोई निर्माण होना होता था तो इस जमीन का उपयोग किया जाता था।
दो-तीन साल में भरते हैं जुर्माना
छोटी घास और बड़ा झाड़ की जमीन पर कब्जा जमाए बैठे लोग एक-दो साल के अंदर मामूली जुर्माना भर देते हैं। इस जुर्माने को भरने के बाद कब्जाधारी अपने आपको सरकारी जमीन का मालिक समझने लगते हैं जबकि जुर्माना जमा करने वाली रसीद की आखिरी लाइन में ही लिखा होता है कि अर्थदंड अधिरोपित किया जाकर अतिक्रमण की गई भूमि से बेदखल किया जाता है।
कब्जाधारी यह हैं शामिल
कृष्णावतार पिता मोतीलाल कुर्मी सोमलवाड़ा का 0.210 मतलब 0.518 डिसमिल पर कब्जा है।
बैजनाथ पिता गब्बूलाल सोमलवाड़ा का 0.970 मतलब 2 एकड़ 39 डिसमिल पर कब्जा है।
रमेश पिता बाबूलाल कुर्मी सोमलवाड़ा का 0.405 मतलब 1 एकड़ पर कब्जा है।
राधेलाल पिता रामकेश कुर्मी सोमलवाड़ा का 0.526 मतलब 1 एकड़ 29 डिसमिल पर कब्जा है।
अशोक पिता रामदास कहार सोनतलाई का 1.823 मतलब 4 एकड़ 50 डिसमिल पर कब्जा है।
सुखराम पिता रामदास कहार सोनतलाई का 1.823 मतलब 4 एकड़ 50 डिसमिल पर कब्जा है।
चिरोंजीलाल पिता रामप्रसाद कीर मरोड़ा का ९.१८६ मतलब २२ एकड़ ६९ डिसमिल पर कब्जा है।
राधेश्याम पिता रामरतन धोबी मरोड़ा का ९.१८६ मतलब २२ एकड़ ६९ डिसमिल पर कब्जा है।
सीधी बात तृप्ति पटैरिया, तहसीलदार
सवाल- पंचायतों में कौन सी जमीन को सरकारी माना जाता है ?
जवाब- पंचायतों में छोटी घास (चरनोइ) और बड़ा झाड़ की जो जमीन होती है वह सरकारी जमीन होती है।
सवाल- ऐसी जमीन पर कब्जाधारियों के लिए क्या प्रावधान है?
जवाब- जहां भी सरकारी जमीन पर कब्जा है उन पर अर्थदंड लिया जाता है जो उन्हें हटाया जाता है।
सवाल- क्या अर्थदंड देने से जमीन पर अधिपत्य मिल जाता है ?
जवाब- अर्थदंड का मतलब कतई अधिपत्य नहीं होता है। इन्हें कभी भी बेदखल किया जा सकता है।
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