बच्चें के जन्म लेने के बाद
बच्चें के जन्म लेने के बाद माँ का सबसे बड़ा एवं पहला मुख्य पाठ स्तनपान होता है। बच्चों को दूध पिलाने वाली माँ को रोजाना कम से कम १००० कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है। ज्यादातर महिलाएं या तो सही डाइट चार्ट के बारे में नहीं जानती या फिर इस की अनदेखी करती है, जिस के कारण वे डिहाइडे्रशन, विटामिन या मिनरल की कमी और कभीकभी खून की कमी यानी ऐनीमिया की शिकार हो जाती हैं। इसे नेटल मालनयूट्रिशन यानी बच्चे के जन्म के बाद होने वाला कुपोषण भी कहा जाता है।
बच्चें के जन्म लेने के बाद माँ का सबसे बड़ा एवं पहला मुख्य पाठ स्तनपान होता है। बच्चों को दूध पिलाने वाली माँ को रोजाना कम से कम १००० कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है। ज्यादातर महिलाएं या तो सही डाइट चार्ट के बारे में नहीं जानती या फिर इस की अनदेखी करती है, जिस के कारण वे डिहाइडे्रशन, विटामिन या मिनरल की कमी और कभीकभी खून की कमी यानी ऐनीमिया की शिकार हो जाती हैं। इसे नेटल मालनयूट्रिशन यानी बच्चे के जन्म के बाद होने वाला कुपोषण भी कहा जाता है।
प्रीनेटल विटामिन का सेवन जरूर करें
बच्चे के जन्म से पहले और बाद में प्रीनेटल विटामिन का सेवन करना बहुत जरूरी होता है। ताकि प्रीनेटल विटामिन जैसे फौलिक ऐसिड पानी में घुल कर शरीर से बाहर निकलते रहे। जिस के चलते अकसर बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं फौलिक ऐसिड की कमी के कारण ऐनीमिया से ग्रस्त हो जाती हैं।
बच्चे के जन्म से पहले और बाद में प्रीनेटल विटामिन का सेवन करना बहुत जरूरी होता है। ताकि प्रीनेटल विटामिन जैसे फौलिक ऐसिड पानी में घुल कर शरीर से बाहर निकलते रहे। जिस के चलते अकसर बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं फौलिक ऐसिड की कमी के कारण ऐनीमिया से ग्रस्त हो जाती हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का भी शिकार हो जाती है महिलाएं
बच्चे के जन्म के बाद कुपोषण के कारण अकसर महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रैशन की भी शिकार हो जाती हैं। बच्चे को जन्म देने के बाद उन में भावनात्मक बदलाव आते हैं, जिस के कारण डिप्रैशन की समस्या हो सकती हैं। इस समस्या से बचने के लिए महिलाएं ठीक से खाना बंद कर देती हैं।
थोड़ा=थोड़ा खाते रहें
एक ही बार भरपेट खाने के बजाय, बारबार कम मात्रा में खाती रहें। भारी भोजन को पचाने के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। लेकिन इस समय मां की नींद पूरी नहीं हो पाती, जिस से भारी भोजन पचाना मुश्किल होता है, इसलिए हलका आहार लें ताकि शरीर में ऊर्जा का सही स्तर बना रहे और आप दिनभर थकान न महसूस करें।
बच्चे के जन्म के बाद कुपोषण के कारण अकसर महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रैशन की भी शिकार हो जाती हैं। बच्चे को जन्म देने के बाद उन में भावनात्मक बदलाव आते हैं, जिस के कारण डिप्रैशन की समस्या हो सकती हैं। इस समस्या से बचने के लिए महिलाएं ठीक से खाना बंद कर देती हैं।
थोड़ा=थोड़ा खाते रहें
एक ही बार भरपेट खाने के बजाय, बारबार कम मात्रा में खाती रहें। भारी भोजन को पचाने के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। लेकिन इस समय मां की नींद पूरी नहीं हो पाती, जिस से भारी भोजन पचाना मुश्किल होता है, इसलिए हलका आहार लें ताकि शरीर में ऊर्जा का सही स्तर बना रहे और आप दिनभर थकान न महसूस करें।
कुपोषण को ऐसे रोका जा सकता है
कुपोषण जैसी बीमारी से माँ और बच्चें को संतुलित आहार के सेवन से ही रोका जा सकता है। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियों, पानी, फाइबर, प्रोटीन, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना चाहिए. वे महिलाएं जो गर्भधारण की योजना बना रही हैं, उन्हें प्रीनेटल विटामिन शुरू कर देने चाहिए. इस के अलावा सेहतमंद आहार लें और नियमित व्यायाम करे। गर्भावस्था के दौरान पोषक खाद्यपदार्थों का सेवन करें। बच्चे के जन्म के बाद भी विटामिनों का सेवन करें। इस से मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे।
कुपोषण जैसी बीमारी से माँ और बच्चें को संतुलित आहार के सेवन से ही रोका जा सकता है। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियों, पानी, फाइबर, प्रोटीन, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना चाहिए. वे महिलाएं जो गर्भधारण की योजना बना रही हैं, उन्हें प्रीनेटल विटामिन शुरू कर देने चाहिए. इस के अलावा सेहतमंद आहार लें और नियमित व्यायाम करे। गर्भावस्था के दौरान पोषक खाद्यपदार्थों का सेवन करें। बच्चे के जन्म के बाद भी विटामिनों का सेवन करें। इस से मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे।