कल मादा बाघ शावक की मौत के बाद पार्क के सारे हाथी मोगरा बुलाए गए थे। जिसके बाद सुबह हाथियों के दलों के साथ कर्मचारियों को अलग अलग स्थानों पर सरचिंग के लिए रवाना किया था। खोज करने के बाद बाघ शावक की मृत्यु वाले स्थान से लगभग 7 सौ मीटर की दूरी पर एक नर बाघ घायल अवस्था में लेटा हुआ दिखाई दिया। गंभीर चोटों के कारण बाघ को तत्काल बेहोश कर वन विहार भेजने का निर्णय लिया गया। बाघ के पास जाने पर तथा डार्ट मारने पर उसके द्वारा किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं की गई। बाघ इतना अधिक घायल था कि उसे किसी भी तरह की दवा का कोई असर नहीं हुआ तथा उसने पिंजरे में ही दम तोड़ दिया। सूत्रों की मानें तो बाघों की यह संदिग्ध मौते हैं,टेरिटोरियल फाइट इसलिए संभावना कम है, क्योंकि एसटीआर के पास भरपूर स्थान है।
क्षेत्र संचालक एवं उप संचालक की उपस्थिति में वन्यप्राणी चिकित्सकों के दल द्वारा बाघ का पोस्टमार्टम प्रोटोकोल अनुसार कराया गया। पोस्ट मोर्टेम में बाघ के गले पर, आगे के दोनों पैरों पर तथा सारे शरीर पर जगह-जगह चोट के निशान पाए गए। साथ ही बाघ का एक केनाईन दांत भी टूटा पाया गया। पोस्टमार्टम के बाद बाघ के शव को सभी वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में जला दिया गया। पूरी प्रक्रिया के दौरान एनटीसीए तथा डब्लूसीटी के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
शिकारियों को बचा रहा एसटीआर एसटीआर जंगल में डाइनामाइट के साथ पकड़े गए आरोपियों को बचाने वाले एसटीआर के अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रहा है। जिसके कारण ही जांच के बाद भी दोषी कर्मचारियों पर अब तक कार्रवाई नहीं की गई है। इस पूरे मामले में 21 नवंबर 2021 को आरोपियों को डाइनामाइट के साथ पकड़ा गया था। जबकि इन शिकारियों पर एसटीआर ने 12 मार्च को मछली मारने का केस बनाया था। शिकारियों को छोडऩे वालों की जांच कर कार्रवाई को लटकाया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इसमें भी अधिकारियों के बीच सौदे-बाजी का खेल चल रहा है। यह वो सूत्र है जिन्होंने पत्रिका को 21 नवंबर 2021 के शिकारियों को डाइनामाइट के साथ पकडऩे जाने के बाद छोडऩे के बीडियो उपलब्ध कराए थे।