चलती ट्रेन में पत्थरबाजी के बाद भी रेलवे को नहीं होगा नुकसान, उठाया यह कदम
पत्थर से नहीं टूटेंगे ट्रेनों में लगे शीशे, कोटेड शीट व रेसिन की कोटिंग से हो रहे तैयार
चलती ट्रेन में पत्थरबाजी के बाद भी रेलवे को नहीं होगा नुकसान, उठाया यह कदम
इटारसी। चलती ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं बढऩे से अब रेलवे ने इनसे होने वाले नुकसान को रोकने का उपाय कर लिया है। ट्रेनों में अब विनाइल कोट लगे शीशों का उपयोग किया जाएगा जिससे पत्थर लगने पर भी यह नहीं टूटेंगे। संभाग के इटारसी से पिपरिया, खंडवा- बैतूल घाट सेक्शन में पथराव की घटनाएं ज्यादा होती हैं। नए कोचों सर्व प्रथम हमसफर और एलएचवी कोचों में लगाए जाएंगे। इसके बाद अन्य ट्रेनों में इसे लगाया जाएगा।
‘हमसफरÓ और एलएचवी ट्रेनों में लगेंगे पहले
रेलवे के अनुसार देश भर में कई इलाकों में पथराव की घटनाएं होती हैं। होशंगाबाद, बैतूल और खंडवा में भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। जिससे कांच तो टूटे ही यात्री भी घायल हुए हैं। इसे देखते हुए रेलवे नए कोचों में खास तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बनने वाले कोचों में विनायल कोटेड शीट व रेसिन की कोटिंग की जा रही है। यह बहुत मजबूत और ट्रांसपरेंट होंगे, जो पत्थर लगने पर नहीं टूटेंगे। आसानी से इसके आर-पार देखा जा सकेगा। यह प्रयोग सफल हुआ तो दूसरी कोच फैक्ट्रियों में बनने वाले नए कोचों में भी ऐसे शीशे लगाए जाएंगे। ये शीशे फिलहाल हमसफर और एलएचवी ट्रेनों की एसी कोच में लगाए जा रहे हैं।
राल का किया जा रहा विशेष प्रयोग
विनायल कोटेड शीट के शीशों में ज्यादा मजबूती होती है। इसमें पत्थर मारने पर वह अंदर नहीं जाएगा, बल्कि टकराने पर दोबारा उसी तरफ लौटेगा। इसे बनाने में राल का विशेष प्रयोग किया जा रहा है। ट्रेन के अंदर बैठा व्यक्ति बाहर की गतिविधियां देख लेगा, लेकिन बाहर वाले को अंदर का दृश्य नहीं दिखाई देगा।
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