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ये रिश्ता है खास: नौ माह के मासूम ने मिटा दी दो देश की सीमाएं

locationहोशंगाबादPublished: Dec 01, 2017 12:33:35 pm

Submitted by:

sandeep nayak

नौ माह के बालक ने ढहा दी धर्म की दीवार, मिटा दी दो देश की सीमाएं

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होशंगाबाद. नौ माह के एक मासूम ने धर्म की दीवारें ढहा दी और दो देश की सीमाएं मिटा दी हैं। उसके कारण हिंदू और मुस्लिम परिवार के बीच एेसा नाता जुड़ गया कि बाकी सब चीजें पीछे छूट गई। अब दोनों परिवार उसकी खातिर साल में एक बार जरूर मिलते हैं और जब भी मिलते हैं, एेसे खुशियां मनाते हैं जैसे उनके लिए ईद और दीपावली एक साथ आ गई हो। यह खुशिया जिन्नी कम्पाउंड में रहने वाले घनश्याम तिवारी के यहां बुधवार को लौट आई हैं। अब रविवार तक उनके घर एेसा ही माहौल रहेगा।
बाजार से मंगाकर खिलाया नानवेज : मन को नॉनवेज पसंद हैं और तिवारी परिवार में सब शाकाहारी हैं। इस कारण उसे गुरुवार को बाजार से उसकी पसंद का भोजन मंगाकर खिलाया। विनिता तिवारी बताती हैं कि इस बार उसने जिद शुरू कर दी थी कि उसे बड़े पापा-मम्मी के पास जाना है। इस कारण उसे यहां लेकर आए हैं। वह रविवार तक यहां रूकेगा, इसके बाद अपने माता-पिता के साथ बंग्लादेश लौट जाएगा।
हिंदू माता-पिता से मिलवाने बांग्लादेश से होशंगाबाद लेकर आए मुस्लिम माता-पिता
२०१५
को मुंबई में माता-पिता से बिछड़कर होशंगाबाद आ गया था मन, उसका जन्म बांग्लादेश के मुस्लिम परिवार में हुआ था
एेसे जुड़ गए दो परिवार
मन का जन्म बांग्लादेश के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। वह वर्ष २०१५ में मुंबई में माता-पिता से बिछड़कर होशंगाबाद आ गया था। उसका किसी ने अपहरण कर लिया था। वह इटारसी रेलवे स्टेशन पर पुलिस को मिला था। उसके अपहरणकर्ताओं से मिली सूचना के आधार पर पुलिस उसके बंगलादेश स्थित माता-पिता मोहम्मद रब्बानी गाजी और शिवाली खातून तक पहुंची। बाल न्यायालय ने बच्चे को उनके सुपुर्द कर दिया। इसमें एक साल का समय लग गया था। तब तक वह होशंगाबाद स्थित जिन्नी कम्पाउंड में संचालित शिशु गृह में रहा। जब वह शिशु गृह में लाया गया था तब करीब नौ माह का था। उससे घनश्याम तिवारी और उनकी पत्नी विनिता तिवारी का गहरा लगाव हो गया। उन्होंने उसका नाम मन रख दिया। वह करीब एक साल तक शिशु गृह में रहा। वह उन्हें पापा-मम्मी भी कहने लगा था। वे उसे गोद लेना चाहते थे, इसी बीच उसके बिछड़े हुए माता-पिता मिल गए। मन को उनके सुपुर्द कर दिया गया। तब पता चला उसका नाम मोहम्मद शिमूल गाजी है। इसके बाद यह दोनों परिवार एक-दूसरे से जुड़ गए। मन के मुस्लिम माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इसलिए तिवारी मन का पूरा खर्चा उठा रहे हैं। उसके माता-पिता का पासपोर्ट भी उन्हीं ने बनवाया, जिससे वह साल में एक बार उसे मिलाने लेकर आते हैं। तीन साल का हो चुका मन अब तिवारी दंपति को बड़े पापा-बड़ी मम्मी कहता है।

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