हमेशा काम का दबाब और तनाव की बात करने वाले पुलिसकर्मियों के लिए उमेश शर्मा ने एक मिशाल है। पुलिस की नौकरी में रहते हुए भी नौकरी के फर्ज को भी ईमानदारी से अदा करते हुए इन्होनें अपने अंदर छिपे टेंलेंट को जिंदा रखा। और कृष्ण भक्ति में डूब गए।
उमेश शर्मा ने बताया कि वे आर्थिक कठिनाईयों के बीच पले। उनके मुताबिक वे बचपन से गणित में बहुत तेज थे, दोस्त गणित का जादूगर कहते थे। सपना इंजीनियर बनने का था, लेकिन वह पूरा नहीं हो सका। मुफलिसी में पढ़ाई की उम्र में स्टेशन पर वेंडरी भी की, पर अपना संघर्ष जारी रखा,बाद में पुलिस सेवा में आ गए।
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ड्यूटी में राधे-राधे बाबा इंदौर के कैंप में रहे और कृष्ण के प्रति भक्ति जागी। इससे पहले कभी संगीत के सुरताल नहीं मिलाए,कभी संगीत की शिक्षा नही ले पाए, दो बार संगीत सीखने के प्रयास भी किए लेकिन पंद्रह दिन से ज्यादा नहीं कर पाए। बिना अनुभव भजन खुद लिखे, गाए और कंपोज भी किए। जो जानकारों के हिसाब से किसी चमत्कार से कम नही है, इसका श्रेय वे ईश्वर के अलावा परिवार ओर एएसपी सुनील मेहता को देते हैं। ,शर्मा कहते हैं कि भक्ति का भी अजीब रंग है, एक बार डूब जाओ तो बड़े से बड़े चमत्कार हो जाते है और उनके जीवन मे ये जो चमत्कार सा सब हो राह है वो ईस्वर भक्ति का ही परिणाम है।