तीन भाईदूज होते है
भारतीय परम्परा के अनुसार चार बड़े पर्व मनाए जाते हैं। जिसमें रक्षाबंधन, दीपावली, दशहरा और होली शामिल हैं। रक्षाबंधन पर भाई-बहन का स्नेह सभी को पता है। इस दिन बहनें भाई के घर मेहमानी पर आती हैं। भाई बहनों से राखी बंधवाकर बहनों को उपहार देतें है। इसी तरह दीपावली की दोज व होली की दोज को भाई विवाहित बहनों के यहां भी जाते हैं। बहन के हाथों से भोजन करते हैं। इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर पूजन की सुपारी, नारियल पर उपहार आदि देती हैं। भाई अगर छोटा हुआ तो उपहार ले लेता है और यदि बड़ा हुआ तो वह अपनी ओर से बहनों को उपहार भेंट करता है।
भारतीय परम्परा के अनुसार चार बड़े पर्व मनाए जाते हैं। जिसमें रक्षाबंधन, दीपावली, दशहरा और होली शामिल हैं। रक्षाबंधन पर भाई-बहन का स्नेह सभी को पता है। इस दिन बहनें भाई के घर मेहमानी पर आती हैं। भाई बहनों से राखी बंधवाकर बहनों को उपहार देतें है। इसी तरह दीपावली की दोज व होली की दोज को भाई विवाहित बहनों के यहां भी जाते हैं। बहन के हाथों से भोजन करते हैं। इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर पूजन की सुपारी, नारियल पर उपहार आदि देती हैं। भाई अगर छोटा हुआ तो उपहार ले लेता है और यदि बड़ा हुआ तो वह अपनी ओर से बहनों को उपहार भेंट करता है।
इसलिए मनाया जाता है भाईदूज पर्व
भगवान सूर्य की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त रहने की वजह से यमराज बात को टालते रहे। यम द्वितीय के दिन यमुना ने भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने स्नान कर पूजन करके भाई को पकवानों का भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पवज़् की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
भगवान सूर्य की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त रहने की वजह से यमराज बात को टालते रहे। यम द्वितीय के दिन यमुना ने भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने स्नान कर पूजन करके भाई को पकवानों का भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पवज़् की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
भाईदूज शुभ मुहुर्त
सुबह 12.28 से दोपहर 1.59 तक।
दोपहर 3.52 मिनीट पर भाई दूज का शुभ मुहुर्त शुरू हो जाएगा।
भाई दूज का मुहूर्त समाप्त- 23 मार्च को रात 12 बजकर 55 मिनट पर भाई दूज का मुहूर्त समाप्ता
भाई दूज का अमृत योग सुबह 09.28 से शुरू होकर 10.58 तक रहेगा।
सुबह 12.28 से दोपहर 1.59 तक।
दोपहर 3.52 मिनीट पर भाई दूज का शुभ मुहुर्त शुरू हो जाएगा।
भाई दूज का मुहूर्त समाप्त- 23 मार्च को रात 12 बजकर 55 मिनट पर भाई दूज का मुहूर्त समाप्ता
भाई दूज का अमृत योग सुबह 09.28 से शुरू होकर 10.58 तक रहेगा।