घर नहीं पहुंची जननी एक्सप्रेस, अस्पताल के सामने ऑटो में हुई डिलेवरी, परिजनों ने किया हंगामा
महिला को गांव से ऑटो में बैठाकर परिजन 4 किमी दूर जिला अस्पताल लेकर आए, ऑटो में प्रसव के बाद भी नहीं आया अस्पताल स्टॉफ तो परिजनों ने किया हंगामा

होशंगाबाद.
एक दिन पहले ही जिला अस्पताल में एक महिला के गर्भ में हुई उसके बच्चे की मौत के बाद भी स्वास्थ्य महकमा नींद से नहीं जागा। शनिवार को शहर से सटे आगराकला गांव की रहने वाली मनीषा पति नितिन खरे उम्र ३० को आधा घंटे बाद भी जननी एक्सप्रेस लेने नहीं पहुंची। गांव से अस्पताल चार किमी दूर है। दर्द बढ़ता देख महिला को उसकी सास कृष्णा खरे ऑटो से जिला अस्पताल दोपहर लगभग १ बजे लेकर पहुंची थी। ऑटो अस्पताल के गेट तक पहुंचा ही था, इसी दौरान महिला ने बच्चे को जन्म दिया। हालात यह थे कि डिलेवरी के करीब २० मिनट बाद तक ऑटो में ही जच्चा-बच्चा पड़े रहे, लेकिन स्वास्थ्यकर्मी उन्हें लेने नहीं आए। इसके बाद सास कृष्णा खरे का पारा चढ़ गया और उन्होंने हंगामा मचा दिया। शोरशराबा सुनकर अस्पताल के कर्मचारी भागकर आए और महिला व उसे नवजात शिशु को भर्ती किया। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ्य बताए गए हैं। यह हालात तब हैं जब संभाग में गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की सुरक्षा के लिए हिरण्यगर्भा अभियान चलाया जा रहा है।
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पहले दो बेटी, अब हुआ बेटा - आगराकला गांव की रहने वाली मनीषा का पति नितिन खरे बैंडबाजा बजाने का काम करता है। इसके अलावा पूरा परिवार झाडू बनाता है। मनीष और नितिन की ५ और ३ वर्षीय दो बेटियां है। अब उन्हें बेटा हुआ है। सास कृष्णा खरे ने बताया कि घर पर अभी तक कोई डाक्टर या स्वास्थ्यकर्मी चेकअप के लिए नहीं आए। जिससे यह माना जा सकता है कि मनीषा का पंजीयन हिरण्यगर्भा में नहीं किया गया होगा।
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इनका कहना है...
डिलेवरी का समय होने की वजह से प्रसव हो गया। परिजन अस्पताल लेकर आने में लेट हुए। इसी वजह से ये स्थिति बनी। सूचना मिलने पर जच्चा-बच्चा को वार्ड में भर्ती किया गया।
-डा. सुधीर डेहरिया, सीएस जिला अस्पताल।
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गर्भ में हुई बच्चे की मौत - डोलरिया के पतलई कला में रहने वाले सज्जन सिंह राजपूत पत्नी सरस्वती को डिलेवरी के लिए शुक्रवार सुबह ११ बजे जिला अस्पताल लेकर आए थे। यहां महिला चिकित्सक ने जांच की और खून की कमी बताई। पति खून का इंतजाम करने की उधेड़बुन में लगा था, इसी बीच नर्स ने बताया कि बच्चा पेट में मर चुका है। मामले में डा. ममता पाठक ने बताया कि इलाज में लापरवाही नहीं हुई। प्रसूता का बीपी बढ़ा हुआ था। ब्लीडिंग होने से खून की कमी आ गई थी। इसी वजह से बच्चे को नहीं बचाया जा सका।
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