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कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दौरान ब्लॉक बने स्नान में बाधक, खतरे के बीच हो रहे स्नान

locationहोशंगाबादPublished: Nov 05, 2017 12:12:41 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

नौ माह में नहीं भरी जा सकी सेठानी घाट की खोह, पूर्णिमा पर श्रद्धालु हुए परेशान, नई ठेका कंपनी भी 9 माह में पूरा नहीं कर पाई काम, छह का एक्सटेंशन मांगा

Kartik Purnima 2017 or Tripuri Purnima hosangabad
होशंगाबाद. नर्मदा के सबसे पुराने एवं मुख्य सेठानी घाट पर साढ़े सात करोड़ में खोह भरने का काम चल रहा है। वैसे तो यह काम नौ महीने में पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन हो नहीं पाया और तय समय-सीमा बीत गई। अब ठेकेदार ने छह महीने का ओर समय मांगा है। लेकिन यह अधूरा काम शनिवार को कार्तिक पूर्णिमा पर नर्मदा भक्तों के लिए मुसीबत बन गया। सेठानी घाट पर लगाए गए सीमेंट के ब्लाक की वजह से बुजुर्ग-बच्चे और महिलाओं को नहाने में परेशानी हुई। कई जगह लोग इनकी वजह से फिसलकर घायल भी हो गए। इस घाट पर 20 हजार लोग रोजाना नहाते है। अमावस्या, पूर्णिमा और नर्मदा जयंती जैसे मौकों पर एक लाख से अधिक श्रृद्धालू सेठानी घाट पर आते हैं।
महेश्वर की तरह दो सौ वर्ष पुराने सेठानी घाट की भी खोह भरी जा रही हैं। यह घाट अंदर ही अंदर खोखला हो गया है। कलेक्टर के निर्देश पर कार्तिक पूर्णिमा की वजह से फिलहाल काम बंद है, लेकिन किनारे पर रखे गए सीमेंट-क्रांकीट ब्लॉकों एवं रेत-सीमेंट की बोरियों ने लोगों संकट कम करने की जगह बड़ा दिया। अभी आधे से भी कम काम हुआ है, इस कारण कंपनी ने छह माह का एक्सटेंशन मांगा है। विभाग ने आगामी तीन माह में (जनवरी 2018 तक) काम पूरा करने का अल्टीमेटम दिया है। विभाग का दावा है कि काम पूरा होने के बाद महेश्वर एवं उज्जैन क्षिप्रा के सुरक्षित एवं सुविधाजन घाट जैसा ही सेठानीघाट हो जाएगा। इसके बाद घाट भी आगामी 50 वर्षों तक धंसने जैसे बड़े हादसे से बच जाएगा।
ऐसे होते रहे परेशान
घाट की सीढिय़ों पर पड़े मटेरियल, क्रेन मशीन के कारण लोगों को स्नान में असुविधा हो रही है। खतरे के बीच सीमेंट ब्लॉकों से नीचे उतरकर लोग स्नान को मजबूर हैं।
पांच साल से चल रही कवायद
नर्मदा नदी की खोह भरने की कवायद वर्ष 2012 से चल रही है। पहली बार जल संसाधन विभाग ने 2.92 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। फरवरी 2013 तक काम पूरा करना था लेकिन कंपनी राशि कम पडऩे पर काम छोड़कर चली गई। इसके बाद फिर ठेका दिया गया। घाट 235 फीट लंबा है। खोह भरने से सेठानी घाट का दायरा 4 फीट नीचे की ओर बढ़ेगा और नर्मदा का किनारा 234 मीटर कम हो जाएगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 14 फरवरी 2016 को नर्मदा जयंती पर मंच से घोषणा की थी। तब जल संसाधन विभाग ने 22 अक्टूबर 2016 को 7 करोड़ 40 लाख 25 हजार रुपए की स्वीकृति दी। 15 दिसंबर 2016 को काम का ठेका कोटा राजस्थान की ठेका कंपनी मेसर्स गुरदीप सिंह चंदी एंड कंपनी को 7 करोड़ 68 लाख 23 हजार रुपए में दिया। 9 माह में काम पूरा करने का अनुबंध 6 जनवरी 2017 को किया था। सितंबर तक काम पूरा करना था।
यह बात सही है कि ठेका कंपनी तय 9 माह की अवधि में काम पूरा नहीं कर सकी है। उसने छह माह का एक्सटेंशन मांगा है। कंपनी को जनवरी माह तक हर हाल में काम पूरा करने को कहा है। अगर काम पूरा नहीं होता है तो नोटिस दिया जाएगा।
एसपी चौरसिया, ईई, सीप कोलार प्रोजेक्ट संभाग रेहटी
घाट पर ये काम ही हो सके
घाट पर कंपनी ने अंडर वाटर वीडियोग्राफी से खोह की स्थिति को जाना। नदी के तल एवं खोह में जमा लूज मटेरियल को मशीनों से वैज्ञानिक तकनीक से बाहर निकाला। खोह में अंडर वाटर क्रांकीट भरने एवं इसके बाद सीमेंट-क्रांकीट के कैमिकल युक्त साढ़े 7 क्विंटल वजनी ब्लॉक रखने क्रांकीट बेस तैयार किया। कंपनी 120 मीटर के आधे हिस्से में ही ये कार्य कर सकी है। पानी के अंदर दीवार भी पूरी नहीं बन सकी है। अभी घाट की अंतिम सीढिय़ों से डेढ मीटर चौड़ाई में घाट का विस्तार होना है। जिसमें डेढ़ मीटर लंबाई के प्लेटफॉर्म और इस पर लोहे के पाईप व जंजीरें लगनी है।
जलकुंभी और सेवा यात्रा ने रोके काम
कनक मंदिर से लेकर गोलघाट तक 240 मीटर लंबाई की खोह भराई, प्लेटफॉर्म एवं पाइप व जंजीरें लगाने का काम होना था। पहले से काम धीमी गति से चल रहा था। नर्मदा सेवा यात्रा और जलकुंभी की वजह से भी काम को रोकना पड़ा था। आगे का (120 मीटर का) शेष काम 6 नवंबर के बाद से शुरू होगा। जिसे ठेका कंपनी को जनवरी 2018 तक पूरा करने को कहा गया है। इसके बाद कंपलीट घाट को नपा के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
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